UP में युवा हल्ला बोल: रोज़गार के बदले मिल रहा केवल प्रचार, सरकार पर बोला हमला
'युवा हल्ला बोल' के नेशनल कॉर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने यूपीएसएसएससी की अटकी पड़ी सभी भर्तियों को कैलेंडर जारी करके जल्द पूरी करने की मांग रखी और कहा कि सरकार बेरोज़गार युवाओं के धैर्य की परीक्षा न लें।
लखनऊ: देशभर के बेरोज़गार युवाओं की एक शशक्त आवाज़ 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोज़गार और सरकारी नौकरियों पर किए जा रहे दावों पर सवाल उठाया है। कई भर्ती परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के साथ लखनऊ में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अनुपम ने सरकार को चेतावनी दी कि खाली पड़े सभी पदों को तुरंत भरा जाए वरना प्रदेश के युवा एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। 'युवा हल्ला बोल' के नेशनल कॉर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने यूपीएसएसएससी की अटकी पड़ी सभी भर्तियों को कैलेंडर जारी करके जल्द पूरी करने की मांग रखी और कहा कि सरकार बेरोज़गार युवाओं के धैर्य की परीक्षा न लें।
"युवाओं की अयोग्यता" का बहाना
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की नई सरकार बनने से पहले भाजपा ने लिखित वादा किया था कि "90 दिनों के भीतर सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रारंभ की जाएगी।" लेकिन चुनाव से पहले बड़े बड़े वादे करने वाली भाजपा ने सरकार बनने के डेढ़ साल बाद कह दिया कि युवाओं को रोजगार देने के लिए तो वो प्रतिबद्ध हैं और प्रदेश में नौकरियों की कमी भी नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश के युवा नौकरी करने लायक नहीं हैं। सरकार की नाकामियां छिपाने के लिए "युवाओं की अयोग्यता" का बहाना ज़्यादा दिनों तक चल नहीं पाया।
बेरोज़गार अपने भविष्य को लेकर अंधकार में
सीएमआईई के आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में आज भी करीब 90 लाख बेरोज़गार अपने भविष्य को लेकर अंधकार में है। मजबूर होकर युवा अगर अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरे तो लाठी डंडे केस मुकदमे उत्तर प्रदेश में अब आम बात हो गयी है। यहाँ तक की मुख्यमंत्री जी की सभा में कोई बेरोज़गार यदि गुहार लगाने पहुँच जाए तो खुले मंच से धमकी दी जाती है कि "बैनर नीचे कर दो नहीं तो हमेशा के लिए बेरोजगार रह जाओगे।"
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अनुपम ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि बेरोज़गारी मिटाने से ज़्यादा सरकार का ध्यान टीवी अखबार में मीडियाबाज़ी और संदिग्ध आँकड़ों के सहारे नागरिकों को गुमराह करने में रहा है। इसी कारण से उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोज़ी रोटी नौकरी रोज़गार की जगह प्रचार ही प्रचार मिल रहा है। कभी 'एक दिन में एक करोड़ रोज़गार' देने का प्रचार, कभी 'मिशन रोज़गार' के जरिये पचास लाख रोज़गार का प्रचार तो कभी तीन लाख नौकरी जैसी महाभर्तियों का प्रचार।
आरटीआई के जवाब में कहा गया कि कोई सूचना नहीं है
'युवा हल्ला बोल' की टीम ने आरटीआई से मिले दस्तावेज़ सार्वजनिक किए जिससे सरकार के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी पदों की नियुक्ति का विभागवार ब्यौरा मांगने पर कह दिया गया कि कार्मिक विभाग के पास कोई सूचना ही नहीं है। सवाल है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार को जानकारी ही नहीं कि कितनी सरकारी नौकरियां दी गयी तो प्रचार में इन आँकड़ों का इस्तेमाल क्यों हो रहा है? मीडिया में जिन आँकड़ों के आधार पर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं उनका आधार क्या है? और अगर सरकार को जानकारी है तो आरटीआई के जवाब में ये क्यों कह दिया कि कोई सूचना नहीं है?
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2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद यूपीएसएससी की कुल 13 भर्तियां
गोविंद मिश्रा ने बताया कि योगी आदित्यनाथ की सरकार एक और दावे का जमकर प्रचार कर रही है कि 'यूपी अधीनस्थ चयन बोर्ड' के तहत 16708 नौकरियां दी गयी हैं। यूपीएसएससी के तहत होने वाली भर्तियों के माध्यम से प्रदेश के लाखों सरकारी पदों को भरा जाता है। आरटीआई से मिली एक और सूचना ने सरकार के इस दावे को भी सवालों के घेरे में डाल दिया है। सूचना के अधिकार के तहत पता चला है कि अप्रैल 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से यूपीएसएससी ने कुल 13 भर्तियां निकाली जिनमें से किसी में भी नियुक्ति नहीं दी गयी है।
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अनुपम ने मांग किया कि रिक्त पड़े सभी सरकारी नौकरियां की समयबद्ध ढंग से भर्ती पूरी की जाए। यूपीएसएसएससी का कैलेंडर जारी करके अटकी पड़ी सभी भर्तियों में जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए। इस संदर्भ में त्वरित कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री एवं आयोग के अध्यक्ष को पत्र भी लिखा जाएगा। सरकार से निवेदन है कि प्रचार तंत्र के जरिये नागरिकों को गुमराह करने की बजाए बेरोज़गार युवाओं की पीड़ा को समझे। वरना इस संवेदनहीन सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदेश भर के युवा एकजुट होकर सड़क पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे।
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