Mahakumbh 2025: महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात हैं भारतीय ब्रीड के अलावा अमेरिकन और इंग्लैंड ब्रीड के घोड़े, जिनकी कीमत सुनकर उड़ जाएंगे आपके होश
Mahakumbh 2025 Update News: कुंभ स्थल पर हट्टे-कट्टे और बेहद आकर्षक करीब 130 घोड़ों के दस्तों के साथ जवान जब अलग-अलग ग्रुप में पेट्रोलिंग पर निकलते हैं, तो ये घोड़े उस स्थल पर लोगों के बीच रोमांच का केंद्र बनकर रह जाते हैं।;
Mahakumbh 2025 Update News: महाकुंभ 2025 कई मायनों में इस बार बेहद खास होने जा रहा है। फिर बात चाहे श्रद्धा और अध्यात्म की हो या फिर इस स्थल की सुरक्षा व्यवस्था की। इस बार कुंभ मेला की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए कई सीसीटीवी कैमरों से लेकर कई तरह की हाईटेक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी कड़ी में एक ऐसी और सुरक्षा व्यवस्था है जो इस स्थल पर लोगों के बीच रोमांच का हिस्सा बनी हुई है। असल में प्रयाग़राज में इस बार कुंभ स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था में कई देसी-विदेशी नस्ल के घोड़ों को गश्त करने के लिए तैनात किया गया है। शरीर से चुस्त और हट्टी कट्टी डीलडौल वाले ये घोड़े आम नहीं, बल्कि बेहद जहनी भी हैं। ये जमीन के साथ-साथ पानी में भी उतनी ही कुशलता के साथ दौड़ सकते हैं।वेल ट्रेंड इन घोड़ों की खूबी है कि ये अपने ट्रेनर के इशारों को बखूबी समझते हैं। उसी के दिए हुए इंस्ट्रक्शन पर कदम से कदम मिलाते हुए किसी मिलिट्री फोर्स की तरह आगे बढ़ते हैं।
विदेशी नस्ल के इन घोड़ों की इतनी है कीमत
कुंभ स्थल पर हट्टे-कट्टे और बेहद आकर्षक करीब 130 घोड़ों के दस्तों के साथ जवान जब अलग-अलग ग्रुप में पेट्रोलिंग पर निकलते हैं, तो ये घोड़े उस स्थल पर लोगों के बीच रोमांच का केंद्र बनकर रह जाते हैं। कुंभ मेले में तैनात इन घुड़सवारों के दस्ते में भारतीय अमेरिकन और इंग्लैंड ब्रीड के घोड़े भी शामिल हैं। अमेरिकन ब्रीड के घोड़ों की कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक होती है।
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माउंटेड पुलिस के सीनियर अफसर के अनुसार प्राइवेट खरीद में अमेरिकन ब्रीड के घोड़ों के बच्चों को 50 लाख की कीमत में खरीदा जाता है। इसके बाद इनकी उम्र और ट्रेनिंग बढ़ने के साथ कीमत ढाई करोड़ से ऊपर जाती है। ऐसा ही इंग्लैंड की थ्रो ब्रीड के घोड़ों की कीमत भी करीब दो लाख से तीन करोड़ के बीच होती है। पुलिस फोर्स के दल से इन घोड़ों का 20 वर्ष की उम्र के बाद रिटायरमेंट हो जाता है।
घोड़ों की गर्दन में लगी होती है एक स्पेशल डिवाइस
मेले में भीड़ को नियंत्रित करने के तैनात किए गए इन घोड़ों के दस्तों के साथ यूपी की ट्रेंड माउंटेड पुलिस को भी तैनात किया गया है। इन घोड़ों को खास ट्रेनिंग के तहत मुरादाबाद और सीतापुर ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है। दस्ते में शामिल इन सभी ट्रेंड घोड़ों की गर्दन में एक पर्पस के चलते स्पेशल डिवाइस लगी हुई है। आरआई माउंटेड अधिकारी के अनुसार
घोड़ों के गर्दन में लगाई जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक चिप, जिसमें घोड़ों का पूरा डेटा यानी इन घोड़ों की सात पीढ़ियों का डेटा जिसमें इनके माता-पिता, दादा आदि सभी का रिकॉर्ड चिप में मौजूद होता है। इसके अतिरिक्त घोड़े के प्रशिक्षण और उसके स्वास्थ से जुड़ी जानकारियां तक इस चिप में मौजूद मिल जाती हैं। इस डेटा को खास स्कैनर से पता लगाया जाता है। घोड़ों का ऑपरेशन कर इलेक्ट्रॉनिक चिप को लगाया जाता है।
गर्दन पर जो चिप लगी है, वह ट्रैकिंग डिवाइस भी है। जैसे वाहनों को डिवाइस से ट्रैक किया जाता है, वैसे ही घोड़े के ट्रैकिंग डिवाइस से यह उनकी लोकेशन तक की जानकारी हासिल की जा सकती है।
बेहद कॉन्फिडेंशियल होती है ये चिप
घोड़ों के शरीर पर लगाई गई चिप बेहद कॉन्फिडेंशियल होती है। इस डिवाइस को स्कैन करने, ट्रैक करने का अधिकार केवल इकेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया के नियंत्रण में होता है।
इकेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया दिल्ली से इन घोड़ों पर अपनी नजर बनाए रखती है। इन घोड़ों के शरीर पर लगी चिप इतनी ज्यादा निजता रखती है कि माउंटेड पुलिस को भी इस डिवाइस कोड का पावर हैंडल नहीं दिया गया है।
महाकुंभ के लिए मिल रही इन्हें खास ट्रेनिंग
महाकुंभ को देखते हुए माउंटेड पुलिस को खास ट्रेनिंग कराई गई है। इस प्रशिक्षण के तहत की श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ कोई किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचा सकें। इस स्पेशल दस्ते में शामिल आरआई माउंटेड प्रेम बाबू के अनुसार शुरुआती दौर में इन घोड़ों को प्रशिक्षण के तहत महाकुंभ मेला क्षेत्र के चप्पे चप्पे से परिचित कराया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के दौरान ये घोड़े अपने रूट से परिचित हो रहें हैं।
रूट पहचानने के बाद ये खुद को कमांड करेंगे। फिर चाहे कितना भी लोगों का हुजूम क्यों न हो।इन घोड़ों को लेकर घुड़सवार पुलिस सुबह और शाम मेला क्षेत्र में रोजाना गश्त पर निकलती है।
स्टिक के इशारों को बखूबी समझते हैं ये घोड़े
130 घोड़ों के इस पूरे समूह में सबसे आगे चलने वाला घोड़ा जो सबसे ज्यादा आकर्षक भी है उसका नाम दारा है। दारा अपने पूरे समूह में सबसे ज्यादा अक्लमंद माना जाता है। दारा अमेरिकन नस्ल का घोड़ा है। दारा का जन्म आर्मी हिसार छावनी में 2020 में हुआ था। इसका पिता गोल्डन काइट है। उसे भी अमेरिका से लाया गया था। दारा को उत्तराखंड आर्मी डिपो से प्रयागराज भेजा गया है। इसी तरह अलग-अलग जिलों से अच्छे घोड़ों को यहां तैनात किया गया है। इस मेले में 40 बेहद तेज बुद्धि के बेहद फुर्तीले घोड़े अमेरिकन ब्रीड के हैं। कुंभ क्षेत्र में माउंटेड पुलिस कैंप के पास ही घोड़ों की देखरेख और उनके आराम के लिए अस्तबल भी मौजूद है। स्टिक प्वाइंट की भाषा समझने वाले इन घोड़ों को इनके निरीक्षक द्वारा जैसे ही अपनी स्टिक से इशारा किया जाता है घोड़े एक सीधी लाइन में खड़े हो जाते हैं।
निरीक्षक की स्टिक के गोल गोल घुमाने के इशारे पर, ये सभी घोड़े एक के पीछे एक होकर गोल गोल चलने लगे। स्टिक के घूमने की गति के अनुसार ही ये, घोड़े भी उसी रफ्तार से घूमने लग जाते हैं। डिसिप्लिन के मामले में इनका कोई जोड़ नहीं।