Gorakhpur News: एंटीबायोटिक दवाओं के बेवजह इस्तेमाल से मोटापा और तनाव का खतरा, एम्स अब ऐसे रोकेगा बेवजह इस्तेमाल
Gorakhpur News: टेस्ट से कुछ ही घंटों में संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणुओं की पहचान हो जाएगी। जिसके बाद तय होगा की मरीज को कौन सा एंटीबायोटिक देना है।
Gorakhpur News: तमाम शोध में साफ हो चुका है कि एंटीबायोटिक दवाओं को गलत इस्तेमाल मोटापा, तनाव से लेकर कई रोगों को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एंटीबायोटिक दवाओं के बेवजह इस्तेमाल को लेकर प्लान बनाया है। इसके लिए एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कल्चर और सेंसिटिविटी टेस्ट की शुरुआत की गई है। इस टेस्ट से कुछ ही घंटों में संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणुओं की पहचान हो जाएगी। जिसके बाद तय होगा की मरीज को कौन सा एंटीबायोटिक देना है।
एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. अरुप मोहंती ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल लोगों की सेहत पर बुरा असर डालता है। हल्का बुखार या फिर सर्दी-जुकाम होने पर लोग मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक लेकर उसका सेवन कर लेते हैं। जबकि, एंटीबायोटिक खाने से वायरस नहीं मरते हैं, यह केवल बैक्टीरिया को मारता है। इसकी वजह से अच्छे बैक्टीरिया लैफ्टोबैसिलस, बिफीडोबैक्टीरिएम लोंगुम को नुकसान पहुंचता है। जबकि, शत्रु बैक्टीरिया पीएड्रमोनास, क्लेबबिईला को बढ़ावा मिलता है, जो मोटापा, तनाव जैसी समस्याओं को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा लोग आटिज्म और आर्थराइटिस के शिकार हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए एम्स में कल्चर एंड सेंसिटिविटी जांच की शुरुआत की गई है। इस जांच से कुछ ही घंटों के अंदर यह पता चल जाएगा कि संक्रमण की स्थिति क्या है और मरीज को कौन सी दवा देनी चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि जब किसी मरीज को संक्रमण होता है, तो डॉक्टर उसके शरीर से सैंपल लेते हैं। इस सैंपल को जांचने के लिए पहले लैब में रखा जाता था, लेकिन अब स्वचालित मशीनें इन सैंपलों का विश्लेषण बहुत तेजी से करती हैं। मशीनें बताएंगी कि मरीज को किस तरह का संक्रमण है और कौन सी दवा उस संक्रमण के लिए सबसे कारगर होगी।
रिसर्च कर निष्कर्ष पर पहुंचेगा एम्स
जांच के बाद ऐसे मरीजों का डाटा भी इकट्ठा किया जा रहा है। आगे इस पर शोध किया जाएगा। यह पता करने की कोशिश होगी कि कौन सा एंटीबायोटिक दवा का इस्तेमाल पूर्वांचल में लोग कर रहे हैं। समय-समय पर इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा, जिससे संक्रमणों के बारे में अधिक जानकारी मिल सके और इसे भविष्य में रोका जा सके।