रेलवे अस्पताल में रेलकर्मी की मौत पर बवाल, तोड़फोड़ कर बंद कराई ओपीडी

मृतक के परिजनों से इलाज करवाने आए मरीजों से विवाद भी हुआ मगर आरपीएफ, जीआरपी और सिविल पुलिस के आने से मामला शांत हो गया।

Report By :  B.K Kushwaha
Published By :  Dharmendra kumar
Update:2021-04-10 23:33 IST

झांसी: नॉर्थ सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाइज संघ के कुछ नेताओं ने रेलवे अस्पताल में रेलकर्मचारी की मौत होकर मृतक के परिजनों के साथ बवाल किया। रेलवे चिकित्सक और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की। यही नहीं, जान बूझकर ओपीडी भी बंद कराई है। इस दौरान मृतक के परिजनों से इलाज करवाने आए मरीजों से विवाद भी हुआ मगर आरपीएफ, जीआरपी और सिविल पुलिस के आने से मामला शांत हो गया।

कानपुर के गोविन्दपुरी में रहने वाला राकेश कुमार बांदा में ट्रैकमैन के पद पर कार्यरत था। वह बांदा में ही अपनी पत्नी शालिनी, पांच साल की बेटी अर्पिता और तीन साल के बेटा आदर्श के साथ रहता था। छह अप्रैल को राकेश कुमार का दांत में दर्द होना शुरु हो गया तो परिजनों ने उसे महोबा अस्पताल में भर्ती करवा दिया। यहां डॉक्टरों ने उसकी कोरोना रिपोर्ट भी ली थी। यहां पर कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। दो दिन तक इलाज में किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ तो महोबा से उसे 8 अप्रैल को झाँसी स्थित मंडलीय रेलवे चिकित्सालय लाया गया। यहां उसे जनरल वार्ड में भर्ती करवा दिया। यहां फिर से उसकी कोरोना रिपोर्ट ली गई। रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उसे कोविड वार्ड में भर्ती करवा दिया। यहां उसका इलाज शुरु हो गया था। नौ अप्रैल की शाम अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई तो रेलवे चिकित्सकों ने नोडल अधिकारी से वार्तालाप की कि राकेश कुमार को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है। इस आधार पर उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। रात 8.30 बजे राकेश की मौत हो गई।
परिजनों ने लगाया था डैड बॉडी गायब करने का आरोप
मृतक के परिजनों ने रेलवे चिकित्सकों पर आरोप लगाया है कि राकेश की रेलवे अस्पताल से डैड वॉडी गायब कर दी है। परिजनों का कहना है कि दिन में राकेश से मुलाकात भी हुई थी। पैसा भी दिया था। मगर इलाज के नाम पर सुविधा शुल्क की मांग की जा रही थी। वहीं, मेडिकल कालेज से मृतक की पत्नी व भाई को फोन लगाया था लेकिन दोनों ने फोन रिसीव नहीं किया था।
रेलवे अस्पताल में नहीं है डेंटल चिकित्सक
रेलवे अस्पताल में काफी दिनों से डेंटल चिकित्सक नहीं है। इसी का परिणाम रहा कि रेलवे कर्मचारी की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि रेलवे अस्पताल में डेंटल चिकित्सक होता तो उनके मरीज की मौत नहीं हो सकती थी। इसके लिए रेलवे अस्पताल व रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है।
अंतिम संस्कार को रेलवे प्रशासन ने दिए दस हजार रुपया
अगर किसी रेल कर्मचारी की मौत होती है तो रेल प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार के लिए पैसा दिया जाता है। इसी के तहत राकेश कुमार के परिजनों को भी दस हजार कैश दिया है ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके। बताते हैं कि राकेश की मौत कोरोना पॉजिटिव के कारण हुई है लेकिन परिजन अंतिम संस्कार से काफी दूर रहे हैं। अंतिम संस्कार मेडिकल कालेज की टीम ने किया है।
फोर्स के कारण नहीं हो बड़ा बवाल
रेलवे अस्पताल में बवाल की सूचना मिलते ही रेल सुरक्षा बल के सहायक सुरक्षा आयुक्त शफीक अहमद, सीओ जीआरपी नईम खान, नवाबाद थाना प्रभारी निरीक्षक ईश्वर सिंह, जीआरपी इंस्पेक्टर संजय सिंह, आरपीएफ स्टेशन पोस्ट प्रभारी निरीक्षक ए के यादव, इलाइट चौकी प्रभारी प्रमोद कुमार तिवारी मय फोर्स के मौके पर पहुंचे और स्थिति को अपने काबू में लिया। मृतक के परिजनों के समझाने पर मामला शांत हो गया।


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