राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ‘मन कक्ष’ का शुभारंभ, जानिए क्या है खास

लगातार बदलती जा रही जीवनशैली ने न सिर्फ लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि मानसिक तौर पर भी काफी क्षति पहुंचाई है। यही कारण है कि मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। मानसिक रोगियों को शारीरिक रोगियों की तुलना में अधिक देखभाल और सहानुभूति की जरूरत होती।

Update:2018-11-23 14:57 IST

लखनऊ : लगातार बदलती जा रही जीवनशैली ने न सिर्फ लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि मानसिक तौर पर भी काफी क्षति पहुंचाई है। यही कारण है कि मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। मानसिक रोगियों को शारीरिक रोगियों की तुलना में अधिक देखभाल और सहानुभूति की जरूरत होती।

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मानसिक रोगियां की बढ़ती संख्या को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ‘मन कक्ष’ का शुभारंभ किया गया है। मानसिक रोगियों को शारीरिक रोगियों की तुलना में अधिक देखभाल और सहानुभूति की जरूरत होती है, लेकिन होता हमेशा इसका उल्टा है। लोग मानसिक रोग और इसके पीड़ितों को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। इसी कारण मानसिक रोग से पीड़ित लोग भी इस समस्या को छुपाते हैं और मानसिक रोगों के लक्षण नजर आने पर भी लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं करते। यहां तक कि वे डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं। इससे रोग बढ़ता जाता है और गंभीर परिणाम झेलने पड़ते हैं। पूरे विश्व में तेजी से बढ़ती मानसिक रोगियों की संख्या को देखते हुए इनके प्रति जागरूकता बढ़ाना और इन रोगों के पुख्ता इलाज तलाशना बेहद जरूरी है।

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गौरतलब है कि मानसिक रोगी अक्सर डॉक्टरों से मिलने में झिझकते हैं। अब यहां मन कक्ष रोगियों के झिझक को दूर करने के लिए मददगार साबित होगा। लोगों को यह पता ही नहीं कि तनाव, उलझन, घबराहट आदि भी मानसिक रोग की श्रेणी में आते हैं।

दो काउंसलर की होगी तैनाती

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि मन कक्ष में मरीजों के लिए दो काउंसलर प्रियंका और कल्याणी की तैनाती की गई है, जो मानसिक रोगियों की दिमागी स्तर का पता लगाएंगी और काउंसलिंग करेंगी।

बच्चों के लिए भी हैं काउंसलर

मन कक्ष में बच्चों की मानसिक समस्याओं के लिए काउंसलर की तैनाती है। इन काउंसलरों को बच्चों की मनोदशा को समझने और पढ़ने की खास महारथ हासिल है। प्रियंका बताती हैं कि बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ जाए, बच्चा गुमसुम रहने लगे तो परिजनों को सावधान हो जाना चाहिए। परिजनों को तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। काउंसलर कल्याणी ने कहा कि समय पर इलाज व काउंसलिंग से इस बीमारी से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।

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सप्ताह के सभी दिन चलेगी

मन कक्ष में मानसिक रोगियों का इलाज हर दिन किया जाएगा। डॉ. देवाशीष ने कहा कि शादी ब्याह के बाद अक्सर निजी जिंदगी में तमाम दिक्कतें आती हैं। जिसे मरीज इन्हें बताते नहीं बल्कि छुपाते हैं। ऐसे लोगों के लिए मन कक्ष बेहतर साबित होगा जिससे वह अपने मन की बात बेहिचक होकर बता सकेंगे।

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