Deoband Darul Uloom Website: दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर लगाया गया बैन, जानें क्या है वजह
Deoband Darul Uloom Website: सहारनपुर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने देवबंद दारुल उलूम की आधिकारिक वेबसाइट पर आंशिक रोक लगा दी है।
Saharanpur News In Hindi Today: सहारनपुर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने देवबंद दारुल उलूम (Deoband Darul Uloom) की आधिकारिक वेबसाइट पर आंशिक रोक लगा दी है। इतना ही नहीं जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि फिलहाल वेबसाइट की जांच चल रही है और यदि कुछ भी गलत पाया जाता है तो कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है। सहारनपुर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के आदेश के बाद देवबंद दारुल उलूम जो कि अपनी दीनी शिक्षा के लिए पूरे एशिया में मशहूर है तो वही दारूल उलूम के शरद संबंधी समस्याओं के निवारण और फतवे दिए जाने के कारण इसे फतवा की नगरी भी कहा जाता है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के फतवा को लेकर यूपी सरकार से वेबसाइट की जांच करने करने के लिए कहा था। आयोग ने कहा था कि जब तक वेबसाइट से इस तरह की सामग्री नहीं हटा ली जाती जो कि बच्चों की पहुंच में आसानी से है प्रतिबंध कर दिया जाए। आयोग ने कहा था कि वेबसाइट पर पौधों की सूची है जो देश के कानून के अनुसार प्रदान किए गए प्रावधानों के खिलाफ है। साथ ही यह भी कहा कि इस तरह के बयान बच्चों के अधिकारों के विपरीत हैं और वेबसाइट खुली पहुंच उनके लिए हानिकारक है।
आयोग ने राज्य सरकार के भारत संविधान के भारतीय दंड संहिता किशोर न्याय अधिनियम और शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन मानते हुए संस्थान के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के साथ ही यूपी सरकार को 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए। जिसके बाद जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम को नोटिस जारी कर दिया था। देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम ने जवाबी पत्र में आपत्ति किए गए उन सभी लिंकों को हटा दिया गया है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने दिया था वेबसाइट पर रोक लगाने का आदेश
जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा सहारनपुर जिलाधिकारी के नाम पर एक पत्र भेजा गया था जिस पर दारूल उलूम की वेबसाइट पर ऐसे सवालों के जवाब थे, जिन्हें फतवों की दृष्टि से देखा जाता है और जो कि आपत्तिजनक थे। यह चाइल्ड राइट्स का उल्लंघन इस क्रम में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने वेबसाइट पर रोक लगाने के लिए कहा था। उनका कहना था कि जो भी कानून है उन सभी कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। इतना ही नहीं इस में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
इन सभी का संज्ञान लेते हुए दारुल उलूम के मोहतमिम को एक नोटिस जारी किया था जिसका उत्तर मोहतमिम ने दिया है। इस उत्तर में सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों का जिक्र किया गया है और उन लोगों के अंश को उल्लेखित किया गया है। साथ ही यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया है कि जो भी सवाल पूछे जाते हैं वह व्यक्तिगत हैं इनका फतवों का प्रभाव नहीं रखता है। जवाब का परीक्षण करा रहे हैं, इस मामले में विधिक राय ली जा रही है इसलिए आयोग ने निर्देश दिया था कि जो भी विवादित सामग्री है उसे हटवाने बेबसाइट पर रोक लगा दे उनके जो लिंक को रोका जाए।
उप जिलाधिकारी द्वारा उन्हें सूचना दी गई है जो भी आपत्तिजनक सामग्री थी उसे हटा लिया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि विधिक मत लेने के बाद यदि इसमें कानून का उल्लंघन पाया जाता है या इन्हें फतवो की तरह से मानते हैं, अभी इसकी जांच चल रही है, अभी यह प्रमाणित होना बाकी है। चाइल्ड राइट्स का उल्लंघन किया गया है या नहीं इसके अलावा जो भी विवादित सामग्री है उस पर रोक लगा दी गई है। जिलाअधिकारी ने बताया कि यदि और उल्लंघन पाया गया तो इसमें कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इतना ही नहीं यदि वेबसाइट पर बच्चों के अलावा महिलाओं संबंधी अधिकारों का भी उल्लंघन पाया गया तो उस पर भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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