रायबरेली में इसी महीने शुरू हो जाएगी एम्स की ओपीडी

Update: 2018-08-03 07:44 GMT

नरेन्द्र सिंह

रायबरेली: रायबरेली में बन रहे प्रदेश के पहले एम्स की ओपीडी को शुरू करने की तैयारी अंतिम चरण में है। रायबरेली एम्स में अधीक्षक अशोक कुमार की निगरानी में नवीनतम उपकरणों को लगाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इन उपकरणों के लगते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एम्स का औपचारिक लोकार्पण किया जाएगा। एम्स के अधीक्षक डा. अशोक कुमार के अनुसार अब तक सात डाक्टरों सहित 32 कर्मचारी रायबरेली पहुंच चुके है और जल्द ही बाकी स्टाफ भी पहुंच जाएगा। शुरुआत में लोगों को सात तरीके की ओपीडी का लाभ मिलेगा जिसमे मेडिसिन, आर्थोपेडिक, ईएनटी सहित कई विभागों में इलाज किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि इस परियोजना के कार्यान्वयन से लोगों को बहुत जरूरी राहत मिलेगी। रायबरेली एम्स सोनिया गांधी की सपने परियोजनाओं में से एक है और इसके लिए उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को 1 अप्रैल, 2015 को कैबिनेट (सीसीईए) द्वारा अनुमोदित परियोजना को तेज करने का अनुरोध किया था। गौरतलब है कि रायबरेली एम्स में ओपीडी को 2014 की यूपीए सरकार अस्थायी व्यवस्था के रूप में शुरू करना चाहती थी लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पायी और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पदभार संभालने के बाद धीरे-धीरे प्रोजेक्ट बंद कर दिया था।

रायबरेली एम्स को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2009 में 823 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ मंजूरी दी थी लेकिन तत्कालीन मायावती सरकार ने जमीन न देकर इस प्रोजेक्ट पर चार साल तक ब्रेक लगा दिया था। 2012 में प्रदेश सरकार बदली तो 2013 में एम्स को जमीन सौंपी गयी। इसके बाद एम्स प्रसाशन ने केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय को

डीपीआर सौंपा। लागत अनुमान पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की स्थायी समिति के केंद्रीय मंत्रालय ने 1,427 करोड़ रुपये की लागत को अंतिम रूप दिया। जिसके बाद 2013 में इसका निर्माण शुरू हुआ जो 2014 तक युद्ध स्तर पर चला। यूपीए सरकार इस एम्स की ओपीडी को 2014 में ही शुरू करवाना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका। केंद्र में सरकार बदलते ही एम्स पर संकट के बादल मंडराने लगे और धीरे धीरे इसके निर्माण का काम सुस्त होता गया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने परियोजना के आरंभिक समापन की मांग के लिए रायबरेली में कई बार धरना प्रदर्शन किया और मोदी सरकार पर एम्स की क्षमता घटा कर 960 से 600 बिस्तरों पर लाने का आरोप लगाया था। 2017 में प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 96 एकड़ में बन रहे एम्स के निर्माण में तेजी दिखाई। उधर केंद्र सरकार भी सक्रिय हुई और उसने एम्स के दूसरे चरण के निर्माण के 268 करोड़ रुपये के टेंडर करवा कर काम शुरू कर दिया। एम्स के पहले चरण में हॉस्टल और कर्मचारी आवास बन कर तैयार है। एम्स में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों का संचालन अगले वर्ष शुरू होने की संभावना है। रायबरेली की एम्स परियोजना मार्च 2020 तक पूरी होने की उम्मीद है।

Tags:    

Similar News