मथुरा: जान को जोखिम में डालकर यात्री सफर करने को मजबूर, खुली रेलवे की पोल

Update: 2017-07-09 07:58 GMT

मथुरा: देश और प्रदेश में सरकार भले ही बदली हो, लेकिन यहां की व्यवस्था नहीं बदली। जिसका एक उदहारण मथुरा में उस समय देखने को मिला, जब गोवर्धन में चल रहे मुड़िया पूर्णिमा मेले पर रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई। मथुरा कासगंज पैसेंजर ट्रेन आजकल 'मौत के सफर की ट्रेन' बन गई है।

इस ट्रेन को मौत के सफर की ट्रेन इस लिए कहा गया क्योंकि जिस तरह से सैकड़ों लोग गोवर्धन जाने के लिए ट्रेन की छत पर बैठकर, अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। उससे अगर कहीं कोई हादसा किसी यात्री के साथ हो जाए, तो ये ट्रेन मौत के सफर की ट्रेन ही साबित होगी।

मुड़िया मेले में जिस तरह लोग कोसों दूर से ट्रेन की छत पर बैठकर सफर करते हुए मथुरा के छावनी स्टेशन पहुंचे, तो नजारा बहुत अजीब था।

जब इसके बारे में स्टेशन पर तैनात रलवे कर्मचारी अजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने रेलवे विभाग की लापरवाही को साफ़ नकार दिया और उल्टा सारा कसूर उन लोगों का बताया जो कि ट्रेन पर रूफ राइडिंग करके आ रहे थे।

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क्या बोला कर्मचारी

-उसने कहा कि हम इसमें यही कर सकते हैं कि ऐसे लोगों को ट्रेन से उतार कर गाड़ी को चला रहे हैं।

-लोग अपने आप ही इस तरह सफर करते हैं जबकि मेले के लिए ट्रेनों में अलग से डिब्बे बढ़ा दिए गए हैं।

-इसमें रेलवे की कोई भी लापरवाही नहीं है।

-ट्रेन पर यात्रियों का सफर देखकर यही लगता है कि इस अव्यवस्था से रेलवे प्रशासन बेखबर है।

-मुड़िया पूर्णिमा मेले को लेकर रेलवे द्वारा किये जा रहे सारे दावे खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं।

मेले में यातायात व्यवस्था की पोल खुल गई है।

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क्या कहना है यात्रियों का

वहीं यात्रियों का कहना है कि रेल विभाग को मेले के लिए ज्यादा ट्रेनें चलानी चाहिए। भीड़ बहुत है और ट्रेनें कम, इसी लिए हम लोग ट्रेन के ऊपर सफर करने को मजबूर हैं।

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