Prayagraj News: बस्ती के बच्चों के सपनों को साकार कर रहा युवा शिक्षक, 7 सालों से दे रहे शिक्षा

Teachers Day 2022: विवेक दुबे पिछले 7 सालों से मलिन बस्ती में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं और उन बच्चों के सपनों को भी साकार करने में लगे हुए हैं ।

Report :  Syed Raza
Update:2022-09-05 14:46 IST

Teacher’s Day Special (photo: social media )

Prayagraj Teacher's Day: गुरु शिष्य का रिश्ता हर किसी की ज़िन्दगी में अहम होता है प्रारंभिक शिक्षा भले ही घर से इंसान को मिले लेकिन वह एक गुरु ही होता है जो किसी इंसान की तरक्की में बड़ी भूमिका निभाता है। इसी कड़ी में प्रयागराज के रहने वाले विवेक दुबे समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं। विवेक दुबे पिछले 7 सालों से मलिन बस्ती में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं और उन बच्चों के सपनों को भी साकार करने में लगे हुए हैं ।

विवेक दुबे प्रयागराज के मुट्ठीगंज क्षेत्र के पुराने यमुना पुल के पास मलिन बस्ती मैं हर दिन जाकर के सभी उम्र के बच्चों को पढ़ाते हैं । विवेक बताते हैं कि 2015 में जब वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए तो रास्ते में उन्हें कूड़ा बीनने वाले बच्चे , दुकानों में काम करने वाले बच्चे दिखाई दिए तभी से उन्होंने ठाना की वह इन बच्चों को जरूर शिक्षा देंगे। विवेक ने 6 बच्चों से शुरुआत की जिसके बाद आज हर दिन 200 से अधिक बच्चों को वह शिक्षा दे रहे हैं।

विवेक बताते हैं कि कुछ बच्चों को ही उन्होंने शिक्षक भी बना दिया है। मतलब जो बच्चे बड़ी क्लास में पढ़ते हैं वही बच्चे छोटी क्लास के बच्चों को भी पढ़ाते हैं ।ऐसे में विवेक धीरे-धीरे बच्चों को हर विषय की तालीम देते रहते हैं । खास बात यह है कि विवेक कि 3 छात्राओं ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे ग्रेजुएशन में टॉप भी किया है। मलिन बस्ती की रहने वाली प्रीति इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा है और उन्होंने अपने ग्रेजुएशन में 90 फीसदी से अधिक अंक पाकर नाम रोशन किया है। प्रीति का कहना है कि 90 प्रतिशत अंक लाने का पूरा श्रेय विवेक सर का ही है क्योंकि पिछले 7 सालों से उन्हीं की शिक्षा के बदौलत उन्हें यह अंक हासिल हुए हैं इसी तरह रोशनी का भी कहना है कि उसने भी ग्रेजुएशन में 80 फ़ीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं और वह भी इसका पूरा श्रेय विवेक सर को दे रही हैं।

गरीब बच्चों की जिंदगी को संवारने वाले विवेक दुबे

मलिन बस्ती में रहने वाले गरीब बच्चों की जिंदगी को संवारने वाले विवेक दुबे बताते हैं कि अधिकतर सभी बच्चों के माता पिता या तो कूड़ा बीनते हैं या फिर मजदूरी करके गुजारा करते हैं ऐसे में शुरुआती दिनों में थोड़ी समस्या का सामना तो जरूर करना पड़ा लेकिन कुछ समय के बाद बच्चों के अभिभावकों को भी यह लगने लगा कि पढ़ाई कितनी जरूरी है।

गौरतलब है कि विवेक दुबे उन लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं जो यह सोचते हैं कि गरीब बच्चे पढ़ नहीं सकते हैं। विवेक सुबह खुद पढ़ाई करते हैं उसके बाद दोपहर मे वह मलिन बस्ती जाकर के बच्चों को पढ़ाते हैं।

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