रायबरेली प्रधान पूनम सिंह, मोटी तनख्वाह का मोह छोड़कर गांव की बदल रही हैं सूरत
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए पूनम सिंह बताती है कि दिल्ली की नौकरी छोड़कर गांव लौटने का फैसला आसान नहीं था लेकिन मेरे पति राजकुमार सिंह ने मेरा साथ दिया और हर मुश्किल आसान हो गई।
रायबरेली: डिडौली गांव की महिला प्रधान दिल्ली के एक बड़े बैंक में नौकरी कर रही थी। मोटी तनख्वाह और सभी ऐशो आराम को छोड़ कर उन्होंने देश के गांवों की सूरत बदलने की ठान ली और अपने गांव वापस आ गयी। जियोग्राफी में डॉक्टरेट पूनम सिंह ने प्रधान का चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल कर ली।
आज उनकी गिनती रायबरेली की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी और तेज़ तर्रार प्रधानों में होती है।
ये भी पढ़ें:अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी देशवासियों को शुभकामनाएं
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए पूनम सिंह बताती है कि दिल्ली की नौकरी छोड़कर गांव लौटने का फैसला आसान नहीं था लेकिन मेरे पति राजकुमार सिंह ने मेरा साथ दिया और हर मुश्किल आसान हो गई।
आज पूनम सिंह पूरा दिन अपनी जनता से घिरी रहती है। उनकी समस्यायों को दूर करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देती है।
सुबह की शुरुआत योगा क्लास से होती है उसके बाद अपनी दो बेटियों को तैयार कर स्कूल भेजती है।फिर पूजा पाठ के बाद जनता से रूबरू होती है। उनकी समस्यायों को सुनती है और क्षेत्र के भ्रमण पर निकल जाती है। पूनम सिंह का मोबाइल पर भी सभी समस्यायों को ध्यान से सुनकर उनके निराकरण की कोशिश करती है।
पूनम सिंह जियोग्राफी से पीएचडी के अलावा एमबीए भी कर चुकी है
पूनम सिंह जियोग्राफी से पीएचडी के अलावा एमबीए भी कर चुकी है। कम्प्यूटर की परास्नातक डिग्री भी उन्होंने हासिल की। इन्ही प्रमाण पत्र की बदौलत पूनम सिंह को दिल्ली के स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में नौकरी मिल गई। जब कभी वो अपने गांव अपनी ससुराल डिडौली आती थी तो यहां के विकास को देखकर उनको बहुत दुख होता था। अचानक उन्होंने गांव लौटने का फैसला किया। इनके पति राजकुमार सिंह भी दिल्ली में नौकरी करते थे। वो भी अपनी नौकरी छोड़कर रायबरेली के छोटे से गांव डिडौली वापस आ गए। गांव वापस आने के बाद पूनम सिंह ने गांव को विकास से जोड़ने की कोशिश की। शुरू में लोगों ने कई बातें बनाना शुरू किया। लोग ये कहने लगे कि महिला होकर घर बार छोड़कर बाहर निकल रही है।
कुछ दिनों बाद पंचायत चुनाव का ऐलान हो गया
कुछ दिनों बाद पंचायत चुनाव का ऐलान हो गया और डिडौली की प्रधान सीट महिला आरक्षित हो गई। गांव वालों के आग्रह पर पूनम सिंह ने प्रधान का चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। तबसे लेकर अबतक पूनम सिंह ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। लगातार जनता के बीच रहकर उनकी बेहतरी के लिए काम करती रहती है।
ये भी पढ़ें:महाराष्ट्र के पुणे में कोरोना के 2044 नए मामले, पिछले 24 घंटे में 8 मौतें
पूनम सिंग बताती है कि बहुत जल्द वो गांव में आधी आबादी को स्वरोजगार देने के लिए पोछा बनाने का काम शुरू करने जा रही है। और सिलाई सेंटर भी खुलवाने का कार्य किया जाएगा जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर होने का एक ऐसा मौका मिलेगा जिससे महिलाएं रोजगार से जुड़ी रहेंगी ये काम महिलाओं द्वारा ही किया जाएगा। इससे गांव की गरीब महिलाओं को रोजगार भी मिल जाएगा। पूनम सिंह के अथक प्रयास से गाँव की सूरत अब सहेर की तरह हो गया है।
रिपोर्ट- नरेंद्र सिंह
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।