UP Election 2022: मल्हनी विधानसभा में त्रिकोणीय जंग, वोटों की खरीद फरोख्त से जिम्मेदार बेखबर

UP Election 2022: जनपद के मल्हनी विधान सभा (Malhani Legislative Assembly) की सीट पर सपा अपने वोट बैंक के आधार पर पूरी ताकत लड़ रही है। वहीं पर इस विधान सभा में बसपा (BSP) के वोट बैंक पर सभी प्रत्याशियों की नजरें टिक गयी है।

Report :  Kapil Dev Maurya
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-02-25 19:08 IST

Jaunpur News: विधान सभा के सातवें और अंतिम चरण ( UP Election 2022 Seventh Phase) के लिए हो रहे चुनाव के लिए जनपद के मल्हनी विधान सभा (Malhani Legislative Assembly) की सीट पर बाहुबली को चुनाव मैदान में होने से यह विधान सभा अति संवेदनशील की श्रेणी में पहुंच गयी है वहीं पर भाजपा (BJP) ने जिले के अति सम्मानित जनसंघ के जमाने से राजनैतिक परिवार के सदस्य को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारकर लड़ाई को त्रिकोणीय संघर्षात्मक बना दिया है। सपा अपने वोट बैंक के आधार पर पूरी ताकत लड़ रही है। वहीं पर इस विधान सभा में बसपा (BSP) के वोट बैंक पर सभी प्रत्याशियों की नजरें टिक गयी है।

मल्हनी विधान सभा से सपा प्रत्याशी के रूप वर्तमान विधायक लकी यादव पुत्र स्व. पारसनाथ यादव चुनाव मैदान में है। यहां बता दें कि इस विधान सभा का गठन 2012 में परिसीमन के बाद हुआ है तभी से यह विधान सभा यादव बाहुल्य सीट हो गयी और यहां पर लगातार सपा का कब्जा रहा मल्हनी के पहले विधायक पारसनाथ यादव (MLA Parasnath Yadav) रहे और सरकार में मंत्री बने थे। दूसरे विधायक 2017 में पारसनाथ यादव धनंजय सिंह को हराकर विधायक बने थे। उनके निधन के बाद उप चुनाव में तीसरे विधायक पारसनाथ यादव के पुत्र 2020 में लकी यादव सपा से विधायक बन गये है इस बार भी धनंजय सिंह को मात ही मिली थी।

सपा से लकी यादव तो जनता दल यूनाइटेड बाहुबली नेता धनंजय सिंह

अब 2022 के आम चुनाव में सपा से लकी यादव चुनाव मैदान में है तो जनता दल यूनाइटेड (Janta Dal United) से बाहुबली नेता धनंजय सिंह (bahubali leader dhananjay singh) चुनाव मैदान में है हलांकि इस दल का यहां पर कोई जनाधार यहां पर नहीं है। तो धनंजय सिंह अपने जनाधार पर चुनाव में डटे हुए है। भाजपा ने जनसंघ के जमाने से केसरिया ध्वज उठाने वाले राजनैतिक परिवार के सदस्य पूर्व सांसद कृष्ण प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार के चुनाव में राजनैतिक गणित के माहिर बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने अपने ही खास सिपह सालार को शैलेन्द्र यादव को खुद का पैसा खर्च कर बसपा का प्रत्याशी घोषित करा दिया है जो एक तरह से डमी प्रत्याशी है और पर्दे के पीछे से धनंजय सिंह का समर्थन कर रहा है। इस पूरे खेल में बसपा के कोआर्डिनेटरो की अहम भूमिका मानी जा रही है।

सपा बनाम भाजपा की त्रिकोणीय लड़ाई

हलांकि बसपा (BSP) को लड़ाई से बाहर होने के कारण यहां पर सपा बनाम धनंजय सिंह बनाम भाजपा की त्रिकोणीय लड़ाई हो रही है। सपा भाजपा सहित धनंजय सिंह सभी की नजरें चुनाव जीतने के लिए बसपा के मूल मतदाताओ के उपर टिकी है। बसपा के मतदाताओ की खरीद फरोख्त का खेल हर स्तर पर किया जा रहा है लेकिन आयोग द्वारा भेजे गये प्रेक्षक गण इससे बेखबर निष्पक्ष चुनाव का कागजी कोरम पूरा कर रहें है। खरीद फरोख्त के खेल में कोई एक प्रत्याशी नहीं बल्कि त्रिकोणीय मुकाबले के सभी प्रत्याशी कर रहे है।

इस विधान सभा में कुल मतदाताओ की संख्या 3 लाख 78 हजार 835 है जिसमें पुरूष 1 लाख 94 हजार 460 है तो महिला की संख्या 1 लाख 84 हजार 370 है। जातीय आंकड़े के अनुसार इस विधान सभा में यादव मतदाताओ की संख्या 01 लाख से अधिक है, दलित मतो की संख्या 35 से 40 हजार के बीच है तो ब्राह्मण मतदाताओ की संख्या 50 हजार के आसपास है। क्षत्रीय मतदाताओ की संख्या भी 35 हजार के आसपास है।,विन्द निषाद लगभग 25 से 30 हजार के के बीच है तो चौहान भी 10 से 15 हजार के बीच है मौर्य मतदाता भी 20 से 25 हजार के बीच है, मुसलमान मतदाताओ की संख्या भी 28 से 30 हजार के आसपास बतायी गयी है।शेष अन्य जाति के मतदाता है।

क्या मुसलमान केवल अखिलेश यादव को देख रहा है?

इस बार 2022 के आम चुनाव में यादव और मुसलमान केवल अखिलेश यादव को देख रहा है प्रत्याशी कौन है इस पर कोई चर्चा नहीं है तो विन्द निषाद चौहान और क्षत्रीय मतदाताओ को लेकर धनंजय सिंह भी कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे है। भाजपा भी क्षत्रीय ब्राह्मण और अति पिछड़ो को लेकर संघर्ष कर रही है हलांकि क्षत्रीय ब्राह्मण मौर्य एक जगह नहीं बल्कि सभी के साथ जुड़े हुए नजर आ रहे है। इसलिए यहां का चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है।

10 मार्च को होगा फैसला

यहां एक बात और बताना है कि विगत उप चुनाव मे सपा को 73 हजार से अधिक वोट मिले थे तो दूसरे स्थान पर धनंजय सिंह 68 हजार वोट पा कर पराजित हुए थे। इस बार यादव मतदाता किसी भी दशा में अखिलेश यादव को सीएम बनाने के लिए संकल्पित है इसका असर मतदान और परिणाम में जरूर नजर आ सकता है। हलांकि धनंजय सिंह भी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष होने का पूरा लाभ उठाने में जुटे हुए है। 10 मार्च को परिणाम बतायेगा कौन कितने पानी में रहा है।

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