प्रमोद तिवारी का मोदी पर बड़ा हमला, कहा ये कदम है क्रूर मजाक

लखनऊ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कॉरपोरेट जगत का टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी करने से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की तिजोरी भर रही है और किसान, लघु एवं मध्यम व्यापारी तथा नौकरी पेशा लोगों की चिन्ता उसे नहीं है।

Update:2023-05-27 23:35 IST

लखनऊ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कॉरपोरेट जगत का टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी करने से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की तिजोरी भर रही है और किसान, लघु एवं मध्यम व्यापारी तथा नौकरी पेशा लोगों की चिन्ता उसे नहीं है।

मोदी सरकार द्वारा निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों की जेबों से पैसा निकाला जा रहा है और उस पैसे को बड़े कार्पोरेट की तिजोरियों तक पहुँचाया जा रहा है। यह देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है।

प्रमोद तिवारी ने कहा है कि नौकरी-पेशा करने वाले या वेतन भोगी लोग 30 से 33 फीसदी इनकम टैक्स या टैक्स दें, और छोटे तथा मध्यम व्यापारी 28 फीसदी जीएसटी दे, और किसान 28 फीसदी जीएसटी देकर सामान खरीदें, वहीं कॉरपोरेट जगत का टैक्स 8 फीसदी घटाकर 22 फीसदी कर दिया जाए, इससे बड़ा हास्यास्पद और क्रूर मजाक आम जनता के साथ और क्या हो सकता है? इससे यह साबित हो गया है कि ‘‘मोदी सरकार’’ पूरी तरह से पूंजीपतियों की सरकार है, और गरीब तथा मध्यम वर्ग विरोधी सरकार है।

क्या ये राजनैतिक मजाक है

तिवारी ने कहा है कि यह भी क्या राजनैतिक मजाक है कि मोदी जी कल तक कहते थे कि पिछले 70 सालों में क्या हुआ है? जबकि उसी 70 साल की कमाई देश की साख बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में ‘‘रिजर्व राशि’’ के रूप में जमा थी, उस 70 साल की कमाई से दोबारा 1.76 लाख करोड़ रुपये (एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये) निकाल लिया, जो देश की साख बढ़ाने तथा दैवीय आपदा के लिए रिजर्व बैंक में जमा थी, उस रिजर्व धनराशि को निकाल कर देश के पूंजीपतियों की तिजोरी तक पहुंचा दिया, ये उसी 70 साल की कमाई थी, मोदी जी के 5 साल में तो केवल घाटा ही घाटा रहा है, इससे बड़ा सबूत और क्या होगा?

प्रमोद तिवारी ने सवाल किया है कि जिस बंग्लादेश का जन्म वर्ष 1971 में इन्दिरा गांधी के नेतृ्त्व में हुआ था, वहां पर भारत से अधिक देशी- विदेशी पूंजी निवेश क्यों हो रहा है? और बांग्लादेश की मुद्रा ‘‘टका’’ की कीमत भारतीय ‘‘रुपये’’ से अनुपात में अधिक क्यों बढ़ रही है? यह आर्थिक चिन्तन का विषय है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत भारत का निर्माण करने के लिए पक्ष- विपक्ष सभी एकजुट हों- क्योंकि यह गम्भीर आर्थिक संकट का दौर है।

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