Gorakhpur: ऐसे होती है गोरखनाथ मंदिर में शक्ति पूजा, गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ होते हैं दंडाधिकारी की भूमिका में

Navratri 2021: नवरात्र के पहले दिन गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर स्थित शक्तिपीठ में कलश स्थापित करते हैं।

Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-10-07 15:23 IST

Navratri 2021: ऐसे होती है गोरखनाथ मंदिर में शक्ति पूजा 

Gorakhpur: नाथपंथ के विश्व विख्यात गोरखपुर के गोरक्षपीठ (Gorakhnath temple) की अनेकानेक विशेषताओं में यहां नवरात्र (Navratri 2021) की शक्ति पूजा व इससे संबंधित आनुष्ठानिक कार्यक्रम बेहद खास हैं। नाथपंथी योगी शैव मतावलम्बी यानी शिव के उपासक होते हैं। लेकिन गोरखनाथ मंदिर में शिव के साथ शक्ति की आराधना और नवरात्र की पूर्णाहुति पर राघव अर्थात भगवान राम (God Ram) का राजतिलक करने की परंपरा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती।

गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं कलश स्थापना

नौ दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत नवरात्र के पहले दिन गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर स्थित शक्तिपीठ में कलश स्थापित करते हैं। इसके पहले कलश यात्रा निकाली जाती है। परिसर स्थित भीम सरोवर का जल कलश में भरा जाता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ कलश स्थापना के दायित्व का निर्वहन करते हैं। बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि कलश यात्रा के दौरान शिव, शक्ति और बाबा गोरखनाथ के त्रिशूल को अब उनकी बजाय मंदिर के मुख्य पुजारी योगी कमलनाथ लेकर चलते हैं। परंपरा के अनुसार त्रिशूल लेकर चलने वाले को नौ दिन मंदिर में ही रहना होता है।


अनवरत चलता है श्रीदेवी भागवत पाठ, महानिशा पूजा करते हैं पीठाधीश्वर

नवरात्र में यहां श्रीदेवीभागवत/दुर्गा शप्तशती का पाठ अनवरत चलता है। इसके साथ ही देवी देवताओं के आवाहन के साथ पूजन आरती होती है। हर दिन देवी के स्वरूप विशेष की विशिष्ट पूजा होती है। अष्टमी की रात्रि में गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महानिशा पूजन करते हैं। महानिशा पूजन को विशेष शक्ति पूजा समझा जाता है।



नौ दिन व्रत रहते हैं गोरक्षपीठाधीश्वर

नवरात्र में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नौ दिन व्रत रहते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के पहले वह अनवरत नौ दिन शक्ति की आराधना के दौरान मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलते थे।

मातृ स्वरूप में कन्याओं का पांव पखारते हैं योगी

नौ दिन व्रतोपासना की पूर्णाहुति हवन और कन्या पूजन से होती है। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कन्याओं का मातृ स्वरूप में पूजन कर उनका पांव पखरते है। यह दृश्य देखने लायक होता है। इस अवसर पर बटुक भैरव के रूप में कुछ बालक भी शामिल होते हैं।

दशमी के जुलूस का रहता है इंतजार

नवरात्र पूर्ण होने पर विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर रथयात्रा जुलूस से मन्दिर से थोड़ी दूरी पर स्थित मानसरोवर मैदान जाते हैं। वहां पहले से चल रही रामलीला में प्रभु श्रीराम का राजतिलक करते हैं। इसी क्रम में विजयादशमी पर श्रद्धालुओं और शिष्यों द्वारा पीठाधीश्वर योगी जी का तिलक कर तिलकोत्सव की भी परंपरा रही है, हालांकि गत वर्ष कोविड प्रोटोकॉल के तहत यह नहीं हो पाया था।

दशमी के दिन दंडाधिकारी की भी भूमिका

गोरक्षपीठाधीश्वर विजयादशमी के दिन साधु संतों के आपसी विवादों के समाधान के लिए दंडाधिकारी की भी भूमिका में होते हैं। गत विजयादशमी से लेकर इस विजयादशमी तक यानी वर्षभर के विवादों का योगी द्वारा सर्वस्वीकार्य निपटारा किया जाता है।

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