Famous Baba: मिलिए कांटे वाले बाबा से बने, जिनकी एक झलक देखने के लिए श्रद्धालुओं में मची होड़

Magh Mela 2023: कांटे वाले बाबा का कहना है कि वह पिछले 45 सालों से नुकीले कांटों के साथ ही अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

Report :  Syed Raza
Update: 2023-01-21 08:46 GMT

कांटे वाले बाबा (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Magh Mela 2023: आस्था के सबसे बड़े मेले 'माघ मले' में अब बाबाओं के रंग भी देखने को मिल रहे हैं। मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर संगम तट से सटे अक्षयवट मार्ग पर 'कांटे वाले बाबा' आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मध्य प्रदेश से आए 'कांटे वाले बाबा' श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं । कांटे वाले बाबा का कहना है कि वह पिछले 45 सालों से नुकीले कांटों के साथ ही अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

तस्वीरों में आप साफ़ देख सकते हैं की सूखे नुकीले काटो के बीच में बाबा लेटे हुए हैं और इसी मुद्रा में वह अपने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं। 

कांटे वाले बाबा (फोटो: सोशल मीडिया ) 

हाथों में डमरु बजाकर श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी और केंद्रित करते हैं और जो भी श्रद्धालु कांटे वाले बाबा को देख रहा है तो वह आश्चर्यचकित हो जा रहा है।

कांटे वाले बाबा (फोटो: सोशल मीडिया ) 

श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने पहली बार कांटे वाले बाबा को साक्षात्कार देखा है। हालांकि इससे पहले वह कई बार सुना था कि कोई कांटे वाले बाबा भी संगम के तट पर आते हैं जो कांटो पर ही विराजमान रहते हैं। ऐसे मे नुकीले कांटो के बीच में बाबा को देख कर के फोटो और सेल्फी लेने वालों की होड़ लग गई।

कांटे वाले बाबा ने बताया कि जहां-जहां कुंभ का मेला लगता है वहां वह जरूर जाते हैं साथ ही साथ पूरे देश में इसी तरह भ्रमण करते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि वह हैरत है कि इतने नुकीली कांटो के बीच में बाबा ने 45 साल कैसे गुजार दिए। भारी संख्या में श्रद्धालु काटे बाबा को देखने के लिए आ रहे हैं और उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं

कांटे वाले बाबा (फोटो: सोशल मीडिया ) 

नुकीले काटे की हुई आदत 

उधर मध्य प्रदेश से आए कांटे वाले बाबा का कहना है कि नुकीले काटे तो उनको चुभते हैं लेकिन अब उनको आदत हो गई है। जब वह तपस्वी बन रहे थे तब उनके गुरु ने कहा था कि कोई ऐसा कार्य करो जिसे करने में तुम असंभव महसूस करो उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रण लिया कि वह कांटो के बीच में रहकर अपनी पूरी जिंदगी बिताएंगे और 1978 से लेकर के अभी तक वह काटो पर ही अपनी जिंदगी बिता रहे हैं ।

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