दबंगों की छ़ेड़छाड़ की वजह से परिवार के पलायन की घटना को पुलिस ने नकारा
ताजा मामला मेरठ से सटे बागपत के मीतली गांव का है जहां छेड़छाड़ से तंग आकर ई-रिक्शा चालक मनोज कुमार का परिवार गांव से पलायन कर गया। हालांकि एएसपी रण विजय सिंह न्यूजट्रैक से बातचीत में पलायन की बात को सिरे से नकारते हुए इतना ही कहते हैं कि उनके कार्यालय पर शनिवार को मीतली गांव निवासी मनोज कुमार ई-रिक्शा चालक ने एक प्रार्थना पत्र देकर बताया।
मेरठ: उत्तर प्रदेश में खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पलायन का क्रम अभी थामा नही है। यह अलग बात है कि पलायन के कारण अलग-अलग हैं। यानी कहीं सांप्रदायिक कारणों के चलते पलायन हो रहा है तो कहीं इलाके के दंबगों से अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए किसी को पलायन करना पड़ रहा है।
ताजा मामला मेरठ से सटे बागपत के मीतली गांव का है जहां छेड़छाड़ से तंग आकर ई-रिक्शा चालक मनोज कुमार का परिवार गांव से पलायन कर गया। हालांकि एएसपी रण विजय सिंह न्यूजट्रैक से बातचीत में पलायन की बात को सिरे से नकारते हुए इतना ही कहते हैं कि उनके कार्यालय पर शनिवार को मीतली गांव निवासी मनोज कुमार ई-रिक्शा चालक ने एक प्रार्थना पत्र देकर बताया। गांव का ही एक युवक किसी भी समय उसके घर में घुस जाता है और उसकी पत्नी से छेड़छाड़ करता है। विरोध करने पर मारपीट भी करता है।
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एक जून की रात में करीब 10 बजे आरोपी घर में घुसा और उसकी पत्नी से जबरदस्ती करने लगा। जब वह बचाव में आया तो उसके साथ भी मारपीट की। आरोपी मारने की धमकी देकर चला गया। बकौल एएसपी रणविजयसिंह,परिवार को पूर्ण सुरक्षा का भरोसा दिलाया और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोतवाली पुलिस को निर्देश दिए, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की पलायन वाली बात पूरी तरह गलत हैं।
इससे पहले बीती मई माह में मेरठ में शोहदे की दबंगई से परेशान एक परिवार द्वारा पुलिस से मदद न मिलने पर अपने घर के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ लिख दिया। अब यह परिवार रिश्तेदारों के यहां शरण लेने को मजबूर है। यह चर्चित मामला लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र का है। पावरलूम चलाकर परिवार को पाल रहे इस व्यक्ति की बेटी हापुड़ रोड स्थित एक बालिका कॉलेज में कक्षा 9 की छात्रा है,जिसको पड़ोसी युवक सरेआम छेड़छाड़ कर परेशान करता है।
बताते हैं कि किशोरी का पीड़ित परिवार थाने पहुंचा और तहरीर दी। लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय पिलोखड़ी चौकी की तरफ उन्हें टरका दिया। चौकी पहुंचे तो पुलिस का व्यवहार बेहद चौंकाने वाला था। तहरीर लेकर पुलिस ने परिवार को चलता कर दिया। परिवार पुलिस के सामने गिड़गिड़ाता रहा। लेकिन पुलिस को तरस नहीं आया। इसके बाद परिवार वहां से घर लौटा और सामान समेटकर घर के बाहर मकान बिकाऊ का पोस्टर लगाकर वहां से कहीं चला गया। छेड़छाड़ से तंग होकर परिवार ने घर छोड़ दिया।
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इसी क्रम में अप्रैल माह में सहारनपुर में ग्राम दाबकी के निकट शुभ सिटी कॉलोनी में तीन दिन पूर्व दो पक्षों में हुई मारपीट ने तूल पकड़ लिया है। मामला दो समुदाय से जुड़ा हुआ है। दहशत में एक पक्ष के लोगों ने पलायन की चेतावनी देकर घरों पर बिकाऊ है के पोस्टर लगा दिए । मामला पुलिस और प्रशासन के संज्ञान में आया तो हड़कंप मच गया। अधिकारी मामले को शांत करने के लिए अब आरोपियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दे रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पलायन का मामला मीडिया की सुर्खियों में तब आया जब कैराना में अगस्त 2014 में एक सप्ताह के अंदर तीन व्यापारियों की रंगदारी नहीं देने पर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कस्बे के व्यापारियों में दहशत फैली और कई परिवार पलायन कर गए। 2016 में कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने 346 परिवारों की पलायन सूची जारी कर राजनीति में हलचल मचा दी थी।
गौरतलब है कि हुकुम सिंह ने इसकी शिकायत गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी की थी। उनका कहना था कि मुस्लिमों के दबाव के चलते हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि वे बाद में अपने दावे से पलट गए थे और कहा था, ‘मैंने कभी हिंदुओं के पलायन का मुद्दा नहीं उठाया, मेरा मुद्दा सिर्फ पलायन रहा. मैंने कभी ऐसा नहीं कहा कि पलायन किसी वर्ग विशेष के कारण हो रहा है। बढ़ता अपराध कैराना से पलायन का कारण है और उसके लिए यूपी की समाजवादी सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि सपा सरकार अपराधियों को रोक पाने में नाकाम रही।
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2017 के विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा गर्माया। 2019 के लोकसभा चुनाव की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ ने कैराना में पलायन कर गए लोगों की वापसी को मुद्दा बनाया और कहा कि भाजपा के शासन में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है, इसीलिए पलायन कर गए लोग अब वापस आ रहे हैं।