BHU CASE: आंखों में थी तकलीफ, दे दी कैंसर की BANNED दवा

Update: 2016-02-01 10:07 GMT
बीएचयू आईएमएस।

वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में इलाज के दौरान सात लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में नया खुलासा हुआ है। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने विक्टिम्स की आंखों में यूरोपियन यूनियन और अमेरिका सहित पूरे विश्व में बैन की जा चुकी दवा, एवेस्टीन नाम का इंजेक्शन लगाया गया था।

ऑफ लेबल दवा की तरह होता है इस्तेमाल

ऑफ लेबल ड्रग की तरह इस्तेमाल होने वाली एवेस्टीन को कैंसर के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इसके अच्छे साइड इफेक्ट के रूप में पाया गया कि आंखों की रेटिना में होने वाले cystoid macular edema यानी कि धब्बेदार सूजन में राहत देता है। एवेस्टीन को बनाने वाली कंपनी 'रोश' ने भी दावा किया है कि उसने कभी इस दवा को आंखों के इलाज के लिए रिकमेंड नहीं किया है।

क्या हुआ 28 जनवरी को?

-बीएचयू के ओप्थोमोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ ओपीएस मौर्य के देखरेख में इलाज चल रहा था।

-कुछ पेशेंट्स ने कुछ दिखाई न देने की शिकायत की।

-रेटिना में सूजन की शिकायत पर डॉ मौर्य ने मरीजों के तीमारदारों को एवेस्टीन लाने को कहा।

-परिजन बीएचयू के बाहर स्थित न्यू अमर फार्मा से इंजेक्शन ले आए।

-ये इंजेक्शन लगाए जाने के बाद सात मरीजों के आंखों की रोशनी चली गई।

एचओडी का दावा

-डॉ ओपीएस मौर्य का दावा है कि इलाज के लिए गलती से या जानबूझकर कोई दवा दी गई है।

-उनके मुताबिक जो दवा दी गई है, वो दुनियाभर में आंख के मरीजों को दी जाती है।

-उन्होंने कहा, दवा पैकिंग में आती है और इसके चलते डॉक्टरों को भरोसा करना पड़ता है।

-उम्र के साथ आंखों में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में ये दवा काफी कारगर साबित हुई है।

-जांच में पता चला है कि घटिया दवा के कारण समस्या आई।

ये हैं विक्टिम

दिल्ली निवासी विनोद सिंह, चुनार निवासी आत्माराम, वाराणसी के शिवपुर के निवासी हरिहर सिंह, लक्ष्मण शर्मा(बनारस), सोनभद्र के रहने वाले रामगहन प्रजापति, कमला सिंह और जगदीश सिंह।

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