हमीरपुर: एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, किशोरियों को दी गयी ये जानकारी
समर्थ फाउंडेशन, द वाईपी फाउंडेशन, सहयोग संस्था व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने संयुक्त रूप से कुरारा ब्लाक के चंदूपुर गांव में शनिवार को किशोरियों को स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया।
हमीरपुर: समर्थ फाउंडेशन, द वाईपी फाउंडेशन, सहयोग संस्था व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने संयुक्त रूप से कुरारा ब्लाक के चंदूपुर गांव में शनिवार को किशोरियों को स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया। चंदूपुर के आरटीई लर्निंग सेंटर में हुई एक दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला प्रबंधक सुरेंद्र कुमार साहू ने किशोरियों को सुरक्षित माहवारी प्रबंधन की जानकारी दी।
सही जानकारी जरूरी
उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन के प्रति सही जानकारी जरूरी है। किशोर-किशोरियों को नि:शुल्क परामर्श राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दिया जाता हैं। अधिक से अधिक किशोर-किशोरियां सजग होकर सही जानकारी प्राप्त करें। किसी भी प्रकार की दिक्कतें होने पर तत्काल सूचित करें।
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एनीमिया ग्रसित किशोरियों को को सलाह
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज ने कहा कि एनीमिया ग्रसित किशोरियों को आयरन फोलिक एसिड की टेबलेट सप्ताह में एक बार सोमवार को अवश्य खाना चाहिए। टेबलेट रात में सोने से पहले खाएं। उन्होंने कहा की किशोरी व किशोरों को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग होने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि उम्र के आधार पर किशोरियों के लिए अलग-अलग रंग की आयरन एण्ड फोलिक एसिड के टेबलेट दी जाती है। इनके नियमित सेवन से एनीमिया को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस उम्र में बहुत ही परिवर्तन होते है। जिनके बारे में समाज मे बहुत भ्रांतिया है, इनके प्रति सजगता जरूरी है। एनएचएम के जिला लेखा प्रबंधक अक्षय सिंह, आरटीई लर्निंग सेंटर की राधा देवी ने भी अपने विचार रखे।
समर्थ फाउंडेशन के देवेंद्र गांधी ने कहा कि किशोरियों को इस तरह के कार्यक्रमों से सही जानकारी मिलेगी। निश्चित रूप से इसका फायदा किशोरियों को लाभ मिलेगा। फाउंडेशन किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य के मुद्दे पर कार्य कर रहा है। वर्तमान में केंद्र सरकार के द्वारा केंद्रीय बजट में भी स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया है और अनेको योजनाओ को भी प्रारंभ किया है।
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चंदूपुर गांव की किशोरी शबनम, प्रभा, अनुसुइया, सन्ध्या, किरन का कहना है कि इस कार्यशाला से उन्होंने काफी कुछ सीखा है। खून की कमी से बचने के लिए भविष्य में हरी सब्जियों की सेवन को बढ़ाएंगी। साथ ही माहवारी को लेकर जो गलत धाराएं मन में थी, वह भी दूर हो गई हैं।
क्या कहतें हैं आंकड़े
एनएफएचएस (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे)-4 के आंकड़ों के अनुसार जनपद में 15 से 49 वर्ष की 51.8 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी पाई गई है।
रिपोर्ट: रविंद्र सिंह