Meerut News Today: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनाव लड़ने से किया इनकार

Meerut News Today: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है यानी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी 2022 में चुनाव नहीं लड़ेंगे।

Written By :  Sushil Kumar
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-12-13 07:50 GMT

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Meerut News Today: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी (Laxmikant Bajpai) ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है यानी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी 2022 में चुनाव नहीं लड़ेंगे। आज न्यूजट्रैक से बातचीत में लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनाव नही लड़ने के अपने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि मैंने पार्टी नेतृत्व को चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले के बारे में अवगत करा दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि क्योंकि मैं पार्टी का सिपाही हूं, इसलिए अगर पार्टी नेतृत्व मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहेगा तो मैं पार्टी के एक सच्चे सिपाही की मानिन्द चुनाव लड़ने से इंकार नहीं करुंगा।

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी जिन्हें पिछले महीने ही पार्टी की ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था के एकाएक चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय को लेकर अब तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व इस बार उन्हें चुनाव में टिकट देने के मूड में नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व के इस मूड को भांपते हुए ही लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। हालांकि कुछ लोंगो का यह भी कहना है कि क्योंकि वाजपेयी 70 साल के हो चुके हैं और पिछला चुनाव मोदी लहर के बावजूद हार चुके हैं ऐसे में लगता है कि पार्टी नेतृत्व उन्हें शायद ही चुनाव लड़ने का मौका देगी। इसके अलावा मेरठ की शहर सीट जहां से ध्रुवीकरण के चलते  लक्ष्मीकांत वाजपेयी अब तक चुनाव लड़ते हुए चार बार विधायक रह चुके हैं। वहां अब पहले के मुकाबले 50  प्रतिशत  से अधिक मुस्लिम मतदाता हो चुके हैं। ऐसे में अगर ध्रुवीकरण होता भी है तो भी उनके लिए चुनाव की राह आसान नही है।

बता दें कि 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद से लक्ष्मीकांत वाजपेयी लगातार हाशिये पर हैं । हालांकि बीच-बीच में कभी उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की चर्चाएं चलीं तो कभी एमएलसी बनाने जाने चर्चाएं चलती रहीं। उन्हें राज्यपाल बनाये जाने की चर्चाएं भी चलीं। लेकिन,चर्चाए चर्चाएं ही रहीं। नतीजन, लक्ष्मीकांत वाजपेयी खाली हाथ रहे। पिछले महीने उन्हें भाजपा की ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष जरूर बनाया गया है। लेकिन इसमें जैसी वर्तमान में उनकी पार्टी में स्थिति है इसको देखते हुए उनकी स्थित रबर स्टांम्प जैसी है। वैसे, एक समय था जब राजनीतिक पिच पर लक्ष्मीकांत वाजपेयीअपनी धुआंधार बैटिंग के लिए विख्यात थे। 14 साल की उम्र में जनसंघ से जुड़ने वाले वाजपेयी पार्टी के उन निष्ठावान सिपाहियों में रहे हैं जिन्होंने कि पार्टी के बुरे दिनों में भी पार्टी के साथ रहे हैं, कभी पार्टी का दामन नही छोड़ा।

लक्ष्मीकांत वाजपेयी का राजनीतिक करियर (laxmikant bajpai political career)

डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी 1989 में मेरठ की शहर सीट से पहली बार विधायक चुने गए। 1991 में चुनाव हुआ तो वह चुनाव दंगा होने के चलते काउंट नहीं हुआ। 1993 में शहर सीट से ही जनता दल के हाजी अखलाक से वह चुनाव हार गए। 1996 में दूसरी बार विधायक चुने गए। 2002 के विधानसभा चुनाव में फिर विधायक बने और प्रदेश में गठबंधन सरकार में पशुधन दुग्ध विकास मंत्री रहे। 2007 के विधानसभा चुनाव में फिर से चुनाव हार गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में मेरठ की शहर सीट से ही विधायक चुने गए। दिसंबर 2012 में उन्हें भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पद की जिम्‍मेदारी सौंपी गई। उनके ही प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल में 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 80 में से 71 सीटें हासिल की थीं। लेकिन,2017 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी पार्टी द्वारा किनारे लगा दिए गये। तब से अभी तक डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी हाशिये पर ही हैं।

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