Raebareli News: बलात्कार पीड़िता का अनुदान हड़पने में डीपीओ और आउटसोर्सिंग बाबू दोषी करार
Raebareli News: मामले की शुरुआत होती है 2019 से जब गदागंज की रहने वाली एक युवती से बलात्कार हुआ था। प्रदेश में बलात्कार पीड़िता को रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान योजना के तहत तीन लाख तक का अनुदान दिया जाता है।
Raebareli News: कहते हैं अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, वह अपने अपराध का कम से कम एक सुबूत तो छोड़ता ही है। दअरसल रायबरेली में बलात्कार पीड़िता का अनुदान हड़पने का मामला सामने आया है। अनुदान हड़पने का यह फर्जीवाड़ा एकदम फूलप्रूफ था लेकिन आरोपियों ने एक ग़लती कर दी, जिससे वह पकड़े गए। इसी ग़लती से मामला सामने आया और ज़िलाधिकारी माला श्रीवास्तव से शिकायत के बाद हुई जांच में जिला प्रोबेशन अधिकारी और संबंधित पटल का आउटसोर्सिंग बाबू दोषी पाए गए हैं। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
मामले की शुरुआत होती है 2019 से जब गदागंज की रहने वाली एक युवती से बलात्कार हुआ था। प्रदेश में बलात्कार पीड़िता को रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान योजना के तहत तीन लाख तक का अनुदान दिया जाता है। गदागंज की इस युवती को भी इसी योजना के तहत अनुदान मिलना था। यह अनुदान ज़िला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से दिया जाता है। गदागंज की बलात्कार पीड़िता का यही अनुदान हड़पने में जांच के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी और संबंधित पटल के बाबू दोषी पाये गए हैं।
गदागंज की इस पीड़िता का अनुदान हड़पने के लिए पटल बाबू भूमिका बना ही रहा था तभी उसके पास एक महिला आई जिसने अपनी बेटी को किसी योजना के तहत लाभ दिलवाने का अनुरोध किया। पटल बाबू राजेश श्रीवस्तव इतना सुनते ही चहक उठा और उसने शादी अनुदान योजना के तहत 30 हज़ार देने का वायदा कर लिया। इसके लिए बाबू ने महिला से उसकी बेटी की फ़ोटो व अन्य प्रपत्र मंगवाया और डिग्री कालेज की बैंक ऑफ महाराष्ट्र में जनधन योजना के तहत उसका खाता खुलवा दिया। बाद में इस खाते को जनधन से सामान्य खाते में कन्वर्ट करा दिया क्योंकि इसकी लिमिट 50 हज़ार रुपये ही है। खाते में फ़ोटो और मोबाइल नंबर इस महिला की बेटी का भरा गया जबकि नाम और पहले से बनवाये गए उसके नाम के फ़र्ज़ी आधार को लगा दिया गया।
महिला की बेटी का डाला मोबाइल नम्बर
बाबू से बस ग़लती यह हो गई कि उसने मोबाइल नंबर महिला की बेटी का डाल दिया। बलात्कार पीड़िता का अनुदान स्वीकृत होने के बाद जब खाते में पैसा आया तो महिला की बेटी ने बताया कि उसे शादी अनुदान मिल गया है। दअरसल खाते में जो तीन लाख आये थे उसे महिला की बेटी 30 हज़ार पढ़ रही थी जिससे वह और आश्वस्त थी कि उसे शादी अनुदान ही मिला है। बाद में उसे जब मालूम हुआ कि उसके खाते में 30 हज़ार नहीं बल्कि तीन लाख आये हैं तो जानकारी करने वह बैंक पहुंच गई। खाता चूंकि बलात्कार पीड़िता के नाम था इसलिए बैंक वालों ने महिला की बेटी को स्पष्ट कह दिया कि उसका यहां कोई खाता ही नहीं है।
महिला की बेटी को फिर भी यकीन नहीं हुआ तो वह ज़िला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय के क्लर्क राजेश श्रीवास्तव के पास पहुंच गई। क्लर्क ने टाल मटोल की तो महिला को खुद के साथ फर्जीवाड़े का शक हुआ और उसने पुलिस अधीक्षक के साथ ही ज़िलाधिकारी से शिकायत की।
ज़िलाधिकारी ने मामले की जांच का आदेश दिया तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। पुलिस ने इस मामले में जिला प्रोबेशन अधिकारी जयपाल और क्लर्क राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि यह मामला एक नज़ीर मात्र हो सकता है। पूरे प्रदेश में सीबीआई जैसी संस्था इसकी जांच करे तो अरबों रुपये का घोटाला सामने आएगा।