शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा यूपी, हर आंख हुई नम, पाकिस्तान पर फूटा देश का गुस्सा

शहीद शैलेंद्र सिंह का सोपोर से रामपुर तबादला हो चुका था, दस दिन बाद 15 अक्टूबर को वह घर आने वाले थे। ट्रांसफर के चलते दो माह की छुट्टी मिली थी।

Update: 2020-10-06 14:43 GMT
पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। सीआरपीएफ के डीआईजी भी शहीद के घर पहुंचे हैं।

रायबरेली सोमवार को कश्मीर के सोपोर में शहीद हुए यूपी के रायबरेली जिले के लाल शैलेंद्र प्रताप सिंह का पार्थिव शव तिरंगे में लिपटा हुआ पहुंचा तो हर आंखे छलक उठीं। इस बीच लोगों में आतंकियों के शरणदाता देश पाकिस्तान को लेकर भारी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। सीआरपीएफ के डीआईजी भी शहीद के घर पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि बुधवार को डलमऊ स्थित गंगा घाट पर शहीद की अंत्येष्ठि होगी।

 

डलमऊ क्षेत्र के अल्हौरा गांव के मूल निवासी शहीद शैलेंद्र सिंह दस साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनमें शुरू से ही देश सेवा का जज्बा था। इधर शहीद शैलेंद्र सिंह का सोपोर से रामपुर तबादला हो चुका था, दस दिन बाद 15 अक्टूबर को वह घर आने वाले थे। ट्रांसफर के चलते दो माह की छुट्टी मिली थी।

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गांव में मातम मचा

 

लेकिन कल हुए आतंकवादी हमले में शैलेंद्र के शहीद होने की दुखद सूचना सेना के अधिकारियों ने फोन से घर वालों को दी तो गांव में मातम मच गया। शहीद के मौसा ने बताया कि दस दिन बाद ही वह घर आने वाला था, उसे दो माह की ट्रांसफर लीव मंजूर हुई थी। घर वाले भी खुश थे कि शैलेंद्र अब कुछ दिन यहां हम लोगों की बीच रहेगा।

 

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सोशल मीडिया से

 

शहीद शैलेंद्र सिंह की शादी सलोन क्षेत्र के करहिया बाजार के पास एक गांव में हुई थी। पत्नी चांदनी सिंह और सात साल का इकलौता बेटा तुषार सिंह यहीं दादी-बाबा के पास रहते थे। तुषार लखनऊ पब्लिक स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है। शैलेंद्र के शहीद होने से सात साल का यह बेटा अनाथ हो गया। अब पत्नी चांदनी के जीवन में हमेशा के लिए अंधेरा छा गया। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटा अभी कुछ समझ ही नहीं पा रहा है। घर के सभी लोगों को रोते देखकर वह भी बीच-बीच में रोने लगता है।

आईटीआई से सेवानिवृत्त

गौरतलब हो कि शहीद के पिता नरेंद्र ने शहर की मलिकमऊ कॉलोनी में अपना आवास बनाया हुआ है। नरेंद्र बहादुर सिंह आईटीआई में कार्यरत थे। दस साल पहले वह आईटीआई से सेवानिवृत्त हुए थे और पूरे परिवार के साथ वह यहीं रह रहे हैं। शहीद शैलेंद्र तीन बहनों के बीच अकेले भाई थे। दो बहनों-शीलू और प्रीति की शादी हो चुकी है। सबसे छोटी बहन ज्योति पिता-मां के साथ ही रहती है। शहीद शैलेंद्र आखरी बार फरवरी माह में छुट्टी पर घर आए थे, उन्होंने छोटी बहन की शादी की तैयारियों के लिए ही शहर के मलिकमऊ कॉलोनी स्थित घर पर कुछ काम करवाया था कुछ काम छूट गया था। कह गए थे कि अगली बार जब अवकाश पर आएंगे तब काम पूरे कराएंगे।

 

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सोशल मीडिया से

श्लोक कुमार सहित सभी ने दी श्रद्धांजलि

 

छोटी बहन के लिए लड़का देखने आदि की प्रक्रिया भी चल रही थी। मौसा ज्ञानेंद्र ने बताया कि दो-तीन जगह बात भी चली लेकिन बात बन नहीं पाई थी। भाई की शहादत के बाद छोटी बहन ज्योति दहाड़े मारकर रोती हुई कह रही है । अब बिना भइया के कैसे जीवन बीतेगा?’वही जब आज शहीद शैलेन्द्र सिंह का शव घर पहुचा तो मोहल्ले में कोहराम मच गया वही शहीद को श्रद्धांजलि देने वाले लोगों का तांता लगा रहा नगर पालिका अध्यक्ष पूर्णिमा श्रीवास्तव वह प्रतिनिधि मुकेश श्रीवास्तव सहित विधायक सदर अदिति सिंह, एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह, सलोन विधायक दल बहादुर कोरी भाजपा नेता पुष्पेंद्र सिंह हजारों लोगो ने दी श्रद्धांजलि वह जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव एसपी श्लोक कुमार सहित सभी ने दी श्रद्धांजलि।

 

रिपोर्टर नरेन्द्र सिंह रायबरेली

 

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