Power crisis in UP: यूपी में गहराते बिजली संकट के पीछे है कोरोना, बढ़ी मांग की नहीं हो रही है पूर्ति

Power crisis in UP: यूपी के गांव और शहरों में बिजली की अंधाधुध कटौती की जा रही है।

Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-04-29 11:46 IST

यूपी में बिजली संकट पैदा होने की असली वजह (Social media)

Power Crisis in Up: यूपी में इन दिनों बिजली संकट को लेकर हाहाकार मचा है। गांव से लेकर शहरों तक बिजली की अंधाधुध कटौती की जा रही है। जबकि पूरे प्रदेश में गर्मी का पारा बढ़ता ही जा रहा है। अब सवाल इस बात का है कि योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में तो बिजली संकट नहीं पैदा हुआ था तो इस बार ऐसा क्यों ?

आइए इसके पीछे की कहानी हम आपको बतातें हैं। दरअसल, 2020 में जब कोरोना की पहली लहर आई तो उस समय होली के बाद गर्मी की शुरुआत  हुई थी। इसके बाद 25 मार्च को लाकडाउन के चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए और घरो मेें रहकर ही अपना काम निबटाते रहे। यहीं नहीं, कुछ जरूरी कारखानों को छोड़कर अधिकतर छोटी मोटी इकाइयों ने अपना उत्पादन बंद कर दिया। जिसके चलते बिजली की सप्लाई में कोई असर नहीं पड़ा। यही हाल लगभग पूरे साल यानी 2021 में लगभग रहा। पर अब जब धीरे- धीरे कोरोना से राहत मिली है और जिंदगी पटरी पर आई है तो मांग और पूर्ति में अंतर होने के कारण बिजली संकट होना स्वभाविक है।

बिजलीघरों को रोजाना 87000 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत 

लेकिन केवल इसी बात को कारण नहीं माना जा सकता है। राज्य विद्युत निगम के बिजलीघरों को रोजाना 87000 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है। जबकि उसे 59500 मीट्रिक टन ही कोयला मिल रहा है। यहां तक कि अनपरा में छह ओबरा व हरदुआगंज में चार दिन का कोयला बचा है।

इसके लिए बिजली प्रबन्ध तंत्र को पूरी तरह से दोषी कहा जा रहा है। क्योंकि जितना कोयले का स्टाक रखना चाहिए। उतने कोयले की मांग का आर्डर कोल इंडिया को पहले नहीं दिया गया जिसके कारण कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

प्रदेश में बिजली का संकट पैदा हो रहा

वहीं उप्र उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली घरों में कोयले की कमी की बडी वजह  रेलवे की तरफ से ढुलाई के लिए कोल रैक उपलब्ध न कराना भी है। उनका कहना है कि केन्द्रीय कोयल मंत्री ने पूर्व में ही बता दिया था कि कोयले की कोई कमी नहीं है पर प्रबन्धकों ने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, जिसके कारण आज प्रदेश में बिजली का संकट पैदा हो रहा है और पूरा प्रदेश गर्मी से बेहाल है।  अप्रैल में इतनी विद्युत आपूर्ति इससे पहले कभी नहीं हुई। 

इस वर्ष अप्रैल माह की शुरूआत में जहां 19328 मेगावाट विद्युत की मांग थी, जिसमें अब तक 2370 मेगावाट की बढ़ोत्तरी के साथ अब 21698 मेगावाट हो गई है। विगत 3 वर्ष में इसी अवधि में अप्रैल 2021 को 19837 मेगावाट, अप्रैल 2020 में 17,176 मेगावाट तथा अप्रैल 2019 में 20,365 मेगावाट अधिकतम विद्युत की मांग थी।

जल्द ही प्रदेश में बिजली संकट से मुक्ति मिल सकेगी

उधर उर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा   ने कहा है कि हरदुआगंज और बारा की बिजली इकाइंया शुरू हो गयी है।  जल्द ही प्रदेश में बिजली संकट से मुक्ति मिल सकेगी।

विद्युत आपूर्ति को बढ़ाने के लिए तकनीकी कारणों से बन्द उत्पादन ईकाइयों को ठीक कर पुनः उत्पादन शुरू किया गया है, जिसमें हरदुआगंज की तीन ईकाइयां (250-250-110) 610 मेगावाट  जो आंधी तूफान से क्षतिग्रस्त हो गई थीं, को ठीक कराकर पुनः उत्पादन शुरू किया गया। इसी प्रकार प्रयागराज के तहसील बारा स्थित प्रयागराज पावन जेनरेशन-660 मेगावाट की इकाई के तकनीकी व्यवधानों को दूर कर आज शुरू लाइट अप कर दिया गया है।

ऊर्जा  मंत्री  ए.के. शर्मा ने  बताया कि प्रदेश सरकार निर्बाध विद्युत आपूर्ति को लेकर अत्यंत गम्भीर है। राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई हिस्सा क्षतिग्रस्त होने के बावजूद भी भीषण गर्मी के कारण अत्यधिक विद्युत की मांग बढ़ने पर विद्युत आपूर्ति बनाये रखने के लिए सभी कर्मचारी एवं अधिकारी निरन्तर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी बिजली का गम्भीर संकट बना हुआ है। राजस्थान सरकार ने तो अपने पूर्व निर्धारित विद्युत आपूर्ति के शिड्यूल में बिजली कटौती करने का निर्णय लिया है और बकायदा आदेश जारी कर शहरी क्षेत्रों, कस्बों एवं गांवों व देहातों में कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों को निर्धारित शिड्यूल के अनुरूप विद्युत प्राप्त हो, इसके लिए हरसम्भव कोशिश की जा रही है।

तकनीकी कारणों से बन्द विद्युत गृहों को युद्धस्तर पर ठीक कराकर पुनः उत्पादन पर लाया जा रहा है। ट्रिपिंग, फाल्ट और क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्रमर को समय से ठीक कराने की कोशिश की जा रही है। सभी वितरण अधिकारी अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में पूरी सजगता बरत रहे हैं और सभी डिस्कॉम के एम.डी. द्वारा प्रतिदिन इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। पावर कारपोरेशन स्तर से भी बिजली आपूर्ति के निर्धारित शिड्यूल की सतत निगरानी की जा रही है।

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