लखनऊ: यूपी में अब जानवरों को भी गोद लिया जा सकेगा। अगर आप जानवरों का शौक रखते हैं तो इसे खरीदने से पहले आपको शपथपत्र देना होगा। सरकार ने इसकी गाइडलाइन बनाई है। इतना ही नहीं वृद्धावस्था, दुर्घटना या रोग के कारण पशु की मौत हो जाने पर उसका पोस्टमार्टम भी कराना होगा।
क्या होगा शपथ पत्र में?
-खरीददार जानवर की सही तरीके से देखभाल करेगा।
-जानवर के बीमार हाेने पर वह राजकीय पशु हॉस्पिटल में डॉक्टर से उसका इलाज कराएगा।
अनजान व्यक्ति को नहीं बेचना होगा जानवर
-शपथ पत्र में इसका भी उल्लेख करना होगा कि वह जानवर को किसी अनजान व्यक्ति को नहीं बेचेगा।
-वह इसको परिचित और पशु की देख-रेख में सक्षम व्यक्ति को ही बेचेगा।
-बेचने पर विक्रय के अभिलेख संभाल कर रखेगा।
-ऐसे व्यक्ति को पशु नहीं बेचेगा जो पूर्व में कभी पशुवध के व्यवसाय में शामिल रहा हो।
-पशुओं की तस्करी के प्रकरण में शामिल रहा हो।
-सुपुर्द किए गए पशु के संबंध में औचक निरीक्षण भी किया जाएगा।
पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश गुप्ता ने कहा
-पशुओं के पैदल परिवहन की दशा में विशेष रूप से ध्यान दिया जाए।
-पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एक वयस्क पशु को एक दिन में 30 किमी से अधिक पैदल न चलाया जाए।
सुप्रीमकोर्ट ने दिए थे निर्देश
-सुप्रीमकोर्ट ने 13 जुलाई 2015 को पशु क्रूरता से बचाए गए पशुओं के निस्तारण के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए थे।
-उसी के अनुपालन में प्रदेश के पशु पालन विभाग ने यह गाइडलाइन बनाई है।
-बचाए गए पशुओं को लेने के लिए आवेदक को स्वयं का फोटो पहचान पत्र और किसान बही की सत्यापित प्रति प्रस्तुत करनी होगी।
-उसे यह शपथ पत्र भी देना होगा कि मांगे जाने पर उसके द्वारा पशु को वापस कर दिया जाएगा।
-इस क्रम में उसे कोई भी हर्जाना अथवा व्यय भार नहीं दिया जाएगा।