Baghpat News: महाभारत काल की गूंज: बागपत के तिलवाड़ा में मिली प्राचीन सभ्यता के अवशेष

Baghpat News: 11 दिसंबर 2024 से शुरू हुई खुदाई में अब तक बड़ी संख्या में मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) मिले हैं, जिनकी बनावट सिनौली साइट पर मिले अवशेषों से मेल खाती है।;

Report :  Paras Jain
Update:2025-01-25 21:56 IST

 बागपत के तिलवाड़ा में मिले महाभारत काल के अवशेष (Photo- Social Media)

Baghpat News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत की ऐतिहासिक जमीन एक बार फिर पुरातात्विक खोजों का केंद्र बन गई है। तिलवाड़ा गांव के ऊंचे टीले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई के दौरान महाभारत कालीन सभ्यता के चिह्न मिलने की संभावना ने इतिहासकारों और शोधकर्ताओं को रोमांचित कर दिया है।

सिनौली के बाद तिलवाड़ा का खुलासा

11 दिसंबर 2024 से शुरू हुई खुदाई में अब तक बड़ी संख्या में मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) मिले हैं, जिनकी बनावट सिनौली साइट पर मिले अवशेषों से मेल खाती है। इनमें से एक बड़ा बर्तन ऐसा है, जिसे शवाधान केंद्रों पर उपयोग किया जाता था। इसके साथ ही जानवरों की हड्डियों के कुछ अवशेष भी मिले हैं, जो तत्कालीन जीवनशैली और संस्कारों पर रोशनी डालते हैं।


तीन बीघा जमीन पर इतिहास की परतें

श्मशान घाट के पीछे स्थित इस टीले पर करीब तीन बीघा गन्ने के खेत में खुदाई की जा रही है। खेत का यह हिस्सा आसपास की जमीन से लगभग पांच-छह फीट ऊंचा है। खुदाई के दौरान दो बड़े ट्रेंच बनाए गए हैं, जिनसे गोलाकार और विविध आकार के बर्तन निकलने शुरू हुए हैं। इनकी बनावट और उपयोग को देखकर शोधकर्ताओं को तिलवाड़ा के महाभारत कालीन होने की संभावना और प्रबल लग रही है।


कुर्डी गांव में भी मिले अवशेष

तिलवाड़ा से कुछ ही दूरी पर स्थित कुर्डी गांव में भारतीय विरासत संस्थान के शोधार्थियों ने खुदाई के पहले चरण में एक प्राचीन दीवार का भाग खोजा है। इस दीवार की ईंटों को सुरक्षित निकालने का कार्य जारी है। दोनों स्थानों पर मिले अवशेषों की कार्बन डेटिंग के बाद ही इनकी सही उम्र और ऐतिहासिक महत्व का निर्धारण किया जा सकेगा।

बागपत बन सकता है वैश्विक पुरातत्व केंद्र

सिनौली के बाद तिलवाड़ा और कुर्डी की खोजों ने बागपत को एक बार फिर पुरातत्व के वैश्विक मानचित्र पर ला खड़ा किया है। ASI और अन्य संस्थान यहां अगले कुछ महीनों तक खुदाई जारी रखेंगे, जिससे इन स्थलों के और भी रहस्यमय पहलू उजागर होने की संभावना है। बागपत की यह ऐतिहासिक भूमि अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रही है, जो न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक पुरातत्व के क्षेत्र में नए अध्याय जोड़ने का वादा करती है।

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