मोदी के स्वच्छ भारत के सपने पर खरे नहीं उतरे स्कूल, अभी भी है शौचालय का अभाव
स्मार्ट सिटी बनने की और अग्रसर ताजनगरी आगरा के सरकारी स्कूल में पीएम मोदी के स्वच्छ भारत के सपने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। अभी भी स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। शौचालय नहीं होने से कई बार छात्र-छात्राओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। हालात इस कदर बिगड़ गए है कि अब छात्र-छात्राओं ने शौचालय न होने की वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया है।
आगरा: स्मार्ट सिटी बनने की और अग्रसर ताजनगरी आगरा के सरकारी स्कूल में पीएम मोदी के स्वच्छ भारत के सपने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। अभी भी स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। शौचालय नहीं होने से कई बार छात्र-छात्राओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। हालात इस कदर बिगड़ गए है कि अब छात्र-छात्राओं ने शौचालय न होने की वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया है।
आगरा जिले में स्वच्छता के लिए अभियान चल रहा है। स्कूलों में भी बच्चों को खुले में शौच नहीं करने का ज्ञान दिया जा रहा है। इसका असर भी बच्चों पर होने लगा है। जगदीशपुरा स्थित प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने जिस प्रकार से अपना विरोध दर्ज कराया है उससे स्वच्छता की पोल भी खुलने लगी है। यहां की छात्राएं शौचालय नहीं होने के कारण स्कूल जाना छोड़ दिया है।
स्कूल में शुद्ध पेयजल की और शौचालय की समस्या को प्रबंधन की ओर से दूर नहीं करने की स्थिति में छात्राओं को यह कदम उठाना पड़ा। शौचालय के अभाव में वे विद्यालय में मनचलों से भी डरी रहती हैं। छात्राओं का साफ तौर पर कहना है कि शौचालय न जाना पड़े इसलिए वो पानी नहीं पीती, लेकिन अब सर्दियां खत्म हो रही है गर्मियों में पानी नही पिएंगी तो बीमार हो जाएगी। इस कारण स्कूल छोड़ने का फैसला लिया है।
क्या बताया प्रिंसिपल ने?
वहीं स्कूल के प्रिंसीपल ने बताया कि स्कूल में शौचालय की व्यवस्था ना होने के कारण छात्राओं को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है जिसके कारण छात्राओं ने एक-एक करके स्कूल छोड़ना शुरू कर दिया है। दो माह पहले एससी आयोग के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया ने यहां धरना दिया था और एलान किया था कि अगले 15 दिन में यहां सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ और ना ही सांसद कठेरिया ने दोबारा मुड़कर इस और देखा।
अब ऐसे में जहां लगातार विकास की बात कही जा रही है स्वच्छ भारत अभियान के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। बच्चों का स्कूल छोड़ना कहीं ना कहीं इन दावों की पोल खोलता हुआ नजर आता है