शारिब जाफरी
लखनऊ। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले आईपीएस अफसरों की संख्या पहले के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा हो गयी है। यूपी से किनारा करने वाले आईपीएस अफसरों में एस.जावीद अहमद, अनिल कुमार अग्रवाल, दलजीत चौधरी, अमरेंद्र कुमार सेंगर और अपर्णा कुमार भी शामिल हैं।
वैसे तो सत्ता बदलते ही अफसरों का प्रतिनियुक्ति पर जाना आम बात है, लेकिन योगी राज में इसकी रफ्तार ज्यादा तेज हो गयी है। यह स्थिति तब है जब डीजीपी सुलखान सिंह ने चिठ्ठी लिखकर केंद्रीय एजेंसियों से यूपी काडर के आईपीएस अफसरों को वापस भेजने का अनुरोध किया हुआ है। अब इसे केंद्र में यूपी काडर के आईपीएस अफसरों का बढ़ता दबदबा कहें या फिर यूपी में काम नहीं करने की इच्छा।
यूपी छोडऩे वालों में प्राइम पोस्टिंग वाले अफसर भी
आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि तमाम आईपीएस अफसर यूपी में काम नहीं करना चाहते हैं। 2007 में सत्ता परिवर्तन के बाद 16 आईपीएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे वहीं 2012 में सत्ता परिवर्तन के बाद यह संख्या घटकर 11 रह गई। अब योगी राज में यूपी छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अफसरों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।
इस परिवर्तन में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि नए आईपीएस अफसरों के अलावा प्राइम पोस्टिंग पर तैनात अफसर यूपी छोडऩे की तैयारी कर चुके हैं। इन अफसरों में आईजी लखनऊ जय नारायण सिंह, आईजी फैजाबाद विजय प्रकाश, डीआईजी सहारनपुर के.एस.इमैनुवल, एसएसपी बदायूं चंद्रप्रकाश और एसपी बिजनौर प्रभाकर चौधरी शामिल हैं।
एक दर्जन आईपीएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए
यूपी में योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने के बाद से अब तक एक दर्जन अफसर यूपी काडर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। सपा शासनकाल में यूपी पुलिस के मुखिया रहे एस जावीद अहमद केन्द्र में डीजी एनआईसीएफएस हैं। 1986 बैच के नासिर कमाल केंद्र में एडीजी बीएसएफ हैं।
यूपी 100 जैसी बड़ी परियोजना को जमीन पर उतारने वाले 1988 बैच के अनिल कुमार अग्रवाल एडीजी मिनिस्ट्री आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, 1990 बैच के दलजीत चौधरी एडीजी आईटीबीपी, 1994 बैच के प्रकाश डीआईजी सीआरपीएफ, 1995 बैच के मुथा अशोक जैन आईजी एनसीबी, अमरेंद्र सिंह सेंगर आईजी गृह मंत्रालय, 1996 बैच के डा राम कृष्ण स्वर्णकार आईजी गृह मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
देश-विदेश में यूपी पुलिस का नाम रौशन करने वाली पर्वतारोही 2002 बैच की अपर्णा कुमार डीआईजी आईटीबीपी, इंकाउंटर स्पेशलिस्ट 2006 बैच के धर्मेंद्र सिंह एसपी पासपोर्ट आफिसर, 2009 बैच की एसपी राजभवन नेहा पांडेय एसपी आईबी और 2009 बैच के पवन कुमार एसपी एसवीपीएनपीए के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
यूपी काडर के आईपीएस अफसरों का बढ़ा दबदबा
केंद्र में हाल के वर्षों में यूपी काडर के आईपीएस अफसरों का दबदबा बढ़ा है। एसएसबी, सीआईएसएफ से लेकर एनसीबी के मुखिया यूपी काडर के आईपीएस हैं। पटना में जन्मे 1984 बैच के रजनीकान्त मिश्रा डीजी सशस्त्र सीमा बल हैं। बिहार में जन्मे 1984 बैच के ओम प्रकाश सिंह डीजी सीआईएसएफ तो बुलन्दशहर में जन्मे 1984 बैच के राजीव राय भटनागर डीजी सीआरपीएफ हैं।
अखिलेश राज में कई सीनियर आईपीएस अफसरों को सुपरसीड कर यूपी पुलिस के मुखिया बने पटना में जन्मे 1984 बैच के एस जावीद अहमद केंद्र में डीजी एनआईसीएफएस के पद पर हैं। 1984 बैच के ही डॉ.ए.पी.माहेश्वरी को डीजी बीपीआर एंड डी बनाया गया है।
एक दर्जन से अधिक आईपीएस अफसरों को मिली एनओसी
यूपी में करीब एक दर्जन आईपीएस अफसरों को सरकार ने एनओसी जारी कर दी है। सरकार ने 1985 बैच के डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी, 1994 बैच के आईजी रेंज लखनऊ जय नारायण सिंह, 1996 बैच के आईजी रेंज फैजाबाद विजय प्रकाश, 1996 बैच के आईजी लोक शिकायत विजय सिंह मीणा, 1994 बैच के आईजी रेलवे विनोद कुमार सिंह, 1993 बैच के आईजी पीएचक्यू डा.के.एस.पी.कुमार, 2003 बैच के डीआईजी सहारनपुर के एस इमैनुवल, 2006 बैच के एसपी कुम्भ मेला मोहित गुप्ता, 2004 बैच के एसएसपी बदायूं चंद्रप्रकाश, 2010 बैच के एसपी बिजनौर प्रभाकर चौधरी, 2010 बैच के एसपी सुरक्षा गौरव सिंह को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जबकि 2010 बैच की एसपी पीटीएस उन्नाव पूनम को इंटर कैडर डेपुटेशन पर जाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया है। 2002 बैच के डीआईजी पीएसी सेक्टर कानपुर धर्मवीर समेत तीन आईपीएस अफसरों को यूपी सरकार ने अब तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इजाजत नहीं दी है।
यूपी वापस नहीं आना चाहते आईपीएस
एक तरफ जहां यूपी से बड़े पैमाने पर आईपीएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए प्रयासरत हैं तो दूसरी तरह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर समय पूरा हो जाने के बावजूद अफसर वापस नहीं आना चाहते हैं। 2001 बैच के एसपी सीबीआई तरुण गाबा समय पूरा होने के बाद भी यूपी वापस नहीं आना चाहते थे।
प्रदेश सरकार ने प्रतिनियुक्ति के समय को उनके अनुरोध पर बढ़ा दिया है। यूपी में तरुण गाबा के बैच के सभी अफसरों को प्रमोशन देकर डीआईजी बना दिया गया है। 2006 बैच की हैप्पी गुप्तन एसपी कैबिनेट सेक्रेट्रिएट में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। समय पूरा हो जाने के बाद भी वह यूपी में वापस नहीं आना चाहती थीं। सरकार ने उनके अनुरोध पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का समय बढ़ा दिया है।
2007 में 16, 2012 में 11 आईपीएस गए थे प्रतिनियुक्ति पर
आईपीएस अफसरों का ब्योरा रखने वाले काॢमक विभाग के रिकार्ड के अनुसार सत्ता परिवर्तन के बाद करीब दर्जन भर अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाते रहे हैं। वर्ष 2007 में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के सत्ता से बेदखल होने के बाद यूपी के 16 आईपीएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे।
इन अफसरों में एन.रविन्द्र, दीपक रतन, प्रवीण सिंह, दलजीत चौधरी, मुकुल गोयल, डा.के.एस.प्रताप कुमार, आर.के.भाटिया, प्रशान्त कुमार, विक्रम सिंह, लक्ष्मी सिंह और काश्मीरा सिंह शामिल हैं। जबकि 2012 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद 11 आईपीएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे। प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अफसरों में ए पी माहेश्वरी, जोसेफ लोक्कू, ज्योति नारायण, जी के गोस्वामी, तरुण गाबा, नीरा रावत, राजीव कृष्ण और अखिलेश कुमार शामिल हैं।
2012 में इंटर कैडर डेपुटेशन पर आए थे अफसर
2012 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद महाराष्ट्र काडर से यशस्वी यादव, नागालैंड काडर से सोनिया सिंह, सिक्किम काडर से मनोज तिवारी और पंजाब काडर से प्रदीप यादव को इंटर काडर डेपुटेशन पर यूपी में पोस्टिंग मिली थी। इनमें से यशस्वी यादव, प्रदीप यादव डेपुटेशन का समय पूरा होने के बाद अपने मूल कैडर में वापस जा चुके हैं। जबकि सोनिया सिंह दो दिसंबर को यूपी से कार्यमुक्त हो जाएंगी।
यूपी में कई आईपीएस अफसर काम नहीं करना चाहते है। इन अफसरों में कई अधिकारी ऐसे हैं जो पूर्व की समाजवादी सरकार के सत्ताशीर्ष के खास माने जाते थे, लेकिन कई ऐसे अफसर भी यूपी छोडक़र केंद्र में जाना चाहते हैं जो योगी राज में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर एक आईपीएस अफसर ने बताया कि वर्तमान में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते फील्ड में काम करने में दिक्कत आ रही है।
जिलों में मंत्रियों के आपसी झगड़े अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। यूपी कैडर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले एक आईपीएस अफसर ने बताया कि पुलिस पर दबाव कुछ इस कदर है कि काम करना दूभर हो गया है।
- डीजीपी सुलखान सिंह