Raebareli News: शहीद स्मारक पर डीएम ने किया दीपदान, कल आयोजित होगा श्रद्धांजलि समारोह

Raebareli News: जिलाधिकारी ने कहा कि सई नदी के पुनीत तट पर अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ किसानों ने एक बड़ा आन्दोलन किया जिसमें दर्जनों किसान शहीद हुए। उन्होंने कहा कि यह आजादी हमारे पूर्वजों के अथक संघर्षो के बाद मिली है।

Report :  Narendra Singh
Update:2024-01-06 21:25 IST

 Raebareli News (Pic:Newstrack)

Raebareli News: जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने आज मुंशीगंज स्थित शहीद स्मारक पर दीपदान कर स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किये। श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन 7 जनवरी 2024 को सुबह 11 बजे शहीद स्मारक स्थल मुंशीगंज में किया जायेगा। जिसमें सुबह 11 बजे से अमर शहीदों को जिलाधिकारी/नागरिकों द्वारा श्रद्धासुमन अर्पण कार्यक्रम, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मान आदि ही कार्यक्रम आयोजित किये जायेगे। स्वतंत्रता संग्राम के अन्तर्गत किसान आन्दोलन में शहीद हुए किसानों की याद में शहीद दिवस की पूर्व संध्या पर जिलाधिकारी हर्षिता माथुर, पूजा यादव, व्यापार मंडल द्वारा सई नदी के तट पर दीपदान एवं भारत माता मंदिर में माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित किया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि सई नदी के पुनीत तट पर अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ किसानों ने एक बड़ा आन्दोलन किया जिसमें दर्जनों किसान शहीद हुए। उन्होंने कहा कि यह आजादी हमारे पूर्वजों के अथक संघर्षो के बाद मिली है। हम सभी को इसका महत्व समझना चाहिए। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि हमें राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ पूरा करना चाहिए।

गौरतलब है कि इतिहासकार बताते हैं की 5 जनवरी 1921 को जनपद के किसानों ने जमीदारी प्रथा के खिलाफ बगावत करते हुए सई नदी के तट पर एक विशाल जन सभा का आयोजन किया था जिसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी आना था जैसे ही इसकी भनक अंग्रेजों को लगी तो उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को रायबरेली स्टेशन पहुंचने पर ही उनको नजरबंद कर दिया।

वहीं सई नदी के तट पर जमींदारी प्रथा के खिलाफ बगावत करने के लिए एकत्रित हुए हजारों की संख्या में निहत्थे किसानों को घेर कर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। यहां से भागने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था जिससे किसान भाग भी ना सके और सैकड़ों की संख्या में किसान मारे गए। इसी वजह से इसकी तुलना दूसरे जलियांवाला बाग हत्याकांड से की जाती है।

फ़िरोज़ गांधी कालेज के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए किसानों के खून से सई नदी का रंग लाल हो गया था। इस घटना से पूरे देश मे अंग्रेजो के खिलाफ एक नए आंदोलन को जन्म दिया, जिससे अंग्रेजो के खिलाफ किसानों की बगावत तेज हो गई। वहीं इतिहासकार यह भी बताते हैं कि इसी घटना को लेकर कांग्रेस ने जमीदारी प्रथा उन्मूलन को अपने एजेंडे में भी शामिल किया था।

Tags:    

Similar News