MLA अदिति सिंह ने कांग्रेस को दिया तगड़ा झटका, लिया ये बड़ा फैसला

कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के बगावती तेवर कम होने का नाम नही ले रहे हैं। सप्ताह भर पूर्व अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर हमलावर हुई अदिति ने आज पूरे एक सप्ताह बाद उन्होंने अपने ट्वीटर प्रोफाइल से आईएनसी (INC) हटा दिया है।

Update: 2020-05-27 14:13 GMT

रायबरेली: कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के बगावती तेवर कम होने का नाम नही ले रहे हैं। सप्ताह भर पूर्व अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर हमलावर हुई अदिति ने आज पूरे एक सप्ताह बाद उन्होंने अपने ट्वीटर प्रोफाइल से आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) हटा दिया है। उन्होंने अपनी प्रोफाइल बदली तो ट्वीटर ने ब्लू टिक भी हटा दिया है। इससे सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है।

आपको बता दें कि हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी में श्रमिकों के लिए 1000 बसें चलाने के लिए योगी सरकार से अनुमति मांगी थी जिस मामले ने तूल पकड़ लिया था। इस पर 7 दिन पहले 20 मई को अदिति ने पार्टी के खिलाफ बयान दिया था।

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उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आॅटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई।

अदिति ने ये भी लिखा था कि कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बार्डर तक ना छोड़ पाई, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।

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गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त माह में जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 व धारा 35 ए हटाया तो कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने पार्टी लाइन से इतर सरकार का खुलकर समर्थन किया था। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें नोटिस दिया था। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा का कहना है कि उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के पास नवम्बर 2019 से याचिका दायर की है। दो बार रिमाइंडर भी कांग्रेस भेज चुकी है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर आगे का कोई निर्णय नहीं लिया है।

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मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ (सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि विधानसभा की सदस्यता के ऐसे मामले में जो भी पेंडिंग उन पर फैसला तीन महीने में करें) के साथ विधानसभा अध्यक्ष को सदस्यता रद्द करने की अपील का रिमाइंडर भेजा गया है।

रिपोर्ट: नरेंद्र सिंह

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