Kushinagar Accident: चिकित्सा व्यवस्था पर उठा सवालिया निशान, ढाई घंटे बाद पहुंची थी एंबुलेंस

Kushinagar Accident Inside Story: हादसे की खबर गांव के लोगों को जैसे ही हुई वे तुरंत लोगों को निकालने में जुट गए। ग्रामीणों का कहना है कि वो सभी लगातार सीढ़ी लगाकर नीचे गिरे लोगों को निकालने का काम करने लगे।

Newstrack :  Network
Published By :  Monika
Update: 2022-02-17 05:35 GMT

कुशीनगर हादसा (फोटो : सोशल मीडिया )

Kushinagar Accident: यूपी के कुशीनगर (Kushinagar Accident) में बुधवार देर शाम कुवा ढहने से बड़ा हादसा (Kushinagar Accident ) हो गया है। जिसमें करीब 13 महिलाएं और लड़कियों की मौत (13 people died) की खबर मिली है। इस हादसे के बाद गांव में अफरा तफरी मच गयी। हादसे में स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय से एंबुलेंस आ गई होती तो कई की जान बच गई होती। ग्रामीणो द्वारा फोन करने के लगभग ढाई घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची । हादसे में शिकार लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा ले जाने के बाद वहां भी किसी जिम्मेदार डॉक्टर का न मिलना चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

ये हादसा तब हुआ जब गांव की कुछ महिलाएं , बच्चे और युवतियां मटकोड़ के लिए निकली थीं। सभी कुएं के पास जमा हुए और वही नाच गाना चलने लगा। वही पास में ही स्लैब पड़ा हुआ था, जिसके चलते किसी को कुआं नहीं दिख पाया। भीड़ बढ़ते ही वो टूट कर नीचे गिर गया, जिस वजह से बड़ा हादसा हुआ । 

बता दें, हादसे की खबर गांव के लोगों को जैसे ही हुई वे तुरंत लोगों को निकालने में जुट गए। ग्रामीणों का कहना है कि वो सभी लगातार सीढ़ी लगाकर नीचे गिरे लोगों को निकालने का काम कर रहे। अँधेरा होने के कारण ये पता लगा पाना मुश्कल था कि कितने लोग नीचे गिरे थे। लेकिन जब टोर्च की रौशनी की हुई तो उन्हें पता लगा कि कई लोग कुएं में गिरे हैं। इस घटना के बाद अम्बुलेंस को फ़ोन किया गया लेकिन संपर्क करने में काफी देरी हुई।

13 लोगों की मौत

ख़बरों की माने तो, हादसे के बाद पुलिस मौके पर पहुची थी। पुलिस के प्रयास कर फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। ताकि कुएं का पानी निकाला जा सके। जिससे पता लगा कि कुल 23 लोग गिरे थे। सभी को अस्पताल भेजा गया। इनमें से 13 की मौत हो गयी।

एम्बुलेंस लेट आने से गयी लोगों की जान 

नौरंगिया गांव के स्कूल टोला के ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद रात में 9:15 से लगातार एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन एंबुलेंस रात्रि 11:00 के बाद आया। जब ग्रामीण येन केन प्रकरण घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा लेकर पहुंचे तो वहां इमरजेंसी में कोई चिकित्सक नहीं था। ग्रामीणों ने बताया कि वहां कार्यरत कुछ कर्मचारी अटपटा सवाल कर इलाज नहीं करना चाह रहे थे। यदि वहां भी सही से फर्स्ट इलाज मिल गया होता तो कई की जान बच गई होती। एक ग्रामीण ने बताया कि पुलिस के गाड़ी से जिला अस्पताल ले गये जिसमे तीन लड़कियों की सांसे चल रही थी। लेकिन जिला अस्पताल में भी चिकित्सको ने सीरियस नही लिया जिसके चलते दम तोड़ दी। 

गुस्साए ग्रामीणों ने किया चक्का जाम

नौरंगिया के हादसे में चिकित्सा विभाग की लापरवाही पर नाराज ग्रामीण एवं परिजनों ने गुरुवार को नेशनल हाईवे 28 बी को जाम कर दिया ग्रामीण एंबुलेंस सेवा के जिम्मेदारों और लापरवाह चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे । जाम की जानकारी मिलने पर स्थानीय सांसद विजय कुमार दुबे मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाकर गुस्सा शांत कराया और तब जाकर जाम खत्म हुआ।

बहादुर बेटी ने उतार दिया दूध का कर्ज कुशीनगर जनपद के नौरंगिया हादसे में मरने वालों में 13 लोगो में उसी गांव की बहादुर बेटी पूजा भी थी। जिसने अपनी मां सहित पांच लोगों की जान बचायी। लेकिन छठवे को बचाने में जिंदगी हार गई। जिंदगी हारती हुए भी पूजा ने मां के दूध का कर्ज अदा कर दिया। आर्मी मैन बलवंत यादव की 21 वर्षीय पुत्री पूजा बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और आर्मी में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रही थी। घटना के बाद पूजा पर लोगों की बचाने का धुन सवार हो गया पूजा ने 5 लोगों की जान बचा दी थी लेकिन छठवीं के बचाने में संतुलन खो दिया और काल के गाल में समा गई। आज इस बहादुर बेटी को लाल चुनरी के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है।

रिपोर्ट:  मोहन राव

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