Gorakhpur News: गोरखपुर में टोल रोड भी गड्ढे में, उछलते-कूदते कीजिये लखनऊ-सोनौली फोरलेन पर सफर
Gorakhpur News: जंगल कौड़िया से लेकर कालेसर फोरलेन बाइपास पर जगह-जगह सड़क धंस गई है।
Gorakhpur News: सरकार फोरलेन पर टोल इसलिए वसूलती है कि वह सुरक्षित और सुहाना सफर सुनिश्चित कराएगी, लेकिन सीएम सिटी में टोल रोड पर सिर्फ रुपये दीजिए, गड्ढामुक्त फोरलेन की उम्मीद मत कीजिये। गोरखपुर से लखनऊ फोरलेन हो या फिर गोरखपुर से सोनौली। या फिर जंगल कौड़िया से लेकर कालेसर बाईपास, सभी टोल रोड की हालत खस्ता है। एनएचएआई यह कहते हुए पल्ला झाड़ ले रहा है कि टोल वसूलने वाली फर्म को फोरलेन की मरम्मत करनी है। वहीं टोल रोड के ठेकेदार को वसूली से ही फुर्सत नहीं है। कहने को परिवहन विभाग 30 सितम्बर तक सड़क सुरक्षा सप्ताह चला रहा है। लेकिन इस सप्ताह में उसका जोर डग्गामार वाहनों को पकड़ने से लेकर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर है। गड्ढों में आम लोग गिरे, मरें इससे विभाग को कोई सरोकार नहीं है। 'न्यूजट्रैक' ने गोरखपुर के तीन प्रमुख टोल रोड की पड़ताल की। सभी की हालत खस्ता है।
फोरलेन पर मिट्टी धंस गई, पानी में समा गई रेलिंग
जंगल कौड़िया से लेकर कालेसर फोरलेन बाइपास पर जगह-जगह सड़क धंस गई है। एप्रोच मार्ग टूट गया है। करीब 300 मीटर लंबाई में पशुओं को आने से रोकने के लिए लोहे की रेलिंग भी पानी में समा गई है। सड़क की जर्जर स्थिति को देखते हुए भारी वाहन चालक डिवाइडर से सटकर ही चल रहे हैं। जंगल कौड़िया से कालेसर भीटनी गाँव के सामने 300 मीटर से अधिक लंबाई में एप्रोच टूट गया है। लोहे की रेलिंग का बड़ा हिस्सा पानी में समा गया है। फोरलेन पर स्ट्रीट लाइट नहीं होने से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। ड्राइवर कैलाश सिंह बताते हैं कि टोल रोड पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं है। सड़क किनारे मिट्टी धंसने से खतरा बना हुआ है। रात के अंधेरे में चलना बेहद खतरनाक है। वहीं जंगल कौड़िया जीरो प्वाइंट से लेकर कालेसर के बीच करीब 17 किमी लंबाई में कई स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। स्थानीय नागरिक सोनू तिवारी कहते हैं कि फोरलेन के किनारे वाहन चलाने में डर लगता है। भय लगता है कि कहीं सड़क धंस ना जाए। बाढ़ के पानी की वजह से जंगल कौड़िया से कालेसर तक फोर लेन के किनारे की मिट्टी जगह-जगह धंस गई है। रात में लोग फोरलेन पर चलने से बच रहे हैं।
जानलेवा गड्ढे से खुद सुरक्षित रहें, विभाग को गड्ढे भरने की फुर्सत नहीं
गोरखपुर से सोनौली तक सफर में दो स्थान पर टोल देना होता है। लेकिन कोई भी ऐसा पैच नहीं है, जहां सामान्य स्पीड के गाड़ी ड्राइव की जा सके। जंगल कौड़िया से लेकर कैम्पियरगंज के बीच गड्ढे ही गड्डे हैं। कैम्पियरगंज फ्लाईओवर के पहले भारत पेट्रोल पंप के पास दोनों लेन में जानलेवा गड्ढा हो गया है। फ्लाईओवर के पास शिव ज्योति हास्पिटल के पास जानलेवा गड्ढा हो गया है। इसी तरह हरनाथपुर चौराहे से कैम्पियरगंज तक 4 किमी सड़क धंस गयी है। जंगल कौड़िया से कैम्पियरगंज तक करीब 22 किलोमीटर लंबाई में 200 से अधिक गड्ढे हैं। कैम्पियरगंज में गड्ढे के चलते पिछले एक महीने में 28 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें 52 राहगीर घायल हो चुके हैं। इनमें से कईयों का इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है। बिजली विभाग के काम करने वाले बिक्रांत यादव बताते हैं कि विभाग का ध्यान सिर्फ टोल वसूलने पर है। राहगीरों को राहत देने में कोई पहल नहीं हो रही है।
जीरो प्वाइंट से ही गड्ढों में हिचकोले खाने लगती हैं गाड़ियां
गोरखपुर से लखनऊ फोरलेन पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। टोल देकर सफर करने वाले गुस्सा तो करते हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। गोरखपुर से निकलते ही कालेसर जीरो पॉइंट पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। शहर की तरफ जाने वाले लेन और टोल प्लाजा तेनुआ की ओर जाने वाले लेन में गड्ढे ही गड्ढे हैं। करीब 500 मीटर लंबाई में सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही नजर आते हैं। पिछले 15 दिनों में कई ट्रक गड्ढों में फंसे हैं। जिससे घंटों जाम लगा रहता है। पुलिस की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। गोल चक्कर के गड्ढों को लेकर एनएचएआई के जिम्मेदार संजीदा नहीं है। गीडा के उद्यमी आरएन सिंह कहते हैं कि गोल चक्कर से होकर गुजरे बिना कहीं नहीं जा सकते हैं। मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत का कोई असर नहीं है। गीडा की फैक्ट्रियों में जाने वाली गाड़ियां गड्ढों में फंस जाती हैं। वहीं सहजनवा से लेकर मगहर के बीच में भी सड़कें उखड़ गईं हैं।