UP News: नोएडा में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर चला शिक्षा विभाग का डंडा, नोटिस जारी कर मांगा जवाब
UP News: जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से भेजे गए नोटिस में स्कूलों से मान्यता को लेकर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एक हफ्ते में ऐसे स्कूलों पर ताला लग जाएगा।
UP News: देश की राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) जिले में बिना मान्यता के चल रहे स्कूले अब शिक्षा विभाग के निशाने पर है। जिले में चल रहे ऐसे 14 स्कूलों को चिन्हित कर नोटिस भेजा गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से भेजे गए नोटिस में स्कूलों से मान्यता को लेकर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एक हफ्ते में ऐसे स्कूलों पर ताला लग जाएगा।
दरअसल, शहर में सक्रिय शिक्षा माफिया से जुड़ी शिकायतें शिक्षा विभाग को लगातार मिल रही थीं। ऐसे स्कूल जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता नहीं हासिल नहीं है, वे मान्यता होने का झूठा दावा कर अपने यहां बच्चों का दाखिला कराकर कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने का निर्णय लिया गया है।
गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
नोएडा के पंजीकृत स्कूलों में पढ़ाई काफी महंगी होती है। ऐसे में सामान्य और गरीब परिवार के लोग अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए नहीं भेज पाते। ऐसे बच्चे फिर गैर-पंजीकृत स्कूलों का निशाना बनते हैं। वे कम फीस होने के कारण इसमें दाखिला ले लेते हैं। लेकिन, यहां उनके भविष्य से भी खिलवाड़ किया जाता है। गैर-पंजीकृत स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कई बार ऐसा होता है कि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता, लिहाजा वे बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठ पाते। नतीजतन उनका पूरा साल बेकार हो जाता है। सबसे दुखद बात ये है कि इस मामले में किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं होती।
गैर-पंजीकृत स्कूलों के खिलाफ होगा एक्शन
जिला शिक्षा विभाग ने नोएडा में संचालित ऐसे 14 स्कूलों की सूची तैयारी की है और उन्हें नोटिस थमाकर जवाब मांगा है। इन स्कूलों में अगर कोई स्कूल अपने दस्तावेज नहीं दिखा पाता है तो उसे बंद कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित स्कूल पर 10 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
जिला शिक्षा विभाग के इस फैसले की तारीफ तो हो रही है लेकिन साथ ही एक बड़ा सवाल भी खड़ा हो गया है। ऐसे स्कूलों में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ते हैं, अगर उनपर ताला लगता है तो ये बच्चे ही सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इस पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे स्कूल के बच्चों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा।