Atiq-Ashraf Murder Case: एसआईटी को अतीक-अशरफ के हत्यारों से चाहिए इन सवालों के जवाब, फिर खुलेगी गांठ
Atiq-Ashraf Murder Case Update: माफिया बंधुओं की हत्या की जांच कर रही एसआईटी ने वारदात का वीडियो तीनों हमलावरों को दिखाने का निर्णय लिया है। घटना से जुड़े वीडियो और फुटेज दिखाकर शूटरों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन इसकी तैयारी में जुट गई है। इसके लिए जांच टीम को अदालत से अनुमति लेनी होगी, जिसके लिए पेपर्स तैयार किए जा रहे हैं।
Atiq-Ashraf Murder Case Update: कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हुए एक महीने से अधिक का समय हो चुका है। माफिया ब्रदर्स को मौत के घाट उतारने वाले तीनों हमलावर पुलिस की गिरफ्त में है लेकिन फिर भी इस वारदात के पीछे की वजह का खुलासा नहीं हो पाया है। कई दौर की पूछताछ करने के बावजूद एसआईटी हमलावारों ने अहम तथ्य नहीं उगलवा पाई है, लिहाजा नए सिरे से तफ्तीश की कोशिश की जा रही है।
माफिया बंधुओं की हत्या की जांच कर रही एसआईटी ने वारदात का वीडियो तीनों हमलावरों को दिखाने का निर्णय लिया है। घटना से जुड़े वीडियो और फुटेज दिखाकर शूटरों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन इसकी तैयारी में जुट गई है। इसके लिए जांच टीम को अदालत से अनुमति लेनी होगी, जिसके लिए पेपर्स तैयार किए जा रहे हैं।
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एसआईटी क्यों करना चाहती है दोबारा पूछताछ ?
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच एडीसीपी अपराध सतीश चंद्र की अध्यक्षता में गठित एसआईटी कर रही है। जांच के क्रम में एसआईटी सीन रीक्रिएशन से लेकर पुलिस कस्टडी में लेकर आरोपियों से पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा इस मामले में अब तक 60 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
जांच टीम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विवेचना के क्रम में कुछ ऐसे तथ्य हाथ लगे हैं, जिनके बारे में शूटरों से पूछताछ करना आवश्यक हो गया है। पुलिस हिरासत के दौरान शूटरों ने इस संबंध में कोई जानकारी दी थी। ऐसे में एसआईटी को शक है कि वे कुछ ऐसा बड़ा छिपाने की कोशिश कर रहे है, जिसके सामने आते ही केस में पड़ी गांठ खुल सकती है।
एसआईटी को चाहिए इन सवालों का जवाब ?
माफिया भाईयों की पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या को लेकर यूपी पुलिस को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा है। पुलिस की भूमिका पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। कुछ लोग तो इसमें उनकी मिलीभगत तक करार दे रहे हैं। यही वजह है कि ऐसे आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए राज्य सरकार ने वारदात के फौरन बाद एसआईटी का गठन कर दिया था, जो मामले की जांच कर रही है।
एसआईटी को है इन सवालों के जवाब का इंतजार – शूटर घटनास्थल पर कैसे पहुंचे ? उन्हें आखिर कॉल्विन अस्पताल के चप्पे-चप्पे के बारे में जानकारी कहां से कैसे मिली क्योंकि तीनों प्रयागराज के नहीं थे। अस्पताल के परिसर में ही क्यों घटना को अंजाम दिया ? पुलिस की जवाबी कार्रवाई का खौफ क्यों नहीं था, जिसमें उनकी जान भी जा सकती थी। अगर नाम ही कमाना था तो अतीक और उसके भाई को ही क्यों निशाना बनाया गया? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब माफिया भाईयों की हत्या के रहस्य को उजागर कर सकते हैं।
15 अप्रैल को हुई थी हत्या
उमेश पाल मर्डर केस में आरोपित माफिया अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से और भाई अशरफ को बरेली सेंट्रल जेल से प्रयागराज पूछताछ के लिए लाया गया था। 15 अप्रैल की रात पुलिस अभिरक्षा में दोनों को कॉल्विन अस्पताल मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया था। जहां पहले से मीडिया की भीड़ में घात लगाए बैठे तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दोनों भाईयों को मौत के घाट उतार दिया।
वारादात को अंजाम देने के बाद तीनों हमलावरों ने वहीं पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले तीनों शूटर प्रयागराज के नहीं थे। तीनों की पहचान बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के सनी सिंह और कासगंज के अरूण मौर्य के रूप में हुई। तीनों हमलावर फिलहाल प्रतापगढ़ की जेल में बंद हैं।