अब छात्रों से मनमानी वसूली नहीं कर सकेंगे निजी क्षेत्र के मेडिकल काॅलेज

निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेजों द्वारा छात्रों से फीस वसूलने में की जा रही मनमानी पर लगाम लगाते हुये प्रदेश सरकार ने राज्य के निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेजों में एमबीबीएस व बीडीएस की फीस निर्धारित कर दी है।

Update:2019-07-02 21:29 IST

लखनऊ: निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेजों द्वारा छात्रों से फीस वसूलने में की जा रही मनमानी पर लगाम लगाते हुये प्रदेश सरकार ने राज्य के निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेजों में एमबीबीएस व बीडीएस की फीस निर्धारित कर दी है।

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प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने जारी किया शासनादेश

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा. रजनीश दुबे द्वारा जारी शासनादेश के मुताबिक निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेज अब स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस-बीडीएस) की सिक्योरिटी धनराशि तीन लाख रुपये तथा छात्रावास शुल्क (वार्षिक) डेढ़ लाख रुपये अधिकतम ले सकते है।

शासनादेश में कहा गया है कि निर्धारित शैक्षणिक शुल्क व अन्य शुल्क वर्षवार ही जमा कराया जाये तथा किसी भी दशा में अग्रिम वर्षों का शुल्क अग्रिम तौर पर न जमा कराया जाये।

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मनमानी वसूली की लगातार मिल रही थी शिकायतें

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने बताया कि निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेण्टल कालेजों द्वारा सिक्योरिटी और छात्रावास शुल्क के नाम पर छात्रों से मनमानी धनराशि की वसूली किये जाने की शिकायतें लगातार मिल रही थी।

उन्होंने कहा कि यह उप्र. निजी व्यवसायिक शैक्षणिक संस्था (प्रवेश का विनियमन और फीस का नियतन) अधिनियम-2006 के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा विभिन्न स्रोतों से यह शिकायते भी मिल रही थी, कि निजी क्षेत्र के मेडिकल और डेण्टल कालेजों द्वारा हर साल निर्धारित शैक्षणिक शुल्क व अन्य शुल्कों को वर्षवार लिये जाने के बजाय शैक्षणिक शुल्क व अन्य शुल्क की धनराशि अग्रिम के रूप में एक ही साथ छात्रों से जमा कराया जा रहा है, जिसके कारण सम्बंधित छात्रों व अभिभावकों पर एक ही साथ सम्पूर्ण धनराशि जमा कराये जाने का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।

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