UP Election 2022: सहारनपुर देहात में 'एमडी' फैक्टर तय करेगा नतीजा
Up Election 2022 : सहारनपुर देहात सीट पूर्व कांग्रेसी मसूद अख्तर (Former Congressman Masood Akhtar) के चलते चर्चा में है। वैसे, इस सीट पर चुनावी परिणाम 'एमडी' फैक्टर (MD Factor) तय करेगा।
UP Election 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव (Up Election 2022 ) में सहारनपुर देहात (Saharanpur dehat Assembly Seat) भी एक हॉट सीट बनी हुई है। यहां से बसपा सुप्रीमो मायावती (Bsp supremo Mayawati) विधायक बनीं थीं। अब तक जितने चुनाव हुए हैं उनमें यह सीट 6 बार कांग्रेस (Congress) , 6 बार सपा (Samajwadi party) और पांच बार बसपा (Bsp) के खाते में गई है। सिर्फ 1993 में एक बार यह सीट भाजपा जीत पाई थी।
इस बार ये सीट पूर्व कांग्रेसी मसूद अख्तर (Former Congressman Masood Akhtar) के चलते चर्चा में है। वैसे, इस सीट पर चुनावी परिणाम 'एमडी' फैक्टर (MD Factor) तय करेगा। और एमडी फैक्टर है - मुस्लिम और दलित, जो यहां के सबसे बड़े मतदाता हैं।
मसूद अख्तर अब सपा में शामिल
भाजपा ने इस बार सहारनपुर देहात सीट से जगपाल सिंह को टिकट दिया है। जगपाल सिंह इस सीट पर 2012 में बसपा से विधायक रहे थे और 2017 के चुनाव में वह दूसरे नबंर पर रहे थे। इस सीट से कांग्रेस के विधायक रहे मसूद अख्तर अब सपा में शामिल हो चुके हैं। हालांकि सपा ने आशु मलिक को चुनाव लड़ने के लिए पार्टी सिंबल दे दिया है।
कांग्रेस ने पूरन पांडेय को टिकट दिया जबकि तो बसपा ने अजब सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच भी कांग्रेस नेता मसूद अख्तर कांग्रेस-सपा गठबंधन के टिकट पर जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। इस बार दलबदल के बावजूद उनको सपा से टिकट नहीं मिला है।
6000 और धीमन जाति के मतदाता हैं
तीन लाख 16 हजार मतदाताओं वाली सहारनपुर देहात विधानसभा क्षेत्र में 1,27,000 मुस्लिम मतदाता हैं। यानी 50 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। दूसरे नंबर पर 1,17,000 दलित मतदाता हैं। सो यही दो वोटर सहारनपुर देहात पर निर्णायक फैक्टर बनते हैं।
अन्य जातियों में ठाकुर, कश्यप, यादव, 6000 और धीमन जाति के मतदाता हैं। दलित मतदाताओं के चलते बसपा की पकड़ मजबूत मानी जाती है, जबकि मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की मजबूती कही जा सकती है।
2007 में बसपा के जगमोहन सिंह विधायक बने
2012 से पहले इस सीट को हरोड़ा के नाम से जाना जाता था और ये रिज़र्व सीट थी। 2012 में इसे सहारनपुर देहात सीट का नाम मिला और ये सामान्य सीट हो गई। ये भी एक अजीब सी बात है कि बड़ी संख्या में दलित मतदाताओं के होते हुए भी ये सामान्य सीट बना रखी गई है।
बहरहाल, दलित वोट बैंक के दम पर मायावती इस सीट से 1996 और 2002 में विधानसभा चुनाव जीती थीं। 2007 में बसपा के जगमोहन सिंह विधायक बने। परिसीमन के बाद 2012 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए, जिसमें बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी जगपाल की जीत हुई। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मसूद अख्तर ने जीत दर्ज की जबकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी जगपाल दूसरे स्थान पर रहे।
मसूद फैक्टर
ममसूद अख्तर और इमरान मसूद सहारनपुर के प्रभावशाली नेता हैं। इन दोनों ने हाल ही में कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी जॉइन की है। लेकिन अब वहां भी दोनों को भाव नहीं मिल रहा है। दरअसल, सहारनपुर की राजनीति में कभी काजी रशीद मसूद और चौधरी यशपाल का दबदबा होता था। दोनों कभी एक साथ किसी पार्टी में नहीं रहे।
मसूद अगर मुलायम के साथ रहे तो यशपाल कांग्रेसी हो जाते थे और जब यशपाल मुलायम के करीब आते थे तो मसूद कांग्रेसी हो जाते थे। अब काजी रशीद मसूद की जगह इमरान मसूद हैं जबकि चौधरी यशपाल के उत्तराधिकारी उनके बेटे चौधरी रुद्रसेन हैं जो सपा के जिलाध्यक्ष हैं। हालांकि सपा ने उनको भी टिकट नहीं दिया है। सो, मसूद फैक्टर अब क्या गुल खिलायेगा, ये भी रोचक बन गया है।
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