UPSC Result 2021: शरीर पर 7 गोलियों के घाव और एक आंख गवांने पर भी नहीं डिगे रिंकू सिंह, PCS से बने IAS
UPSC Success Story: जानलेवा हमले का शिकार होने वाले करीब 40 वर्षीय रिंकू सिंह राही के हौंसले अभी बरकार हैं। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 683वीं रैंक प्राप्त की है।
UPSC Success Story: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद (Muzaffarnagar) में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद काम करने के दौरान एक जानलेवा हमले का शिकार होने वाले करीब 40 वर्षीय रिंकू सिंह राही (Rinku Singh Rahi) के हौंसले अभी बरकार हैं। वें कहते हैं , मेरी ईमानदारी का ही फल था कि इतने बड़े जानलेवा हमले के बाद भी मैं जिंदा बच गया। रिंकू सिंह राही इस जानलेवा हमले की वजह करीब सौ करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला बताते हैं जिसका पर्दाफाश उनके द्वारा किया गया था।
परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2021 (UPSC Civil Services 2021 Result) में 683वीं रैंक प्राप्त करने वाले हापुड़ के आईएएस पीसीएस कोचिंग सेंटर के प्रभारी रिंकू सिंह राही (Rinku Singh Rahi) की गिनती प्रदेश के जांबाज सरकारी अफसरों में की जाती है। अलीगढ़ निवासी रिंकू सिंह राही ने आज न्यूजट्रैक से बातचीत में जो कुछ बताया उसके अनुसार यूपी पीसीएस 2004 बैच की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2008 में रिंकू सिंह राही ने जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में ज्वाइनिंग की थी। जिले में करीब सौ करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले (Scholarship Scam) का पर्दाफाश किया था। इसकी सूचना उन्होंने निदेशालय को दी थी। कुछ दिन बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ था।
कोर्ट के फैसले से खुश नहीं रिंकू
बकौल रिंकू सिंह राही (Rinku Singh Rahi) बताते हैं, हमले में सात गोली लगी, हमले के बाद उनकी एक आंख की रोशनी जाती रही और उन्हें मुंह की सर्जरी करानी पड़ी थी। एक साइड का जबड़ा भी पूरी तरह से डैमेज हो गया था। किसी तरह जान बच पाई। 26 मार्च 2009 को हुए इस हमले में चार आरोपियों को दस-दस साल की सजा हुई है। चार आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। हालांकि रिंकू सिंह अदालत के फैसले से खुश नहीं दिखते हैं। वें कहते हैं, इस मामले में खरीद-फरोख्त हो गई थी। सरकारी वकील से लेकर प्राईवेट वकील सब के सब बिक गये। घोटाले का असली आरोपी बच गया है। उसको बरी कर दिया गया है।
राही के अनुसार, इस केस के दो बिन्दू थे। क्रिमिनल केस था और मेरे घोटाले का केस था। जज ने घोटाले को नजरअंदाज कर दिया। जज ने मान लिया कि मेरे पास ऐसे कोई साक्ष्य नही हैं जिससे यह साबित हो कि मेरे ऊपर हमला करने का आरोपी के पास कोई मकसद था। वे कहते हैं, अदालत का यह निर्णय मुझे एक दिन पहले ही पता चल चुका था।
किसी भी सरकार में नहीं रूकी सजा
ईमानदारी की जिंदा मिसाल माने जाने वाल रिंकू सिंह राही कहते हैं, यूपी में जो भी सरकार आई, 'सजा' कभी नहीं रूकी।' मौजूदा पोस्टिंग के दौरान ही शासन से दो बार चार्जशीट पा चुके हैं। उन्हें गोली मारी गई, तब बसपा सरकार थी। सपा सरकार के दौरान उन्हें पागलखाने भेजा गया और भाजपा सरकार में सस्पेंड किया गया। वह बताते हैं कि उनके द्वारा भदौही और श्रावस्ती घोटाला खोला गया था, वहां पर एफआर हुई थी, लेकिन उन्होंने जांच बंद करके एफआर लगा दी है। 2018 में ललितपुर पोस्टिंग के दौरान उनके इरादों को तोड़ने के लिए मुझे बिना किसी उचित कारण के सस्पेंड करा दिया गया था। वहां से मेरा तबादला कोचिंग सैंटर, हापुड़ में कर दिया गया। यह पनिशमेंट पोस्ट मानी जाती है।
बकौल रिंकू सिंह राही, अभी दो-चार महीने पहले समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) के डायरेक्टर का फोन आया था उन्होंने धमकी दी थी कि तुम्हें सस्पेंड करा दूंगा। वो मुझ से एक गलत काम कराना चाह रहे थे। सस्पेंड तो नहीं करा पाए थे। लेकिन उन्होंने मेरा बलिया में तबादला करा दिया। रिंकू सिंह अपने विभागीय मंत्री से बेहद खुश हैं। वे कहते हैं, पहली बार ऐसा हुआ है कि विभाग के मंत्री असीम अरुण का भ्रष्टाचार को खत्म करने में सर्पोट मिला है। यह मेरी लाइफ का पॉजिटिव प्वाइंट है।
हमले के डर से कराया बीमा
आठ साल के बच्चे के पिता राही कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि प्रलोभन ने मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं दी। लेकिन मुझे पता था कि अगर मैं कभी भी नापाक गतिविधियों में लिप्त रहा, तो किसी और को और उनके बच्चे को भी नुकसान हो सकता है।" उन्होंने कहा कि भविष्य में उन पर और हमले होने की स्थिति में उन्होंने अपना बीमा करा लिया है। क्योंकि वो नहीं चाहते कि उनके बाद उनके बच्चों के हाथों में कटोरा हो।
रिंकू सिंह के अनुसार, उनके पिता श्यौदान सिंह राही की आटा चक्की है। रिंकू की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही हुई। रिंकू ने प्राथमिक पढ़ाई बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों से की। उन्होंने सरकारी इंटर कॉलेज से अपनी इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। अच्छे नंबर लाने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिली और फिर उन्होंने जमशेदपुर सरकारी इंस्टीट्यूट से बीटेक किया। जिसके बाद 2008 में पीसीएस में उनका चयन हुआ।
ईमानदार लोग टूट जाते हैं...
बातचीत में रिंकू सिंह राही ईमानदारी को लेकर इतना ही कहते हैं, मेरा यह कहना है कि ईमानदारी इसलिए कम नहीं है कि ईमानदार लोग कम हैं। असली कारण है कि ईमानदार लोग टूट जाते हैं। वे कहते हैं, असल में ईमानदारी तब शुरु होती है जब विपरीत परिस्थितियां हों। आज ईमानदार और भ्रष्ट लोंगो के बीच में जो लड़ाई है, उसमें भ्रष्ट सिस्टम इतना कमजोर है कि एक कड़ी भी टूट जाए तो पूरा सिस्टम टूट कर नीचे आ जाएगा। इसलिए हमारी कोशिश इस कड़ी को तोड़नी की होनी चाहिए।
कभी ईश्वर से ईमानदारी का इनाम मिला आपको? इस सवाल पर पहले मुस्कारते हैं फिर गंभीर होकर रिंकू सिंह राही कहते हैं, यह ऊपर वाले ने ईमानदारी का ईनाम नहीं दिया तो और क्या है कि शरीर पर 7 गोलियों खाने के बाद भी में आज जिंदा आपके सामने हूं। इन सात गोलियों में तीन तो मेरे सिर में लगी थी। रिंकू सिंह के अनुसार, मैंने तो तय कर रखा है कि जीवन में जितने मौके मिलेंगे,उतना ही काम करेंगे। आखिर में मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि मेरी ईमानदारी ऐसे ही यूं ही कायम रहे। आखिर में यह शेर कहते हुए रिंकू सिंह राही अपनी बात को विराम देते हैं,
सब कुछ लुटाने की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए भ्रष्टाचारियों में है।
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