यूपी में तेजी से सुधर रहा है लिंगानुपात, यहां जानें वर्तमान स्थिति
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से शुरू की गई "मुखबिर योजना" बेटियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सरकारी रिपोर्ट ये बात कह रही है। रिपोर्ट की मानें तो एक वर्ष में राजधानी से लेकर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में आठ से ज्यादा अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी की गई। वहां से मिले आंकड़ों के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की गई। उसमें प्रदेश में बेटियों की संख्या में इजाफे की बात कही गई है।
लखनऊ: कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से शुरू की गई "मुखबिर योजना" बेटियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सरकारी रिपोर्ट ये बात कह रही है। रिपोर्ट की मानें तो एक वर्ष में राजधानी से लेकर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में आठ से ज्यादा अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी की गई। वहां से मिले आंकड़ों के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की गई। उसमें प्रदेश में बेटियों की संख्या में इजाफे की बात कही गई है।
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902 से बढ़कर 913 पर पहुंचा लिंगानुपात
कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'मुखबिर योजना' को लांच किया था। जुलाई 2017 में लांचिंग के बाद से लेकर अब तक यूपी के अलग-अलग शहरों में टीम के द्वारा 43 जगहों पर निरीक्षण और छापेमारी की जा चुकी है। जिसमें लखनऊ से लेकर प्रदेश के अन्य जिले भी शामिल हैं।
विभाग को किसी भी तरह की भ्रूण लिंग जांच की सूचना मिलते ही स्टिंग ऑपरेशन किया जाता है। वर्ष 2017 से एनएचएम के हेल्थ मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (एचएमआइएस)के आंकड़ों के अनुसार वर्ष अक्टूबर 2017 में लिंगानुपात 902 था जो कि अब सितंबर 2018 तक 913 तक आ चुका है।
डेली रिपोर्टिंग से भी भ्रूण लिंग जांच पर अंकुश
पीसीपीएनडीटी (प्रीनेटल डायग्नोटिस्क टेक्निक टेस्ट एक्ट) के संयुक्त निदेशक डॉ.अजय घई के मुताबिक उनकी टीम ने अब तक संभल, मथुरा और आगरा में एक- एक जगह छापेमारी की। मेरठ में तीन बार और अमरोहा में दो सेंटरों पर छापेमारी हुई है। वहीं इस तरह के अवैध सेंटरों में छापेमारी के दौरान मेरठ के एक झोलाछाप पकड़ा गया जो कि लैपटॉप और मसाज मशीन लेकर लोगों को बेवकूफ बना रहा था। इसके कारण हो रहे गर्भपात भी अपराध की श्रेणी में आ रहे हैं। इसके अलावा पीसीपीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत होने वाली प्रतिदिन रिपोर्टिंग से भी भ्रूण लिंग जांच पर अंकुश लगा है।
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क्या है मुखबिर योजना
इस योजना के तहत लिंग की जांच व अवैध गर्भपात कराने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं की गोपनीय सूचनाएं जुटाई जाती है। ये सूचनाएं मुखबिर द्वारा मुहैया कराई जाती है। मुखबिर कोई भी हो सकता है।
कैसे काम करती है मुखबिर योजना
इस योजना के तहत मुखबिर की सूचना पर गर्भवती महिला के साथ एक सहायक को ग्राहक बनाकर लिंग परीक्षण और गर्भपात केंद्र पर भेजा जाता है। यह टीम लिंग चयन के बदले जैसे ही केमिकल लगे करेंसी नोटों से पैसे की लेनदेन करती है स्वास्थ्य विभाग की टीम रंगे हाथों दोषियों को पकड़ लेती है। इसके बदले में सही सूचना और सफल ऑपरेशन पर मुखबिर को 60 हजार, मिथ्या ग्राहक को एक लाख और उसके सहायक को 40 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाती है।
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