Mahakumbh 2025 : सीएम योगी ने 'शाही स्नान और पेशवाई' शब्द को दिया नया नाम, जानिए अब क्या कहा जाएगा?

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाही स्नान और पेशवाई शब्द को बदल दिया है। जानिए नया नाम क्या रखा गया है?

Newstrack :  Network
Update:2024-12-31 17:22 IST

हर पार्किंग स्थल पर चौकी और पब्लिक एड्रेस सिस्टम की होगी व्यवस्थाः मुख्यमंत्री (social media)

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर की जा रही तैयारियों के बीच बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने महाकुंभ के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले दो शब्द - 'शाही स्नान और पेशवाई' को बदलकर नया नाम दिया है। अब 'शाही स्नान' को 'अमृत स्नान' और 'पेशवाई' को 'नगर प्रवेश' कहा जाएगा। बता दें कि ये नए नाम सनातन परंपरा से प्रेरित हैं, जबकि पुराने शब्द फारसी भाषा के थे।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत 13 जनवरी यानी पौष पूर्णिमा से से होगी और महाशिवारात्रि 26 फरवरी तक जारी रहेगा। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। राज्य और केंद्र सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई व्यस्थाएं की जा रही हैं। महाकुंभ के दौरान डुबकी लगाना यानी स्नान करने का विशेष महत्व है। इसके विशेष तिथियां निर्धारित की गई हैं। इन तिथियों में स्नान करना बेहद शुभ माना जा जाता है। इसे शाही स्नान कहा जाता है।

छह शाही स्नान हैं

इस बार छह शाही स्नान हैं, जो पौष पूर्णिमा से शुरू होगा। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन हैं, दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर है। तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन है, चौथा शाही स्नान 03 फरवरी को बसंत पंचमी पर है। पांच और छठा शाही स्नान क्रमश: 12 फरवरी माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को है। सीएम योगी ने 'शाही स्नान' शब्द को बदल दिया है, अब इसे अमृत स्नान के नाम से जाना जाएगा।

संतों ने की थी मांग

बता दें कि इन नाम को बदले जाने की काफी दिनों से मांग की जा रही थी। हालांकि शाही स्नान की परंपरा सदियों पुरानी है। बताया जा रहा है कि इस परंपरा की शुरुआत 14वीं से 16वीं शताब्दी में हुई थी। इस स्नान पर मुहुर्त के समय सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं, इसके बाद भक्तों का स्नान शुरू होता है। संतों ने इसके लिए नए नाम - राजसी स्नान और अमृत स्नान सुझाये थे। वहीं, अखाड़ों और संतों ने पेशवाई नाम को भी बदलने की मांग की थी। उन्होंने पेशवाई शब्द की जगह छावनी प्रवेश, प्रवेशाई या नगर प्रवेश करने की मांग की थी। योगी सरकार ने इसे बदलकर नगर प्रवेश कर दिया है।

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