स्वामी विवेकानंद की जयंती पर विचार गोष्ठी, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा अदम्य साहसी और विलक्षण पराक्रमी स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को हमेशा शान से जीने की प्रेरणा दी।

Update:2021-01-12 20:46 IST
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी, इन बातों पर हुई चर्चा

लखनऊ: भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गूगल मीट के जरिए ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा अदम्य साहसी और विलक्षण पराक्रमी स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को हमेशा शान से जीने की प्रेरणा दी। इसी कारण उनका जन्मदिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

युवाओं को हर हाल में शान से जीने की दी प्रेरणा

उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को हर हाल में शान से जीने की प्रेरणा दी। धर्म के नाम पर छल और आडंबर से मुक्त होकर मानवता के धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का भाव उन्होंने जगाया।स्वामी जी कहते थे चरित्रवान युवाओं के उस बड़े संगठन की आवश्यकता है जिस के कंधों पर बैठकर सभी जातियां और धर्म एक साथ ऊपर उठने का साहस बटोर सकें। उन्होंने कहा कि हमारा देश यदि सचमुच जगद्गुरु कहलाने के योग्य है तो वह केवल स्वामी विवेकानंद के कारण।यहां से वहां तक प्रसिद्धि हासिल करने के पश्चात अपने ही देश में स्वामी जी को ईर्ष्यालुओं और कूप मंडूकों की भारी भर्त्सना झेलनी पड़ी । यह युद्ध भी उन्होंने उसी तरह लड़ा जिस तरह किसी भी क्षेत्र में अपराजेय योद्धा को लड़ना पड़ता है।

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अपनी समरनीति से कभी नहीं किया समझौता

स्वामी जी ने अपनी समरनीति से कभी समझौता नहीं किया। वे आध्यात्मिक जगत के चक्रवर्ती सम्राट थे। स्वामी विवेकानंद ने जिस नये भारत की कल्पना की थी उन्हीं के शब्दों में - नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भर भड़भूँजे के भाड़ से ,मजदूर के कारखाने से ,हॉट से बाजार से ,निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पर्वतों से। स्वामी विवेकानंद का सबसे बड़ा देव मंत्र था उठो जागो स्वयं को जगा कर औरों को जगाओ अपने नर जीवन को सफल करो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए।

संगोष्ठी में बोलते हुए भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री संस्थापक ट्रस्टी रमाकांत दुबे और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा कि आज पूरी दुनिया में भारत के युवाओं की मेधा और प्रतिभा का उभार दिख रहा है। अमेरिका तक अपने देश के युवाओं से आवाहन कर रहा है कि वह पढ़ने लिखने को ज्यादा तवज्जो दें वरना भारतीय युवा छा जाएंगे ।हमें आभारी होना चाहिए स्वामी विवेकानंद का जिन्होंने अकेले पहल की और दुनिया को भौचक्का कर दिया। भारत को उसका खोया गौरव वापस दिलाया। स्वामी जी आज होते तो वाकई भारतीय युवाओं की दुनिया में धाक देख अपने सपने को पूरा होते देख कितना खुश होते।

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संगोष्ठी में मुख्य रूप से निशा सिंह, सुमन दुबे, प्रेमा जोशी , उषा त्रिपाठी,सुमेधा दीक्षित, हरेंद्र नाथ पाण्डेय, प्रमोद शुक्ला, देवेन्द्र शुक्ला,एस के वर्मा,अनिल सिंह, अजय तिवारी, शिव प्रकाश दिक्षित, पल्लभ मुखर्जी, वेदव्यास, देवेन्द्र दीवेदी ,धनंजय दिवेदी,कौशल वर्मा, महेश मिश्रा, प्रथमेश दीक्षित, विवेक, विजय कुमार सिंह, सुकमल चंद जैन सम्मिलित हुए और अपने विचार रखें।

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