प्रियंका की परीक्षाः सहारनपुर दौरा आज, पश्चिम यूपी के किसानों को कितना लुभाएंगी

राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी पहले से ही पश्चिम उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो चुके हैं ऐसे में लोगों के बीच पहुंचने में शुरुआती देर कर चुके प्रियंका गांधी अब कितना फायदा उठा सकेंगी।

Update:2021-02-10 11:06 IST
प्रियंका की परीक्षाः सहारनपुर दौरा आज, पश्चिम यूपी के किसानों को कितना लुभाएंगी (PC: social media)

अखिलेश तिवारी

लखनऊ: पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में असर पैदा करने के लिए कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार से जय जवान जय किसान का संदेश लेकर लोगों के बीच जाने को तैयार हैं। केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों के विरोध में जन्मे किसान आंदोलन की वजह से पश्चिम उत्तर प्रदेश इन दिनों भाजपा विरोधी राजनीति का केंद्र बनता दिखाई दे रहा है।

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समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से भी अपना राजनीतिक हिस्सा लेना पड़ेगा

राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी पहले से ही पश्चिम उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो चुके हैं ऐसे में लोगों के बीच पहुंचने में शुरुआती देर कर चुके प्रियंका गांधी अब कितना फायदा उठा सकेंगी। इसका पूरा दारोमदार कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और भारतीय जनता पार्टी की नाकामियों पर टिका हुआ है। कांग्रेश को पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से भी अपना राजनीतिक हिस्सा लेना पड़ेगा।

पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान भली-भांति समझ चुका है

बुधवार को सहारनपुर के नागौर तहसील से जय जवान जय किसान अभियान की शुरुआत करने जा रहे प्रियंका गांधी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में 10 दिन के जागरण अभियान का खाका खींचा है। उनकी मंशा किसान आंदोलन के मुद्दे पर पश्चिम उत्तर प्रदेश के लगभग 27 जिलों में कांग्रेस की पैठ बनाने की है। कांग्रेस यह बात भली बात समझ रही है कि जिस तरह से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान लामबंद हुआ है उससे साफ पता चल रहा है कि कृषि कानूनों की खामियों को और भारतीय जनता पार्टी सरकार की गलत मंशा को पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान भली-भांति समझ चुका है।

यूपी के इन जिलों में रहते है ज्यादा किसान

उत्तर प्रदेश के तराई वाले जिलों सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर में बड़ी जोत वाले किसान रहते हैं और वह एमएसपी के फायदे को भलीभांति समझ रहे हैं उन्हें पता है कि एमएसपी नहीं रहने से उनका बड़ा घाटा होगा और बाजार में किसान टिक नहीं पाएंगे। इसी भावना को समझ कर कांग्रेसमें भी किसानों पर दांव खेला है लेकिन प्रियंका गांधी की बड़ी समस्या यह भी है कि उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों और मतदाताओं के बीच जाने में शुरुआती देर कर दी है।

किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन का ऐलान कर दिया

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत जिस दिन गाजीपुर बॉर्डर पर रोए थे उसी दिन राष्ट्रीय लोक दल सक्रिय हो गया और उसने किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन का ऐलान कर दिया। क्या फायदा भी राष्ट्रीय लोकदल को हुआ जब किसान पंचायत में भाकियू नेता नरेश टिकैत ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल को कमजोर करने से किसानों का नुकसान हुआ है अब यह गलती दोबारा नहीं होने देंगे। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने भी लगभग 10 दिन पहले ही पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपने बड़े नेताओं की टीम उतार दी है जिसमें सभी जिलों के जिला अध्यक्ष भी शामिल हैं।

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ऐसे में प्रियंका गांधी को पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों और मतदाताओं का मन जीतने के लिए जितना भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर होना है उतना ही उन्हें सपा और राष्ट्रीय लोकदल की राजनीति पर भी नजर रखनी होगी जिससे भाजपा विरोध के साथ ही कांग्रेस को स्थानीय राजनीतिक शक्तियों के मुकाबले फायदा मिल सके।

प्रियंका गांधी ने 10 दिन के जय जवान जय किसान कार्यक्रम में पार्टी के बड़े नेताओं को उतार दिया है। इससे यह पता तो चल रहा है कि कांग्रेस पश्चिम उत्तर प्रदेश कि राजनीति में हो रहे बदलाव को लेकर गंभीर है और इसमें अपने लिए भी संजीवनी की तलाश कर रही है लेकिन देखना यही होगा कि प्रियंका गांधी अपने समान विचार वाले राजनीतिक दलों के मुकाबले में किस तरह कांग्रेस को प्रोजेक्ट कर प्रोजेक्ट कर पाएंगी।

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