यूपी के इस जिले में बदहाल है स्वास्थ्य सुविधाएं, जानिए क्या है बड़ी वजह

प्रतापगढ़ में वन स्टॉप सेंटर योजना पूरी तरह से बदहाल नजर आती है। उधार के भवन में जिला अस्पताल का वन स्टॉप सेंटर बर्न वार्ड के भवन में संचालित किया जा रहा है।

Update: 2020-03-19 09:04 GMT

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ में वन स्टॉप सेंटर योजना पूरी तरह से बदहाल नजर आती है। उधार के भवन में जिला अस्पताल का वन स्टॉप सेंटर बर्न वार्ड के भवन में संचालित किया जा रहा है। 181 वाहन नौ माह से लापता, कर्मचारियों को नौ माह से वेतन नही। निर्भया कांड के बाद शुरू की गई योजना सखी के तहत वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई थी।

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इस योजना का मकसद था समाज मे हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं को कानूनी सहायता के साथ ही भावनात्क सपोर्ट, मेडिकल सपोर्ट और जरूरत पड़ने पर उन्हें आश्रय देने का ये सारी सुविधाएं एक स्थान पर मिल सके ताकि पीड़ित को भटकना न पड़े। घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, दहेज उत्पीड़न, बल विवाह भ्रूणहत्या आदि मामलों के पीड़ितों को मदद देना मकसद रहा इस योजना के पीछे।

चार महिलाओ को जिले में तैनात किया गया

 

 

इसके लिए बाकायदा टोलफ्री नम्बर 181, और चार महिलाओ को जिले में तैनात किया गया। इसके लिए बकायदा एक बलोरो भी तैनात की गई है। काउंसलिंग कर्मचारियों को पीड़ितों तक पहुचाने और सेंटर तक लाने के लिए। लेकिन जब कर्मचारियों को ही भूल बैठा है महकमा तो आखिर कैसे मदद मिलेगी पीड़ितों को, इतना ही नही संसाधनों का भी बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

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इस सेंटर में तैनात चार काउंसलिंग स्टाफ को नौ माह से बेतन ही नही दिया गया जिसके चलते ये भुखमरी के कगार पर है। बच्चों की पढ़ाई के साथ ही घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। तो वही इस मिशन को रफ्तार देने के लिए तैनात 181 बोलोरो भी नौ माह पहले जिला अस्पताल में खड़ी की गई जो बाद में लखनऊ के निकली जिसका आजतक पता नही चल सका, आखिर कहा है बोलोरो किसकी सेवा में लगी है।

आउट सोर्सिंग कम्पनी की तरफ से सैलरी को लेकर चुप्पी साध ली गई है

अब इस सेंटर पर अन्य ग्यारह कर्मचारियों को तैनाती मिली है जिसके बाद कुल पन्द्रह कर्मचारी तैनात हो गए है। ये सभी कर्मचारी आउटसोर्सिंग के द्वारा पदस्थ किये गए है। आउट सोर्सिंग कम्पनी की तरफ से सैलरी को लेकर चुप्पी साध ली गई है। इस वन स्टॉप सेंटर में छह माह पहले पांच मेंटल महिलाओं को बाघराय पुलिस ने दाखिल कराया गया जिनके खाने पीने की व्यवस्था काउंसिलिंग स्टाफ ने अपनी जेब से किया।

 

लेकिन जिम्मेदार प्रोवेशन ऑफिसर ने इस ओर ध्यान नही दिया खानपान के अभाव में महिलाएं यहा से निकल गई। इस बाबत प्रोवेशन अधिकारी का कहना है भवन के लिए जमीन मिल गई है हमारे पास इसके लिए चौबीस लाख का बजट है। हेल्पलाइन 181 को सरकार ने बन्द कर दिया गया है जिसके चलते कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

चार काउंसलर को मार्च 2019 से वेतन नही मिला है

हालांकि अब इसे डायल 100 के जिम्मे कर दिया गया है। इस योजना से 25 सौ महिलाओं को लाभान्वित कराया जा चुका है। 181 की चार काउंसलर को मार्च 2019 से वेतन नही मिला है। बड़ा सवाल ये है कि अलाधिकार्यो को तैनात कर्मचारियों की सही सख्या तक ज्ञात नही है मैनेजर खुद ग्यारह स्टाफ बता रही है जबकि अधिकारी दस बता रहे है।

 

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तो आप खुद अंदाजा लगा सकते है इस योजना के प्रति कितने गम्भीर है। इनका ये भी कहना है कि पूर्व सरकार में इस योजना का नाम हौशला पोषण मिशन नाम से योजना चलती थी। जिसका नाम नई सरकार ने बदल दिया तो क्या सरकार नाम बदलने तक सीमित है उसका व्यवस्था से कोई सरोकार ही नही। ऐसे में कैसे और कितनी सफल होगी ये योजना आप खुद अंदाजा लगा सकते है। कुल मिलाकर ये योजना सफेद हाथी ही साबित हो रही है।

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