UP में कोर्ट का एक्शन, HC ने DGP को लगाई फटकार, इन अफसरों को भी जेल
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मैनपुरी में 2019 में हुई छात्रा की संदिग्ध मौत मामले में आज फिर से सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि एक महीने में इस पूरे मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट उनके सम्मुख पेश करें।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में मैनपुरी में 2019 में हुई छात्रा की संदिग्ध मौत मामले में आज फिर से सुनवाई हुई। कल कोर्ट की फटकार के बाद आज डीजीपी मुकुल गोयल (DGP Mukul Goyal) पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में पहुंचे और अपना पक्ष रखा, हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि एक महीने में इस पूरे मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट उनके सम्मुख पेश करें। वहीं इस मामले में अब तक एएसपी, सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है। डीजीपी ने इसकी जानकारी हाईकोर्ट को आज दी ।फ़िलहाल आज की सुनवाई खत्म हो गई है और डीजीपी मुकुल गोयल के साथ तमाम अधिकारी कोर्ट से बाहर निकल चुके हैं.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
पूरे मामले की सुनवाई करते हुए आज हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया कि 1 महीने के अंदर इसकी पूरी जांच पूरी करें। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले को डीजीपी मुकुल गोयल मॉनिटर करें। साथ ही मैनपुरी के जिला जज भी मॉनिटरिंग करेंगे। कोर्ट ने कल तत्कालीन मैनपुरी के एसएसपी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी और उनके ख़िलाफ़ कड़ा एक्शन लेने की बात कही थी। अब कायस लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद दो अफसरों पर जिन गाज गिरी है। उसके लपेटे में अभी कुछ और अधिकारी भी आ सकते हैं जिसमें 2 आईपीएस अधिकारियों की चर्चा है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें मैनपुरी में नाबालिग छात्रा ने जवाहर नवोदय विद्यालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके कपड़ों व शरीर पर स्पर्म पाए गए थे। इसके बावजूद पुलिस टीम अपराधियों तक पहुंचने में विफल रही है। 24 अगस्त, 2021 के आदेश के अनुपालन में केस डायरी के साथ एसआईटी के सदस्य हाजिर हुए और बताया 16 सितंबर, 2019 की घटना की एफआईआर 17 जुलाई, 2021 को दर्ज कराई गई। मामले में पुलिस की लापरवाही और डीजीपी को दिए गए आदेश का पालन न होने पर हाईकोर्ट ने कल जमकर फटकार लगाई थी।
कल प्रयागराज छोड़ने पर लगाई थी रोक
इन दिनों उत्तर प्रदेश में कोर्ट के फैसलों से यूपी पुलिस के साथ प्रशासनिक अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को यूपी पुलिस के मुखिया मुकुल गोयल के प्रयागराज छोड़ने पर रोक लगा दी थी। यह फैसला आते ही पुलिस महकमे में सनसनी फैल गई। दरअसल, 2019 में मैनपुरी जिले में एक छात्रा की हत्या मामले में पुलिसिया लापरवाही से हाईकोर्ट बेहद नाराज दिखाई दिया। जिसके बाद आनन-फानन में मैनपुरी के दो पुलिस अफसरों पर गाज गिर गई। बता दें पिछले कुछ दिनों में कोर्ट का सख्त रुख देखने को मिला है और पुलिस अफसर के साथ लापरवाह प्राशसनिक अधिकारियों को भी जेल की हवा खानी पड़ गई है।
बाराबंकी में कोतवाल, नायब तहसीलदार को जेल
बाराबंकी में सोमवार को सिविल जज जूनियर डिवीजन खान जिशान मसूद ने स्थगनादेश की अवमानना मामले की सुनवाई की और दोषी पाए जाने पर नगर कोतवाल और नायब तहसीलदार को अभिरक्षा में ले लिया गया। जज ने कोतवाल को तीन दिन का कारावास और 66 रुपये का अर्थदंड और नायब तहसीलदार को एक महीने का कारागार व 120 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम नित्यानंद श्रीनेत्र की कोर्ट में अपील की गई, जिस पर उन्होंने स्थगनादेश दे दिया।
जौनपुर पुलिस को फटकार
वहीं, बीते 10 सितंबर को जौनपुर में पुलिस हिरासत में हुई पुजारी यादव उर्फ़ कृष्णा यादव की मौत मामले के सात महीने बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंप दी। इस चर्चित मामले की जांच अब यूपी पुलिस के बजाय सीबीआई करेगी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। इसके बाद इस मामले को उन्होंने सीबीआई को सौंप दिया। कोर्ट जौनपुर पुलिस पर सवालिया निशान उठाते हुए यह फैसला लिया था।
सहारनपुर के खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी सहारनपुर को खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मेहता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ ही इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि 24 सितंबर तक यदि कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट अधिकारी को तलब करेगी। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने अनिल कुमार की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर है। खंड शिक्षा अधिकारी ने कम राशि की बोली के कारण नीलामी 14 जुलाई, 2021 को निरस्त कर दी। वजह यह कि बोली पिछले साल की सिक्योरिटी से भी कम थी। मगर 23 जुलाई, 2021 को नीलामी निरस्त करने के अपने आदेश को वापस लेते हुए ठेका यह कहकर मंजूर कर लिया कि तीन दिनों में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की है।