लखनऊ में दहशत के साढ़े 7 घंटे: पहले खूब छकाया, फिर फंसा खूंखार तेंदुआ

राजधानी में सेंट फ्रांसिस मूक बधिर स्कूल, बालागंज के मिश्रीबाग ठाकुरगंज में तेंदुआ घुस आया है।स्कूल के कर्मियों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। इसके बाद सक्रिय वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला। तेंदुए को खोजने में वन विभाग के साथ प्राणि उद्यान की टीम को 6 घंटे का समय लगा।

Update:2018-01-13 20:00 IST
लखनऊ में दहशत के साढ़े 7 घंटे: पहले खूब छकाया, फिर फंसा खूंखार तेंदुआ

लखनऊ: राजधानी के सेंट फ्रांसिस स्‍कूल के लिए शनिवार (13 जनवरी) का दिन दहशत और कौतूहल भरा रहा। यहां के हॉस्‍टल में रहने वाले मूक बधिर बच्‍चों के साथ साथ बालागंज के मिश्रीपुरा बाग के निवासियों के चेहरे पर डर, दहशत और चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। इनके डर की वजह बना एक खूंखार तेंदुआ जो जंगल से भटक कर शनिवार सु‍बह स्‍कूल परिसर में दाखिल हो गया।

करीब साढ़े 7 घंटे उत्‍पात मचाने के बाद बेसमेंट में बंद तेंदुए पर वन विभाग की टीम ने ट्रैंकुलाइजर गन का इस्‍तेमाल करके काबू पाया। हालांकि इस दौरान जिसने भी तेंदुए के बारे में सुना, दौड़ते हुए स्‍कूल के पास पहुंच गया। हर एक कि जुबां पर यही जिक्र था, कि शुक्र है बच्‍चे हॉस्‍टल में लॉक थे। वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

तेंदुए ने रेस्‍क्‍यू टीम को खूब छकाया

सेंट फ्रांसिस स्‍कूल की प्रिंसपल सिस्‍टर जोशिया ने बताया कि जब वह सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर स्‍कूल की छत पर टहल रहीं थी तो उन्होंने तेंदुए को हॉस्‍टल के बंद गलियारे से अंदर जाने की कोशिश करते हुए देखा। यह देखकर उन्‍होंने शोर मचाया कि एक बड़ा जानवर स्‍कूल में घुस आया है, सब लोग अंदर ही रहें। इसके बाद सूचना मिलने पर पहले स्‍थानीय ठाकुरगंज पुलिस और नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान से डॉक्‍टर उत्‍कर्ष शुक्‍ला मय रेस्‍क्‍यू टीम के साथ 11 बजे मौके पर पहुंच गए। पहले उन्‍होंने स्‍कूल कंपाउंड और उसके बाद बेसमेंट में सर्च ऑपरेशन चलाया। बेसमेंट में तेंदुए को लोकेट किया गया। उन्‍होंने वहां साढ़े 7 घंटे की कड़ी मशक्‍कत के बाद तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करने का निर्णय लिया और उस पर काबू पाया।

हमलावर भी हुआ तेंदुआ, तोड़ दी सरिया

तेंदुए की खबर पर पहुंची रैपिड रिस्‍पांस टीम ने डॉ उत्‍कर्ष शुक्‍ला की अगुवाई में स्‍ट्रैटजी बनाई। तेंदुए की लास्‍ट लोकेशन स्‍कूल कंपाउंड के बेसमेंट के पास मिली। एहतियात के तौर पर बेसमेंट को सील करके पहले पूरे स्‍कूल परिसर में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसके बाद टीम ने बेसमेंट में तेंदुए को सर्च करने की रणनीति बनाई। दहशत के 4 घंटे बीतने के बाद जैसे ही बेसमेंट में रेस्‍क्‍यू कर्मी आरिफ ने लाइट डालकर डंडे को पटका, तेंदुआ बेसमेंट के एक सिरे पर आकर आक्रामक हो गया। यह देखकर रेस्‍क्‍यू टीम के हाथ पांव फूल गए। इसके बाद दुबारा आवाज करने पर तेंदुआ बेसमेंट की एक खिड़की पर ट्रैंकुलाइजर गन लेकर बैठे वनकर्मी पर हमलावर हो गया और गुस्‍से में इतनी तेज झपट्टा मारा कि खिड़की की सरिया टूट गई। इससे वहां मौजूद लोगों में खूंखार तेंदुए का दहशत बढ़ गया।

ड्रिल मशीन से तोड़ा गया बेसमेंट का ऊपरी हिस्‍सा

दोपहर 2 बजे से बेसमेंट में सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ। पहले बेसमेंट के दोनों मुहानों को पटरों से सील किया गया। इसके बाद उसे कैद करने के लिए पिजड़े को एक मुहाने पर फिक्‍स किया गया। पिंजड़ा फिक्‍स करने के बाद डंडे से आवाज करके उसे बाहर निकालने की कवायद हुई। इसके बाद 2 बजकर 50 मिनट पर एक मुहाने पर तेंदुआ गुर्राते हुए आक्रामक मुद्रा में नजर आया। तेंदुआ बार-बार बेसमेंट के अंदर छलांग लगाकर कभी खिड़की तो कभी बेसमेंट के एक मुहाने पर निकल कर आ रहा था। लेकिन पिंजड़े की तरफ नहीं जा रहा था।इसके बाद बेसमेंट के ऊपरी हिस्‍से में उसकी लोकेशन के ठीक ऊपर ड्रिल मशीन से छेद करके उसे पिंजडे की तरफ भेजने की मशक्‍कत शुरू हुई। कोई रास्‍ता न देखकर वन विभाग की टीम ने ट्रेंक्यूलाइजर गन की मदद से से काबू करने की योजना बनाई।

लखनऊ में दहशत के 7 घंटे: पहले खूब छकाया, फिर फंसा खूंखार तेंदुआ

 

सिस्‍टर बोलीं- 60 बच्‍चों के साथ हो जाती घटना

स्‍कूल की प्रिंसपल जोशिया ने newstrack.com से बातचीत करते हुए बताया कि सुबह जब तेंदुए को देखा तो हलक सूख गया। हिम्‍मत करके छत से आवाज लगाकर सबको सतर्क किया। इसके बाद किसी तरह नीचे आकर सीसीटीवी में उसको देखती रहीं। कांपते हाथों से फोन उठाकर पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। इस समय स्‍कूल में जाड़े की छुट्टियां चल रही हैं। इसलिए यहां पढ़ने वाले 130 बच्‍चों में से सिर्फ 60 बच्‍चें परिसर में मौजूद थे। छुटटी और कड़ाके की ठंड के चलते सभी मूक बधिर बच्‍चें हॉस्‍टल में ही थे और हॉस्‍टल को वार्डन ने अंदर से बंद किया था। अगर नार्मल दिन होता तो बच्‍चे हॉस्‍टल के बाहर होते, शुक्र है उनके साथ कोई घटना नहीं हुई। हालांकि, तेंदुए के डर से बच्‍चे सहमे हुए थे और अपने छात्रावासों में ही दुबके रहे।

स्‍थानीय निवासियों में दिखा डर और कौतूहल

मिश्रीपुरा बाग के निवासियों में सुबह से इस रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन को लेकर तरह तरह की चर्चाएं होती रहीं। स्‍कूल के गेट के बाहर पुलिस ने बैरीकेड लगाकर इलाके को सील किया था। बैरीकेड के पास इलाकाई लोग टकटकी बांधकर तेंदुए के पकड़े जाने का इंतजार करते दिखे। पूछने पर स्‍थानीय निवासी मोहम्‍मद हसीम ने बताया कि तेंदुए के आने से उनके घर में सब डरे हुए हैं। जब तक इसे पकड़ा नहीं जाता है, तब तक राहत की सांस नहीं ले सकते। वहीं डरे सहमे बैठे श्रीपाल ने बताया कि सुबह से यहां तेंदुए की एक झलक पाने को बैठे हैं। पुलिस वालों ने इलाका सील कर रखा है, खूंखार जंगली जानवर के आने से बहुत डर लग रहा है। कमोबेश यही हाल वहां मौजूद असद, नागार्जुन सहित सभी इलाकाई लोगों का था।

मिनट टू मिनट तेंदुआ सर्च ऑपरेशन

-बता दें कि सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर सेंट फ्रांसिस मूक बधिर स्कूल में प्रिंसिपल सिस्‍टर जोशिया को तेंदुआ दिखा था।

- सिस्‍टर की सूचना पर करीब 10:30 मिनट पर पहुंची पुलिस।

-फिर लगभग 11 बजे वन विभाग की टीम पहुंची। फिर स्कूल 11 बजे से सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ।

-वन विभाग की टीम ने सबसे पहले तेंदुए की लास्ट लोकेशन सीसीटीवी में देखी और स्‍कूल में उसके पंजों के निशान को ट्रेस करते हुए एहतियात के तौर पर स्‍कूल कंपाउंड के बेसमेंट को पटरे लगाकर सील किया।

-दोपहर 1:30 मिनट तक स्कूल कंपाउंड में चला सर्च ऑपरेशन।

-फिर 2 बजे से बेसमेंट में शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन।

-दोपहर 2:30 मिनट पर बेसमेंट के एक मुहाने पर पिंजड़ा लगाया गया।

-करीब 2:50 मिनट पर बेसमेंट के दूसरे मुहाने पर लोकेट हुआ था तेंदुआ।

-शाम 4 बजे बेसमेंट के ऊपर से ड्रिल करके उसे पिंजड़े की तरफ भेजने की कवायद शुरू।

-शाम 4 बजकर 8 मिनट पर ड्रिल की आवाज से परेशान तेंदुआ आक्रामक मुद्रा में बेसमेट की खिड़की पर ट्रैंकुलाइजर गन लेकर बैठे वन कर्मी पर आक्रामक होकर उछला और खिड़की की सरिया तोड़ दी।

-शाम 4 बजकर 15 मिनट पर डॉ उत्‍कर्ष शुक्‍ला ने तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करने का निर्णय लिया।

-करीब शाम 5:30 बजे लखनऊ जू की टीम ने तेंदुए को ट्रैंकुलाइज किया। तेंदुए को दो डॉट से ट्रैंकुलाइज किया जा सका।

-करीब शाम 6 बजे तेदुए को पिंजड़े में कैद कर रेस्‍क्‍यू टीम लखनऊ जू रवाना हुई।

-मूक बधिर बच्‍चों ने तेंदुए के रवाना होने के बाद राहत की सांस ली।

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