कुछ तो रहम करो, हाय रे महंगाई डायन! अपने ही ससुराल में महंगा हुआ रावण

मेरठ शहर रावण के ससुराल के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि यहां कई ऐसे मंदिर है जहां रावण की पत्नी मंदोदरी  पूजा-अर्चना किया करती थी। यहां

Update: 2017-09-27 07:23 GMT

मेरठ: मेरठ शहर रावण के ससुराल के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि यहां कई ऐसे मंदिर है जहां रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा-अर्चना किया करती थी। यहां रावण के बड़े-बड़े पुतलों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। बदलते समय के साथ पुतले बनाने के काम में भी काफी बदलाव आए हैं। पहले जो रावण का पुतला चंद रुपयों में बन जाता था, वो अब हजारों और लाखों में बन रहा है।

पिछली तीन पीढ़ियां कर रही रावण बनाने का काम

- मेरठ के गुड्डी बाजार निवासी असलम ने बताया कि उनके परिवार में पिछले तीन पीढियों से लोग दशहरे में रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं।

- परिवार के लोग शहर के भैसाली मैदान में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला पिछले एक महीने से बनाने में लगे है।

- इसे भैसाली मैदान में होने वाली रामलीला के लिए तैयार किया जा रहा है। वह 40 साल से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं।

- इस काम को पहले उनके अब्बा हासिम और बड़े भाई चांद किया करते थे। अब उनके साथ उनके बेटे खुर्रम, अकरम और असलम काम कर रहे है।

कई शहरों में बना चुके हैं पुतले

-असलम ने बताया कि वो बाजपुर, मुरादाबाद, देहरादून, लुधियाना, अंबाला और हरियाणा में भी रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बना चुके हैं।

- रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण को बनाने में 80 हजार रूपयें का खर्चा आया है। 29 सितंबर को रावण और उसके दोनों भाइयों के पुतले को क्रेन से खड़ा किया जाएगा।

पुतलों को बनाने में लगे 280 बांस

80 फुट का रावण बनाने में करीब 100 बांस का इस्तेमाल किया गया है। वहीं कुंभकर्ण और मेघनाथ में 90- 90 बांस लगे है। रावण के पुतले में 80 किलो कागज, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों में 75-75 किलों कागज लगाया गया है। वहीं पुतलों पर रंगीन कागज लगाया गया है। पुतलों में लेई लगाई जा रही है। तीनों पुतलों में करीब 1000 गोले लगाए जाते है। कैसी आतिशबाजी रखनी है, उसके अनुसार बढ़ा भी दिया जाता है।

पुतले में होगी ये खूबी:

- 80 फुट के बने रावण का मुंह खुलता-बंद होता रहेगा। रावण हंसता हुआ दिखाई देगा।

- रावण की गर्दन 30 फुट ऊपर दायें-बायें घूमेगी। आंखों से लाइट जलती दिखाई देगी। जैसे ही रावण का दहन होगा, उसकी आंखों से अंगारे निकलेंगे। भैसाली मैदान में 80 फुट का रावण, 75 फुट के कुंभकर्ण और 70 फुट का मेघनाथ का दहन होगा।

महज 25 प्रतिशत की बचत

असलम के अनुसार सालों पहले महज 1400 रूपयें में रावण बनकर तैयार हो जाता था। अब 80 हजार रूपयें में तैयार हो रहा है। पहले भी रावण के पुतलों को बनाने में 25 प्रतिशत की बचत होती थी। अब भी 25 प्रतिशत की बचत होती है। बढ़ती महंगाई ने पुतलों के निर्माण के खर्चों को भी बढ़ा दिया है। वहीं जिले में अन्य जगहों पर पुतलों को बनाने में लाखों रूपये खर्च किए जा रहे है।

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