Rashtriya Lok Dal: संकट में जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी का दर्जा, ये है वजह?

Rashtriya Lok Dal: राष्ट्रीय लोकदल के पास राज्य स्तरीय दल की मान्यता हैं, लेकिन यह जल्द ही उनसे छिन जाएगी. क्योंकि उनके पास अब चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत ना तो इतने सांसद, विधायक हैं और ना ही वोट प्रतिशत का आंकड़ा है.

Update:2022-08-05 13:06 IST

Rashtriya Lok Dal Jayant Chaudhary (image social media)

Rashtriya Lok Dal: उत्तर प्रदेश में वैसे तो दर्जनों सियासी दल हैं, लेकिन इसमें भाजपा, कांग्रेस और बसपा राष्ट्रीय तो समाजवादी पार्टी और अपना दल एस राज्य स्तरीय दल के रूप में हैं. हालांकि अभी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पास भी राज्य स्तरीय दल की मान्यता है लेकिन यह जल्द ही उनसे छिन जाएगी. क्योंकि उनके पास अब चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत ना तो इतने सांसद, विधायक हैं और ना ही वोट प्रतिशत का आंकड़ा है. इस लिहाज से जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी की जल्द ही राज्य स्तरीय दल की मान्यता खत्म हो जाएगी. बाकी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के पास राज्य स्तरीय दल की मान्यता नहीं है. भले ही उनके सांसद विधायक या फिर वह बीजेपी के साथ सत्ता में क्यों ना शामिल हों.

 राष्ट्रीय लोक दल के हैं 8 विधायक

2022 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़े जयंत चौधरी के इस वक्त 8 विधायक हैं. इसके साथ ही सपा के सहयोग से वह राज्यसभा के सांसद हैं. इन सबके बाद भी उनकी पार्टी राज्य स्तरीय दल की मान्यता बचाए रखने के मानकों को पूरा नहीं कर पा रही है. जिस वजह से जल्द ही आरएलडी का राज्य स्तरीय दल की मान्यता खत्म हो जाएगी. बता दे जयंत चौधरी के पिता स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते ही आरएलडी के बुरे दिन शुरू हो गए थे. 

यूपीए सरकार के जाने के बाद जैसे ही 2014 में मोदी लहर शुरू हुई मानो आरएलडी के लिए सुनामी आ गई. उनके गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह से अपना पैर जमा लिया और इसका सबसे ज्यादा नुकसान आरएलडी को हुआ. 2014, 2017, 2019 में उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी ने अखिलेश से हाथ मिलाया और उन्हें इसका फायदा मिला. इस वक्त नौ विधायक उनके यूपी विधानसभा में हैं.

राज्य स्तरीय दल के लिए तय मानक

राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए पांच शर्तें निर्धारित की गई है. इसके लिए विधानसभा चुनाव में 6 फ़ीसदी वोट और कम से कम 2 सीटें जीतना, लोकसभा चुनाव में 6 फ़ीसदी वोट और एक सीट पर जीत हासिल करना. राज्य की कुल सीटों का 3 फ़ीसदी वोट मिलना जरूरी होता है. लोकसभा की 25 सीटों में से कम से कम 1 सीट पर जीत और सीट नहीं जीतने की स्थिति में भी कुल 8 फ़ीसदी वोट हासिल करना जरूरी होता है. बीते विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल को 8 सीटें और 3 फ़ीसदी से कम वोट हासिल हुए थे. लोकसभा में उनकी पार्टी का एक भी सांसद नहीं है. इसकी वजह से आरएलडी के सामने राज्य स्तरीय दल की मान्यता खत्म होने का संकट आ गया है.

आरएलडी की 1996 में हुई स्थापना

राष्ट्रीय लोक दल की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह ने की थी. कोरोना काल में चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद उनके बेटे जयंत चौधरी अब आरएलडी के मुख्य अध्यक्ष हैं।

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