जंग खा रही हैं दिव्यांगों को बांटी जाने वाली ट्राई साईकिलें, खुद विभाग ही बन गया है दिव्यांग

Update: 2017-05-05 06:01 GMT

मुरादाबाद: जिले में प्रशासन की लाहपरवाही और स्थानीय सांसद की उदासीनता ने दिव्यांगों के लिए खरीदे गए लाखों रुपए के सामान को कबाड़ बना दिया। मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र के दिव्यांगों के लिए खरीदी गयी ट्राई साईकिलों को पिछले एक साल से वितरित नहीं किया गया। पुलिस अस्पताल के प्रांगण में रखी सैकड़ों साईकिलें जंग खाकर कबाड़ में तब्दील हो गईं और अधिकारी वितरण के लिए लाभार्थियों की सूची बनाते रह गए।

जिला प्रशासन और जिम्मेदार विभाग अब सांसद को साईकिलों के खराब होने के लिए जिम्मेदार ठहरा कर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है की आखिर 22 लाख 23 हज़ार रुपइ की ट्राई साईकिलों को कबाड़ होने से रोकने की कोशिश क्यों नहीं की गई और अब दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी?

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जिला पुलिस अस्पताल के मैदान में रखी इन ट्राई साईकिलों को एक साल पहले विकलांगो को वितरित करने के लिए खरीदा गया था। 12 सितंबर 2016 को इन साईकिलों का वितरण स्थानीय भाजपा सांसद द्वारा किया जाना था, लेकिन समय ना मिलने के चलते यह कार्यक्रम टाल दिया गया। इसके बाद भारतीय कृतिम अंग निर्माण निगम और स्थानीय सांसद द्वारा बड़े स्तर पर कार्यक्रम कराने की बात कही गई और मुरादाबाद के साथ बिजनोर जनपद के लाभार्थियों को भी कार्यक्रम में शामिल करने को कहा गया।

एक हजार से ज्यादा लाभार्थियों को लेकर बड़े कार्यक्रम की तैयारी कर ली गई थी, लेकिन फिर कैबिनेट मंत्री को बुलाने को लेकर मामला फंस गया और साईकिलें फिर भी नहीं बंट पाई।

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जिला विकलांग जन विकास अधिकारी अभय श्रीवास्तव एलिम्को और सांसद की उदासीनता और प्रशासन की लाहपरवाही के बाद जंग खाकर बेकार हो चुकी ट्राई साईकिलों को अब लाभार्थियों को नहीं वितरित किया जा सकता। कबाड़ हो चुकी ट्राई साईकिलों को वितरित करने के लिए अब आनन-फानन में 21 मई को कार्यक्रम रखा गया है। लेकिन प्रशासन को अभी भी सांसद का कार्यक्रम नही मिल पाया है।

प्रशासन के अधिकारी भी मानते हैं कि इन साईकिलों को अब वितरित नहीं किया जा सकता। लाखों रुपए मूल्य की साईकिलों को अब अधिकारी बदलवाने की बात कह रहे हैं। विकलांग जन कल्याण अधिकारी का दावा है कि जो साईकिल सही हो सकती है। उनकी मरम्मत की जा सकती है। लेकिन ज्यादातर साईकिलों को बदला ही जाएगा। ऐसे में एलिम्को को अब पहली से तैयार साईकिलों को वापस लेकर नई साईकिलों को भेजना होगा।

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जंग खाकर सैकड़ों ट्राई साईकिलें कबाड़ में तब्दील हो गई, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर ज़ू भी नही रेंगी। लाखों रुपए की जो साईकिल दिव्यांगों को वितरित होनी थी। वो उदासीनता के चलते वितरित नहीं हो सकी। दिव्यांगों का कल्याण सरकार की प्राथमिकता में भले हो, लेकिन जिम्मेदार उनके कल्याण से ज्यादा कबाड़ को महत्त्व देते नजर आते हैं।

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