सूबा डूबेगा अंधेरे में, यदि इन्होंने कर दिया चीन का बायकाट

भारत-चीन विवाद के चलते केवल सीमा पर ही नहीं आर्थिक मामलों में भी दोनों देशों मे प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। दोनों देश आत्मनिर्भर बनने की होड़ में आगे रहने की जुगत में है। जहां चीन ने तकनीक के बल पर दुनिया में वर्चस्व बनाया है तो वही अब भारत भी चीन पर ही इस मामले में आश्रित है।

Update: 2020-06-25 06:06 GMT

लखनऊ : भारत-चीन विवाद के चलते केवल सीमा पर ही नहीं आर्थिक मामलों में भी दोनों देशों मे प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। दोनों देश आत्मनिर्भर बनने की होड़ में आगे रहने की जुगत में है। जहां चीन ने तकनीक के बल पर दुनिया में वर्चस्व बनाया है तो वही अब भारत भी चीन पर ही इस मामले में आश्रित है। आज भी देश के कई राज्यों नई बिजली परियोजनाएं चीन के सहयोग से ही चल रही है। खासकस उत्तर प्रदेश में जिन निजी बिजलीघरों से बिजली मिल रही है उनमें भी चीन के उपकरण लगाए गए हैं।

 

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3960 मेगावाट क्षमता की नई परियोजनाओं पर काम

केंद्र के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के पुराने बिजलीघरों में प्रदूषण नियंत्रण संयंत्रों पर भी चीनी कंपनियों का दबदबा है। उत्तर प्रदेश में इस समय 3960 मेगावाट क्षमता की नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। पनकी में 660 मेगावाट की इकाई का जिम्मा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि. (बीएचईएल) को सौंपा गया है। 1320-1320 मेगावाट की जवाहरपुर व ओबरा ‘सी’ परियोजना कोरिया की कंपनी दुसान व हरदुआगंज में 660 मेगावाट इकाई का काम जापानी कं पनी तोशीबा को मिला है। जवाहरपुर व ओबरा ‘सी’ परियोजना की लागत लगभग 10,500-10,500 करोड़ है जबकि हरदुआगंज की इकाई पर 5600 करोड़ खर्च आने का अनुमान है।

 

 

चीन से मंगाए गए उपकरण

चीन से मंगाए गए उपकरण यूपी क बिजली संयंत्रों में लगाए जा रहे हैं। इससे भविष्य में भी इनकी चीन पर निर्भरता बनी रहेगी। इकाइयों में लगाए जाने वाले इंडक्टेड ड्राफ्ट फैन, फोर्सड् ड्राफ्ट फैन, प्राइमरी एयर फैन व बॉयलर टूयूब जैसे बड़े उपकरण चीन निर्मित हैं। वहीं, बीएचईएल पनकी की इकाई में खुद के बनाए गए स्वदेसी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है। राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि हमने तय किया कि भविष्य में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। प्रयास किया जाएगा कि जो भी उपकरण लगाए जाएं वे पूर्ण रूप से भारतीय हों या चीन निर्मित या आयातित न हों।

 

आत्मनिर्भर बनने का प्रयास

केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस साल के बजट में इसका एलान कि या था। उत्तर प्रदेश के अनपरा ए बिजली घर की 210-210 मेगावाट क्षमता की तीन, अनपरा बी की 500-500 मेगावाट की दो, ओबरा की 200-200 मेगावाट की पांच इकाइयां, पारीछा की 110-110 मेगावाट की दो, 210 मेगावाट की दो व 250 मेगावाट की दो, तथा हरदुआगंज की 110 मेगावाट की एक व 250 मेगावाट की दो इकाई में एफजीडीएस की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपये के टेंडर हुए हैं।

 

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ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन का कहना है कि चीन से विवाद की वजह आत्मनिर्भर भारत की बात हो रही है। लेकिन निजी क्षेत्र की 1200 मेगावाट क्षमता की अनपरा सी व 1200 मेगावाट की रोजा परियोजना में छोटे से लेकर बड़े तक सारे उपकरण चीन के ही लगाए गए हैं। ये प्लांट चीन की शंघाई इलेक्ट्रिक कंपनी ने तैयार किए हैं। इन बिजली घरों की पूरी बिजली यूपी को ही मिलती है।

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