PFI Ban: बरेली के मौलाना को PFI बैन का समर्थन करना पड़ा भारी, मिली जान से मारने की धमकी

PFI Ban: बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी बयान जारी कर सरकार का शुक्रिया अदा किया था।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-09-30 08:45 IST

टेरर फंडिंग में PFI पर पांच साल का बैन: Photo- Social Media

PFI Ban: कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े कुछ संगठनों पर केंद्र सरकार के सख्त एक्शन के बाद से प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। मुस्लिम समाज का एक बड़ा धड़ा शुरू से इस कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ रहा है। ऐसे में इस तबके की तरफ से संगठन को बैन करने के फैसला का स्वागत किया जा रहा है। बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी बयान जारी कर सरकार का शुक्रिया अदा किया था। लेकिन अब उन्हें इसे लेकर जान से मारने की धमकियां मिलने लगी है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दरगाह आला हजरत बरेली शरीफ मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर बैन लगाकर एक नया संदेश दिया गया है। उनके इस बयान के बाद मौलाना को फोन पर किसी ने जान से मारने की धमकी दे डाली। मौलाना की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

शाहनी बाग से आया था कॉल

जान से मारने की धमकी मिलने के बाद मौलाना और उनका परिवार दहशत में है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बरेली डीएम को पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। पत्र में उन्होंने बताया कि पीएफआई पर लगे बैन का समर्थन करने के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी फोन पर दी गई है। रजवी ने खत में धमकी देने वाला का मोबाइल नंबर भी शेयर किया है।

उन्होंने बताया कि गुरूवार दोपहर उन्हें एक धमकी भरा कॉल आया था। कॉल करने वाला शख्स अपनी पहचान दिल्ली के शाहीन बाग निवासी अब्दुस्समद बता रहा था। उसने कहा, 'अपनी जुबान बंद कर लो, वरना अंजाम बुरा होगा।' मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया, मैं हमेशा से प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पीएफआई के खिलाफ बोलता रहता हूं, इसलिए वे मेरी आवाज को दबाना चाहते हैं।

पुलिस ने मौलाना की शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाकर उसकी तलाश की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को कट्टरपंथियों की तरफ से धमकियां मिल चुकी है। रिजवी ने पैगंबर मोहम्मद विवाद के कारण उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या की तीखी आलोचना की थी।

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