UP Election 2022: नकुड़ के चुनावी महाभारत में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

UP Election 2022: इस सीट की खासियत रही है कि जिस प्रत्याशी के साथ अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता चले गए वही जीता है। इसी समीकरण और सैनी के अपने इतिहास को देखते हुए उनपर समाजवादी पार्टी ने भरोसा जमाया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-02-02 20:24 IST
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

UP Election 2022: यूपी के चुनाव में सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट पर मुकाबला कही रोचक बन गया है। ये भाजपा के लिए महत्वपूर्ण सीट बन चुकी है क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र के 64 साल के इतिहास में पहली बार 2017 में भाजपा के धरम सिंह सैनी की जीत हुई थी जिसके बाद उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया गया था। लेकिन इस बार चुनाव से पहले सैनी भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं और सपा के टिकट पर मैदान में हैं। ऐसे में भाजपा के सामने चुनौती हो गयी है कि वह यहाँ फिर से जीत दर्ज करके 'कमल' के महत्व को साबित कर सके।

इस सीट की खासियत रही है कि जिस प्रत्याशी के साथ अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता चले गए वही जीता है। इसी समीकरण और सैनी के अपने इतिहास को देखते हुए उनपर समाजवादी पार्टी ने भरोसा जमाया है। भाजपा ने गुर्जर समाज के मुकेश चौधरी पर दांव खेला है।

वह पहले ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं। चूँकि नकुड़ भाजपा की सिटिंग सीट थी, इसलिए मुकेश चौधरी के साथ ही भाजपा के लिए भी ये प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गयी है। वहीं पहली बार भाजपा से सियासी समर में कूदे हैं मुकेश चौधरी जिनके सामने चुनौती है कि वह अपनी पार्टी को दूसरी जीत दिला सकें।

बीजेपी और समाजवादी पार्टी के झंडे की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

वहीं सपा छोड़ बसपा में गए साहिल खान का राजनीतिक भविष्य भी यही चुनाव वजूद तय करेगा। उनके पिता ख़ालिद ख़ान नकुड़ के पूर्व चेयरमैन रहे हैं। साहिल खान भी चुनाव जीतकर अपनी सियासी ताकत दिखाना चाहते हैं। कांग्रेस भी पीछे नहीं रहना चाहती और उनके प्रत्याशी रणधीर भी जनता के बीच अपना नाम दर्ज कराने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। दस मार्च को ही तय होगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।

वैसे इस सीट पर समीकरण भी अलग तरह का है। नकुड़ उन चुनिन्दा सीटों में से है जहाँ मुस्लिमों की संख्या लगभग आधी है। ऐसे में इस समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखता है।

आंकड़ों के लिहाज से नकुड़ विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 48 हज़ार मतदाता हैं, जिसमें 1 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा मतदाता मुस्लिम हैं। जातिगत गिनती का कोई सरकारी आंकड़ा तो नहीं लेकिन अलग अलग अनुमान हैं की यहाँ 50 हज़ार मतदाता अनुसूचित जाति के, 40 हजार गुर्जर 35 हजार सैनी और 25 हजार कश्यप मतदाता हैं। 2017 में नकुड़ विधानसभा में हुए चुनाव में करीब 37 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था और उस चुनाव में धर्म सिंह सैनी ने कांग्रेस के इमरान मसूद को 4057 वोट के अंतर से हराने में सफलता हासिल की थी। अब इमरान मसूद मैदान से बाहर हैं। ऐसे में नकुड़ विधानसभा का चुनाव दिलचस्प होता दिख रहा है. सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं.

महाभारत से ताल्लुक

ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने महाभारत युद्ध के दौरान नकुड़ की स्थापना की थी। यहाँ एक वृक्ष है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी के नीचे नकुल ठहरे थे। अब यहां एक महादेव का मंदिर बन गया है। इसके अलावा नकुड़ का एक पठान इतिहास भी है। बताया जाता है कि शेरशाह सूरी के वंश के पश्तूनों ने नकुड़ में अपना घर बनाया था।

कब कौन जीता

इस विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। 1952 और 1957 में कांग्रेस के दाता राम विधायक निर्वाचित हुए। 1962 में कांग्रेस के यशपाल सिंह चौधरी जीते जबकि 1967 और 1969 में निर्दलीयों की जीत हुई। 1974, 1977 और 1980 में फिर कांग्रेस के यशपाल चौधरी विधायक बने। 1985 में रालोद के रामशरण, 1989 और 1991 में कुंवर पाल सिंह जीते। 1993 में यशपाल सिंह चौधरी जीत गए। 1996 में कुंवरपाल सिंह निर्दलीय जीत गए। 2000 में हुए उपचुनाव में रालोद के प्रदीप चौधरी इस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। 2002 में कांग्रेस के सुशील चौधरी, 2007 में बसपा के महिपाल सिंह, 2012 में धरम सिंह सैनी (उस समय बसपा में थे), 2017 में फिर जनता ने धरम सिंह सैनी पर भरोसा जताया। 2017 में धरम सिंह सैनी ने भाजपा ज्वाइन कर चुनाव लड़ा और विजयी हुए।

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