Gorakhpur News: शुक्रवार को महराजगंज आएंगे राजनाथ सिंह, महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा का करेंगे अनावरण

Gorakhpur News: महराजगंज के चौक बाजार स्थित गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय में महंतश्री की भव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

Published By :  Shweta
Update: 2021-09-23 12:59 GMT

महंत अवैद्यनाथ और राजनाथ सिंह (डिजाइन फोटो) 

Gorakhpur News:  ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ (Mahant Avaidyanath) की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) शुक्रवार को महराजगंज (Maharajganj) जिले में मौजूद रहेंगे। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी मौजूद रहेंगे। दोनों नेता महराजगंज के चौक बाजार स्थित गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय (Goraksha Peethadhishwar Mahant Avedya Nath Mahavidyalaya) में महंतश्री की भव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारियों जोर-शोर से चल रही हैं। केन्द्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद पंकज चौधरी (MP Pankaj Choudhary) गुरुवार को ही महराजगंज पहुंच गए हैं।

योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को गोरक्षनाथ मंदिर से ही कार्यक्रम को लेकर तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर  महंत अवेद्यनाथ का जीवन में दो ही सपना था। पहला, ऊंच-नीच, जाति-पाति और छुआछूत एवं अस्पृश्यता की कुरीति को खत्म कर सामाजिक समरसता की स्थापना करना। दूसरा, अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण। इन दोनों सपनों को पूरा करने के लिए वह ताउम्र मिशनरी भाव से जुड़े रहे। उनका शुमार श्रीराम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नायकों में है।

अपने मिशन के लिए ही राजनीति में आए महंत अवेद्यनाथ

मालूम हो कि नाथपंथ की लोक कल्याणकारी परंपरा को धर्म के साथ राजनीति से भी संबद्ध कर महंत जी ने पांच बार मानीराम विधानसभा और चार बार गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए हुए आंदोलन को निर्णायक पड़ाव देने के लिए इस राष्ट्रसंत को निश्चित ही युगों युगों तक याद किया जाएगा। अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों का योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित है। महंत दिग्विजयनाथ ने अपने जीवनकाल में मंदिर आंदोलन में क्रांतिकारी नवसंचार किया तो उनके बाद इसकी कमान संभाली महंत अवेद्यनाथ ने। नब्बे के दशक में उनके ही नेतृत्व में श्रीराम मंदिर आंदोलन को समग्र, व्यापक और निर्णायक मोड़ मिला। आंदोलन की ज्वाला गांव-गांव तक प्रज्वलित हुई। महंत अवेद्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति और श्रीराम जन्मभूमि निर्माण उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष के रूप में आंदोलन में संतो, राजनीतिज्ञों और आमजन को एकसूत्र में पिरोया। यह भी सुखद संयोग है कि पांच सदी के इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में प्रशस्त हुआ है।

डोमराजा के घर भोजन कर दिया सामाजिक समरसता का संदेश

महंत अवेद्यनाथ वास्तविक अर्थों में धर्माचार्य थे। धर्म के मूल मर्म सामाजिक समरसता को उन्होंने अपने जीवनपथ का उद्देश्य बनाया। आजीवन उन्होंने हिन्दू समाज से छुआछूत और ऊंच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने के लिए वृहद अभियान चलाया। अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बरहपंथ योगी महासभा के अध्यक्ष के रूप में महंतजी ने देशभर के संतों को भी अपने इसी अभियान से जोड़ा। अपने स्पष्ट विचारों के चलते पूरे देश के संत समाज में अति सम्माननीय रहे महंत अवेद्यनाथ दक्षिण भारत के मीनाक्षीपुरम में दलित समाज के सामूहिक धर्मांतरण की घटना से बहुत दुखी हुए। इस तरह की पुनरावृत्ति उत्तर भारत में न हो, इसी कारण से धर्म के साथ उन्होंने राजनीति की भी राह चुनी। उनका ध्येय हिन्दू समाज की कुरीतियों को दूर कर पूरे समाज को एकजुट करना था। इसे लेकर उन्होंने दलित बस्तियों में सहभोज अभियान शुरू किया । जहां जातिगत विभेद से परे सभी लोग एक पंगत में भोजन करते। काशी में डोमराजा के घर संत समाज के साथ भोजन कर महंतजी ने सामाजिक समरसता का देशव्यापी संदेश दिया। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर के भूमिपूजन की पहली ईंट रखवाई।

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