Sonbhadra News: सर्दी का सितम-बिजली खपत ने बनाया रिकॉर्ड, 21269 मेगावाट तक पहुंची मांग
Sonbhadra News: सोनभद्र में बिजली की मांग और खपत भी, ठंड से राहत के लिए ब्लोअर, वाटर हीटर और रूम हीटर के बढ़ते प्रयोग के चलते लगातार नया रिकार्ड बनाने में लगी हुई है।
Sonbhadra News: एक तरफ जहां शीतलहर नए रिकार्ड बनाने पर आमादा है। वहीं बिजली की मांग और खपत भी, ठंड से राहत के लिए ब्लोअर, वाटर हीटर और रूम हीटर के बढ़ते प्रयोग के चलते लगातार नया रिकार्ड बनाने में लगी हुई है। शुक्रवार की रात पीक आवर के दौरान बिजली की खपत 21269 मेगावाट तक पहुंच गई। इसके चलते सिस्टम कंट्रोल को जहां सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में कटौती का सहारा लेना पड़ा। वहीं शनिवार को दिन में भी रह-रहकर कटौती का क्रम बना रहा।
बिजली आपूर्ति की स्थिति सामान्य बनाए रखने के लिए, जहां राज्य और केंद्र सेक्टर की उत्पादनरत इकाइयां पूरी क्षमता से चलाई जाती रही। वहीं निजी घरानों से भी बिजली लेकर जरूरत की पूर्ति की जाती रही।
बिजली की मांग 21269 मेगावाट पहुंच गई
केंद्रीय एवं स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की रात बिजली की मांग 21269 मेगावाट पहुंच गई। बताते हैं कि अचानक से मांग में आए उछाल के चलते तात्कालिक नियंत्रण के लिए जहां सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में थोड़े-थोड़े समय के लिए कटौती का सहारा लिया गया। वहीं केंद्रीय पुल से महंगी बिजली भी खरीदी गई।
हालात को देखते हुए, सिस्टम कंट्रोल की तरफ से राज्य सेक्टर की परियोजनाओं को जहां पूरी क्षमता से इकाइयों को चलाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं निजी घराओं और केंद्रीय सेक्टर से हुए करार के मुताबिक पूरे कोटे की बिजली ली जा रही है।
सोनभद्र में पैदा होती है यूपी के जरूरत की आधी बिजली
बता दें कि सोनभद्र में जहां राज्य सेक्टर की सबसे बड़ी 2630 मेगावाट वाली परियोजना अनपरा में स्थित हैं। वहीं केंद्रीय सेक्टर की यूपी की सबसे बड़ी परियोजना बीजपुर में और देश की सबसे अधिक क्षमता वाली केंद्रीय सेक्टर की विंध्याचल परियोजना सोनभद्र से सटे विंध्यनगर में स्थित है। इसके अलावा राज्य को अपने यहां उत्पादित पूरी बिजली देने वाले लैंको सहित कई बिजलीघर स्थित हैं।
सोनभद्र और इससे सटे सिंगरौली में उत्पादित होने बिजली जहां यूपी की अधिकतम जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। वहीं महज सोनभद्र में यूपी के जरूरत की आधी बिजली पैदा होती है। सबसे खास बात यह है कि सोनभद्र में उत्पादित होने वाली बिजली सबसे सस्ती यानी सबसे कम कीमत पर राज्य सरकार को प्राप्त होती है।
यहीं कारण है कि जब भी बिजली की खपत या मांग बढ़ती है तो सोनभद्र स्थित बिजलीघरों पर जहां उत्पादन का दबाव बढ़ जाता है। वहीं इकाइयों के ठप होने या बंद किए जाने की दशा में, पावर सेक्टर में बेचैनी की स्थिति बनने लगती है।
बता दें कि इन दिनों जहां अनपरा की पांच सौ मेगावाट की एक इकाई और 210 मेगावाट की एक इकाई लंबे समय के लिए अनुरक्षण पर है। वहीं ओबरा की भी 200 मेगावाट वाली एक इकाई ब्वायलर ट्यूब लिकेज के चलते चार दिन से ठप है। केंद्रीय सेक्टर के बिजलीघरों में में बेहतर उत्पादन बना हुआ है लेकिन वहां से जितना यूपी का कोटा है, उतनी ही बिजली मिल पाती है। यहीं कारण है कि मांग में वृद्धि होने पर, महंगी बिजली का सहारा लेना पड़ता है।