UP News: रामगोपाल और राधामोहन स्थायी संसदीय समिति के बने अध्यक्ष

UP News: सपा के प्रमुख महासचिव और सदस्य राज्यसभा प्रोफेसर रामगोपाल यादव को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्थायी संसदीय समिति का अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य सभा के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल को गृह मंत्रालय की समिति का प्रमुख नामित किया गया है।

Newstrack :  Network
Update:2024-09-28 22:35 IST

रामगोपाल और राधामोहन स्थायी संसदीय समिति के बने अध्यक्ष: Photo- Social Media

UP News: समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव और सदस्य राज्यसभा प्रोफेसर रामगोपाल यादव को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्थायी संसदीय समिति का अध्यक्ष तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य सभा के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल को गृह मंत्रालय की समिति का प्रमुख नामित किया गया है। समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र ने इनको बधाई दी है।उन्होंने उम्मीद जताई है कि दोनों विभूतियों से प्रदत्त पदों की गरिमा, गुरुत्व, महिमा और महत्व की श्रीवृद्धि ही होगी ।

प्रोफेसर रामगोपाल यादव 

प्रो रामगोपाल के पास लोकजीवन का लंबा अनुभव है । चिकित्सीय मामलों में उनकी संवेदनशील अभिरुचि जगजाहिर है। वे मरीजों के लिए फोन करने में कभी नहीं हिचकते । कई दर्जन लोग यह बताते हैं कि उनके फलां आज जीवित हैं तो रामगोपाल जी के कारण ही हैं । दूसरा उनके एक गुण को नई पीढ़ी के नेताओं को आत्मसात करना चाहिए, वह यह कि लोकजीवन में सदा सादा रहना चाहिए । उन्होंने कभी भी अपने और अपने कार्यकर्ताओं के बीच सुरक्षाकर्मियों को आने नहीं दिया। शक्तिपुंज होने बावजूद उन्होंने कभी मंत्रालय का लोभ नहीं किया ।

बात 14 सितंबर 2019 दिल्ली के विज्ञान भवन की है । गृहमंत्री अमित शाहजी ने क्रांतिधर्मी चिंतक राममनोहर लोहिया को अपने भाषण में उद्धृत किया। रामगोपालजी उस सम्मेलन राजभाषा समिति के सदस्य के रूप में बैठे थे।तभी मीडियाकर्मियों ने घेर लिया और उनसे लोहियाजी व अमित शाह पर सवाल पूछने लगे । बड़े ही आत्मविश्वास के साथ उन्होंने मीडिया के साथियों से कहा, इस विषय पर दीपक बोलेंगे । ऐसा विश्वास रामगोपालजी ही जता सकते हैं ।

राधामोहन दास अग्रवाल 

अपनी बेमिसाल सादगी, बेनजीर संप्रेषणशक्ति, बेहिसाब संजीदगी तथा प्रबल सैद्धांतिक प्रतिबद्धता के कारण अग्रगण्य राधामोहन दास अग्रवाल से नई पीढ़ी को वैचारिक कटिबद्धता सीखनी चाहिए । उनपर एक समय ऐसा भी आया कि विधायक का टिकट कट गया, पार्टी में भी कोई पद नहीं था । वे प्रतिकूल परिस्थिति में भी अपनी विचारधारा, अपने नेतृत्व और अपने दल के साथ अविचलित, अडिग और अटलवत खड़े रहे । दैववश समय बदला और अपने सद्गुणों के बल पर वे सफलता के सोपानों पर अनवरत चढ़ रहे हैं । वे उन विरले नेताओं में एक हैं जिनसे लोहिया के समाजवाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानवदर्शन पर एक साथ बात की जा सकती है ।

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